ताबूत पर सोने से लिखाए 12 इमामों के नाम
अकबरी गेट के बाजारों में खरीदारी का उत्साह
लखनऊ। हजरत इमाम हुसैन और उनके 71 साथियों की शहादत को याद करने के लिए अजादार अपने घरों में अजाखानों को सजाने में व्यस्त हैं। इसके लिए जरीह, ताबूत, अलम और झूला जैसे सामान खरीदे जा रहे हैं। कोई चांदी की आकर्षक जरीह और ताबूत बनवा रहा है, तो कोई अलम को सजा रहा है। चौक, दरगाह हजरत अब्बास रोड और अकबरी गेट के बाजारों में खरीदारी का उत्साह है। अजादार इन बाजारों से सामान खरीदकर देश-विदेश तक ले जा रहे हैं। चौक की मेहदी एंड संस ज्वेलर्स पर आॅर्डर पर तैयार की गई दो किलो चांदी की जरीह अपनी खूबसूरती से सबका ध्यान खींच रही है। इसमें ईरानी शैली की बारीक नक्काशी की गई है। यह जरीह लगभग दो फीट ऊंची और एक फीट चौड़ी है, जिसमें एक बड़ा गुम्बद, आठ छोटे गुम्बद और आठ मीनारें बनी हैं। जरीह के चारों ओर छोटे-बड़े दरवाजे भी बनाए गए हैं, जिन्हें चांदी की चेन और हरे-लाल नगों से सजाया गया है। इसकी कीमत करीब 2 लाख 70 हजार रुपये है। ज्वेलर रजी हसन ने बताया कि इसके अलावा चांदी के झूले, अलम और ताज भी तैयार किए गए हैं। अजादार अली हसन ने इमामबाड़े के लिए 260 ग्राम चांदी का पंजा बनवाया है जिसकी कीमत लगभग 38 हजार रुपये है। इस पंजे पर बारीक नक्काशी के साथ लाल नग जड़े गए हैं। इसके साथ ही चांदी की छत्री भी लगाई गई है, जिसमें चांदी की चेन लटकाकर इसकी खूबसूरती को और बढ़ाया गया है। एक अजादार ने इमामबाड़े के लिए 500 ग्राम चांदी का ताबूत बनवाया है, जिस पर 12 इमामों के नाम सोने के पानी से लिखे गए हैं। ताबूत पर ईरानी नक्काशी और जाली का काम किया गया है, साथ ही इसमें दो चांदी के अलम भी लगाए गए हैं। बारीक नक्काशी वाला चांदी का अलम हजरत इमाम हुसैन के भाई हजरत अब्बास की याद में बनाए जाने वाले अलम भी चांदी से तैयार किए जा रहे हैं। चौक के एक ज्वेलर्स की दुकान पर दिलबर हुसैन 500 ग्राम चांदी का अलम बना रहे हैं, जिसकी कीमत करीब 60 हजार रुपये है। इस अलम पर भी बारीक नक्काशी की गई है।
चांदी के ताजियों की खूब हो रही मांग
लखनऊ। मोहर्रम का आगाज होते ही सराफा बाजार इन दिनों साजो-सजा के सामान को लेकर गुलजार नजर आ रहा हैं. चांदी से बने ताजियों की मांग बढ़ गई है। दूरदराज से आए लोग लाखों रुपये की कीमत तक के चांदी के ताजिए बनवाते नजर आ रहे हैं बाजारों पर महंगाई और भले ही मंदी का असर बताया जा रहा हो लेकिन लखनऊ की सराफा बाजार इन दिनों मोहर्रम के साजो सामान को लेकर गुलजार नजर आ रही हैं। पुराने लखनऊ के चौक इलाके की दुकानों पर इन दिनों चांदी से बने ताजियों की मांग बढ़ गई है जो खास आॅर्डर पर लाखों रुपए की कीमत तक तैयार किए जा रहे हैं। काफी वक्त से यह काम करते चले आ रहे लखनऊ चौक बाजार के दुकानदार महंदी हसन और नकी हसन का कहना है कि बाकी सामानों पर भले ही महंगाई और मंदी का असर हो लेकिन मोहर्रम की अजादारी से संबंधित सामानों पर कोई असर नहीं दिख रहा है, लोग बड़े पैमाने पर अजादारी से जुड़े साजो सामान खरीद रहे जिसमें खास आॅर्डर पर लाखों रुपए की कीमत तक के चांदी के ताजिए व जरी भी तैयार की जा रहे हैं।
ताजिए की बाजार में खूब हो रही मांग
