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मां दुर्गा के जयकारों से गूंज उठा शहर, देवीमय हुआ लखनऊ

शारदीय नवरात्र के पहले दिन घरों में कलश स्थापना के साथ बड़ी काली जी समेत तमाम देवी मंदिरों में भक्तों ने की विधि-विधान से पूजा

लखनऊ। शारदीय नवरात्र के पहले दिन मंदिरों के बाहर मां के दर्शन को लगी लंबी-लंबी लाइनें देखते ही बन रही थीं, वहीं मंदिर परिसर माता के जयकारों से गूंज रहे हैं। नवरात्र के पहले दिन मंदिरों में प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा की गई, इसके साथ ही घरों में भी विधि विधान से कलश स्थापना और मां की पूजा अर्चना की गई। पूरा शहर दुर्गा सप्तशती के मंत्रों से गूंज रहा था।
नवरात्र के पहले दिन प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री का पूजन घरों में किया गया। इससे पहले कलश की स्थापना की गई और वैदिक मंत्रोच्चारण कर उनका आह्वान किया गया। मंदिरों में मां के जयकारे लगाते हुए भक्तों की भीड़ उमड़ी, मंदिरों में सुबह से देर रात तक दर्शन जारी रहा। चौक की बड़ी कालीजी मंदिर में पुजारी ने सुबह आठ बजे आरती की। उसके बाद साढ़े आठ से नौ बजे तक मां की स्तुति और भजन गाए गए। लंबी लाइन में महिला और पुरुष अलग-अलग खड़े होकर मां के दर्शन करते रहे। पुलिस और मंदिर प्रशासन की ओर से सुरक्षा के इंतजाम के बीच सुबह से ही दर्शन चलते रहे। इसी तरह से टिकैतराय तालाब के पास मेंहदीगंज में मां शीतला देवी मंदिर कमेटी के अध्यक्ष सुनील सैनी ने बताया कि सुबह चार बजे से ही भक्त दर्शन के लिए आने लगे। बीकेटी के मां चंद्रिका मेला विकास समिति के मीडिया प्रभारी नागेंद्र चौहान ने बताया कि कई भक्त तो रविवार देर रात ही मंदिर परिसर के बाहर आकर रैन बसेरे में ठहर गए थे। यहां पर तड़के चार बजे से ही परिसर में पूजन, मुंडन आदि धार्मिक कार्य होने लगे। संदोहन देवी मंदिर में सुबह ज्योति जलाकर पुजारियों ने मां का आह्वान किया। शास्त्री नगर के दुर्गा मंदिर के ताराचंद ने बताया कि पूजन के साथ मां से सभी को सुख शांति की कामना की गई। छोटी काली जी मंदिर, ठाकुरगंज के पूर्वी देवी मंदिर, गनेशगंज में मां संतोषी देवी मंदिर, छितवापुर भुईयन देवी मंदिर में सुबह से ही भक्त उपवास के साथ पूजन करने पहुंचे। कुछ मंदिरों के बाहर लगे मेले में लोगों ने खरीदारी भी की।

श्री बड़ी काली जी मंदिर में शारदीय नवरात्र शुरू
लखनऊ। मठ श्री बड़ी काली जी मंदिर में शारदीय नवरात्रि के प्रथम दिवस पर कलश स्थापना कर माता के प्रथम स्वरूप शैलीपुत्री की जयकारो के साथ माई को याद किया। महंत विवेकानंद गिरि जी ने बताया मानता है कि यह मंदिर लगभग ढाई सौ वर्ष प्राचीन आदि गुरु शंकराचार्य जी द्वारा स्थापित किया गया है जिसका संचालन बोधगया मठ बिहार से किया जाता है। नवरात्रि में विशेष रूप से अष्टमी व नवमी को लगभग 2500 वर्ष प्राचीन अष्टधातु की अर्धनारीश्वर मूर्ति का दर्शन भक्तों के लिए होता है। यह मूर्ति प्रत्येक वर्ष नवरात्रि के अष्टमी व नवमी को ही स्थापित की जाती है । मंदिर महिला इकाई द्वारा भजन सांध्य का कार्यक्रम पूरी नवरात्रि किया जाएगा । मीडिया प्रभारी अभय उपाध्याय ने बताया कि मंदिर प्रांगण एवं बाहर मेला व्यवस्था मंदिर समिति द्वारा संचालित होती है।मंदिर प्रांगण में मुंडन व्यवस्था एवं करण छेदन व्यवस्था भी रहती है जिसका प्रमाण पत्र भी कार्यालय द्वारा जारी किया जाता है। मंदिर में मुख्य रूप से मंदिर समिति के प्रबंधक देवराज सिंह ट्रस्टी सदस्य धीरू अवस्थी व दीप प्रकाश सिंह अभय उपाध्याय पुजारी शिवम् पांडेय मुकुंद मिश्रा विकास तिवारी राहुल तुषार एवं अन्य सेवादार उपस्थित रहे।

