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जताई दलितों व महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर जताई नाराज़गी
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प्रदेश इकाई के चेयरमैन अलोक प्रसाद की कि रिहाई की मांग
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बढ़ते दलित एवं महिला उत्पीड़न खासतौर से बलात्कार, गैंगरेप और हत्या के मामले को लेकर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अनुसूचित जाति विभाग के चेयरमैन और महाराष्ट्र सरकार में कैबिनेट मंत्री डाॅ नितिन राउत ने रविवार को उत्तर प्रदेश की राज्यपाल को आनंदीबेन पटेल को पत्र लिखकर यूपी में बढ़ते दलित और महिलाओं पर होने वाले जघन्य अपराधों पर नाराजगी व्यक्त की है।
राज्यपाल को लिखे पत्र में राउत ने लिखा है कि पिछले दो-तीन सालों में इन अपराधों में अचानक बाढ़ सी आयी है ऐसा लगता है कि दलितों, महिलाओं और अल्पसंख्यकों पर होने वाले अपराध फासिस्टवादी भाजपा का सुनियोजित एजेंडा है। पत्र में उन्होने हाथरस, बाराबंकी की घटनाओं का उल्लेख करते हुए कहा है कि पिछले चार वर्षों में महिलाओं पर होने वाले अपराधों में 67 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। एफआईआर तक दर्ज नहीं की रही हैं।
एससी विभाग के चेयरमैन ने लिखा है कि रेप केसों की जांच और कोर्ट की प्रक्रिया बेहद धीमी है। उन्होंने लिखा है कि दलितों पर होने वाले हिंसा में अचानक से तेजी आयी है। जूते की माला पहनाना, नग्न परेड कराना, मैला उठाने के लिए दबाव डालना, शमशान घाट पर शवों को न जलने देना, सार्वजनिक स्थलों पर गाली-गलौच करना, दलित समाज के लेागों की जबरन जमीनों पर कब्जा करना आदि घटनाओं में बेतहाशा वृद्धि हुई है।
राउत ने कहा कि देश भर में महिलाओं के प्रति होने वाले कुल अपराधों में अकेले यूपी में 15 प्रतिशत घटनाएं घट रही हैं, औसतन 164 मामले रोजाना हो रहे हैं। उन्होंने लिखा है कि दलितों और महिलाओं पर होने वाले अपराधों में यह वृद्धि बताती है कि यूपी में कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं बची है। उन्होने राज्यपाल से मांग की है कि सूबे में राष्ट्रपति शासन लगाया जाये।
इसके अलावा राउत ने राज्यपाल को एक और पत्र लिखकर यूपी कांग्रेस कमेटी के अनुसूचित विभाग के चेयरमैन आलोक प्रसाद को राजनैतिक द्वेष के चलते फर्जी मुकदमा लादकर जेल भेजने के सम्बन्ध में लिखा है। उन्होंने कहा है कि आलोक प्रसाद एक सम्मानित परिवार के सदस्य हैं और पूर्व राज्यपाल सुखदेव प्रसाद के पुत्र और मौजूदा समय में प्रदेश इकाई के एससी विभाग के चेयरमैन हैं। जिस घटना में उन्हें फंसाया जा रहा है वह उस घटना के दिन सुबह से शाम तक लखनऊ में नहीं थे। यूपी सरकार कांग्रेस पार्टी को बदनाम करने का प्रयास कर रही है।
राउत ने आरोप लगाया है कि प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार दलित विरोधी मानसिकता के चलते हर उस आवाज को दबाना चाहती है जो दलितों के ऊपर हुए जुल्म के खिलाफ उठती है। आलोक प्रसाद हमेशा दलित समाज के बीच रहते हुए उनके हक और अधिकारों के लिए संघर्ष करते हैं इसलिए उन्हें झूठे मुकदमें में फंसाकर जेल में डालने का काम योगी सरकार ने किया है। उन्होने राज्यपाल से मांग की है कि आलोक प्रसाद से राजनीतिक विद्वेष के चलते जो फर्जी मुकदमें दर्ज कर उन्हें जेल भेजा गया है उसको वापस लेकर उनकी रिहाई के निर्देश सरकार को निर्गत करने का कष्ट करें।