शीतला देवी मंदिर:
टिकैतराय तालाब के पास मेंहदीगंज में मां शीतला देवी मंदिर कमेटी के अध्यक्ष सुनील सैनी ने बताया कि सुबह चार बजे से ही भक्त दर्शन के लिए आने लगे। पंडित श्याम मनोहर ने सुबह आरती की। इस दौरान लोग लाइन में लगे रहे। आरती के बाद भक्तों को पूजन और दर्शन का अवसर मिला लोगों ने मां शीतला पर फल फूल चुनरी चढ़ाई। बैरिकेडिंग में महिला व पुरुष अलग-अलग लाइन में दर्शन करते रहे। मंदिर में रात को विशेष आरती होगी।

फूलों से सजाया गया मां का दरबार:
चौक के संतोषी माता मंदिर में मां के दरबार को फूलों से सजाया गया। मंदिर के पुजारी ने बताया कि मंदिर में होने वाली फूलों की सजावट को देखने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। उन्होंने बताया कि रोजाना मां के दरबार को अलग-अलग फूलों से सजाया जाएगा। ठाकुरगंज के मां बाघम्बरी पूर्वी देवी मंदिर में मां का श्रृंगार पीले फूलों से किया गया। राजधानी में मौजूद चिनहट के मां जानकी मंदिर, संकटा देवी मंदिर, त्रिवेणीनगर योगी नगर दुर्गा मंदिर, मदेयगंज दुर्गा मंदिर, कैसरबाग दुर्गा मंदिर, कृष्णानगर के इंद्रेश्वर मंदिर, तुलसी मानस मंदिर, आलमबाग के दुर्गा मंदिर में मां की प्रतिमा के साथ ही दरबार की भव्य सजावट की गई है।
बंगाली समाज के इस प्राचीन मंदिर में षष्ठी से दुर्गोत्सव शुरू नहीं होता है। बल्कि यहां पर पूरे नौ दिन नवरात्र पूजन, अनुष्ठान मूल बंगाली परंपरा से किए जाते हैं। इस मंदिर में मिट्टी की अपनी तरह की अकेली मां काली की प्रतिमा स्थापित है। कालीबाड़ी मंदिर की मैनेजिंग कमिटी के सभापति गौतम भट्टाचार्य ने बताया कि तंत्र विद्या के विशेष पुरोहित मधुसूदन मुखर्जी के स्वप्न में मां ने दर्शन दिए थे जिसके बाद मंदिर में मां काली के भक्त मधुसूदन ने इस विशेष मुद्रा की मां की प्रतिमा मृदा से तैयार की। इसमें मां काली, महाकाल के वक्ष पर विराजमान हैं। पंचमुंड आसन वाली यह मुद्रा अपनी तरह की मृदा से बनी अकेली प्रतिमा है।

मेवे से हुआ मां का शृंगार:
श्री दुर्गा जी मन्दिर, शास्त्रीनगर में सोमवार से नवरात्र उत्सव प्रारम्भ हुआ। मन्दिर में सदैव की भांति भिन्न-भिन्न सामग्रियों से मां दुर्गा का श्रृंगार किया जा रहा है। आज प्रथम नवरात्र को मेवों से दरबार की श्रृंगार किया गया। मन्दिर में सुरक्षा का विषेष प्रबन्ध किया गया है। महिला व पुरुष कार्यकर्ताओं के साथ सी सी कैमरों से भी निगरानी की जा रही है। महिलाओं व पुरुषों के लिये अलग अलग पंक्तियों में दर्शन की व्यवस्था की गई है। प्रात: 9 बजे से 1 बजे तक भजनों का कार्यक्रम भी आयोजित किया गया। पुरे क्षेत्र में विशाल मेला लग गया है। अनेक प्रकार के झूले, खिलोने और खाने की दुकाने लगी हुई हैं।

आज होगी मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
लखनऊ। भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी। इस कठिन तपस्या के कारण इस देवी को तपश्चारिणी अर्थात ब्रह्मचारिणी नाम से अभिहित किया।
मांदुर्गा की नवशक्ति का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी का है। यहां ब्रह्म का अर्थ तपस्या से है। मां दुर्गा का यह स्वरूप भक्तों और सिद्धों को अनंत फल देने वाला है। इनकी उपासना से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की वृद्धि होती है। ब्रह्मचारिणी का अर्थ तप की चारिणी यानी तप का आचरण करने वाली। देवी का यह रूप पूर्ण ज्योतिर्मय और अत्यंत भव्य है। इस देवी के दाएं हाथ में जप की माला है और बाएं हाथ में यह कमण्डल धारण किए हैं। पूर्वजन्म में इस देवी ने हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लिया था और नारदजी के उपदेश से भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी। इस कठिन तपस्या के कारण इन्हें तपश्चारिणी अर्थात ब्रह्मचारिणी नाम से अभिहित किया गया।

देवी मंदिरों में दर्शन-पूजन के लिए उमड़े भक्त
लखनऊ। राजधानी में जगह-जगह मां दुर्गा के मंदिर सज गए हैं। सुबह से ही मंदिरों में भक्त दर्शन के लिए आने लगे। लखनऊ में सबसे प्रसिद्ध बख्शी का तालाब चंद्रिका देवी मंदिर और चौक के काली बाड़ी मंदिर में दर्शन के लिए भीड़ उमड़ी।
सोमवार से शारदीय नवरात्र आरंभ हो गया है। इस बार मां दुर्गा पालकी पर सवार होकर आ रहीं हैं, साथ कई शुभ संयोग ला रही हैं। इन्हीं शुभ योगों के बीच लोगों ने घरों में घट स्थापना यानी कलश बैठा दिए। देवीभागवत पुराण के अनुसार कलश भगवान गणेश का स्वरूप है जिसमें सभी तीर्थ, समुद्र, पवित्र नदियों, वरुण सहित अनेक देवताओं का वास होता है। कलश स्थापित होने के बाद वह भगवान गणेश का स्वरूप बन जाता है जो विघ्नों को दूर करता है। नवरात्र बिना किसी बाधा के पूर्ण हो इसलिए देवी की पूजा आरंभ करने से पहले घट यानी कलश बैठाया जाता है और हर दिन देवी की पूजा से पहले कलश की पूजा की जाती है।
कालीबाड़ी मंदिर, शास्त्री नगर दुर्गा मंदिर समेत चौक के काली बाड़ी मंदिर में भक्तों का तांता सुबह से ही लगने लगा। घरों में कलश स्थापना के बाद लोग माता के दर्शन के लिए मंदिरों के लिए निकलने लगे। बख्शी के तालाब स्थित चंद्रिका देवी मंदिर में भी श्रद्धालुओं को तांता लगा रहा। इस बार चंद्रिका देवी मंदिर में भी पूजा के लिए खास इंतेजाम किए गए। वहीं घरों के आसपास दुर्गा मां के मंदिरों में भी भक्तों की खासा भीड़ रही।

51 शक्तिपीठ मे नीलांबर श्रृंगार

लखनऊ। नंदना बीकेटी स्थित इक्यावन शक्तिपीठ में शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन मां के दरबार का नीलांबर श्रृंगार किया गया। आचार्य धनंजय पांडेय ने कलश पूजन किया और मां शैलपुत्री का पिंडी पूजन के बाद हवन किया गया। इस इस मौके पर मंदिर की अध्यक्ष तृप्ति तिवारी समेत अन्य लोग मौजूद रहे। 51 शक्तिपीठ में नवरात्र के प्रथम दिन मां शैलपुत्री का पिंडी पूजन, हवन हुआ। पिंडी पूजन संस्था के अध्यक्ष तृप्ति तिवारी ने किया बाद में विश्व कल्याण के लिए सामूहिक हवन किया गया जिसमें लोगों ने आहुतियां डाली। नवरात्र के पहले दिन मां का नीलांबर सिंगार किया गया।

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