लखनऊ के रहने वाले 15 साल के निहाल ने शहर के सबसे खूबसूरत और सबसे महंगे ताजिÞए बनाकर तैयार किए हैं। इसके लिए उन्होंने चार महीने से दिन-रात कड़ी मेहनत की, जिसके बाद वह इन खूबसूरत ताजियों को तैयार कर सके हैं। खास बात यह है कि ये ताजिए दो लाख रुपए में बुक हो गए हैं।
ये है इन ताजियों की खासियत
निहाल लखनऊ के काजमैन इलाके में रहते हैं। निहाल ने बताया कि उन्होंने इन ताजियों को चार महीने में तैयार किया है। स्कूल में छुट्टियां हो गई थी। ऐसे में पढ़ाई का कोई दबाव भी नहीं था। उन्होंने बताया कि इन ताजियों की यूं तो कोई कीमत नहीं होती, लेकिन लोग जितने में इन्हें लेना चाहें उतने में खरीद लेते हैं। सबसे खूबसूरत ताजिए ये इस वजह से हैं, क्योंकि इन्हें बांस की लकड़ी और कागज से बनाया गया है। इन्हें बनाने में 4 महीने के 12 से 13 घंटे लगे हैं। यह काले, हरे और लाल रंग के हैं। वजन में बहुत भारी हैं। इनमें मोतियां भी लगाई गई हैं। ये हर एक आकार के हैं। इन्हें मकबरे के आकार का बनाया गया है। इसलिए यह लोगों को काफी अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं।
दो लाख में हुए बुक
ताजियों को आज से लोग अपने घर ले जाना शुरू कर देंगे। यही वजह है कि निहाल के यह खूबसूरत ताजियों को दो लाख रुपए में बुक किया जा चुका है। लखनऊ के ही रहने वाले एक शख्स ने इन्हें दो लाख रुपए में बुक किया है। निहाल और उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बिल्कुल भी अच्छी नहीं है, लेकिन अब इन ताजियों के दो लाख रुपए में बिकने से वह और उनका परिवार काफी खुश है।
2000 से लेकर 50 हजार रुपये तक के ताजिए
नवाबों और गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल लखनऊ शहर का सबसे पुराना बाजार काजमैन में रंग बिरंगे खूबसूरत ताजिए सजकर तैयार हो चुके हैं। यहां पर ताजियों की कीमत 2000 रुपये से लेकर 50 हजार रुपये तक है। पुराने लखनऊ में 100 साल पुराना बाजार है जिसे काजमैन कहते हैं। यहां पर रंग बिरंगे खूबसूरत ताजिये सज गए हैं। इन ताजियों में आपको लकड़ी के बने चांदी और सोने की पोलिश के ताजिÞए नजर आ रहे हैं जिनकी कीमत 40 हजार से लेकर 50 हजार तक है। इस बाजार में पांच फीट लंबे ताजिÞए भी बिक रहे हैं, जिन्हें लोग खरीद भी रहे हैं। इन्हें तीन माह से कारीगर तैयार कर रहे थे। अब ये तैयार हैं। इनकी कीमत 8 हजार से लेकर 25 हजार रुपए तक है। सबसे महंगे ताजिए आप सामने देख रहे हैं, जिनकी कीमत 30 हजार रुपए से लेकर 35 हजार रुपए तक है। इसमें लाल और हरे रंग के ताजिए हैं, जिन्हें लकड़ी से बनाया गया है। यह काफी भारी होते हैं। लखनऊ में तीन तरह के ताजिए बिक रहे हैं। पहले मोम, दूसरा लकड़ी और चौथा कागज का। बात करें आकार की तो एक फीट से लेकर 10 फीट तक के ताजिÞए मिल रहे हैं। यही है लखनऊ का सौ साल पुराना काजमैन बाजार जहां पर ताजिÞए मिल रहे हैं।
बेहद खास हैं लखनऊ के ताजिया, 350 साल पुरानी परंपरा
लखनऊ। मुहर्रम के समय पर ताजिया की खूब मांग बाजारों में दिखाई देती है। यूपी में ताजिए की रिवायत 350 साल पुरानी है। यहां के बाजारों में लकड़ी से लेकर मोम की ताजिए बनाए जाते हैं। लखनऊ में 1675 में उन्मतुज्जोहरा बानो उर्फ बहू बेगम जो नवाब शुजा-उद-दौला की पत्नी थीं, उनके द्वारा लखनऊ में ताजिया रखने की परंपरा की शुरू की गई। बहु बेगम इराक स्थित करबला जियारत के लिए जाना चाहती थीं। मगर किसी कारण नहीं जा पाई। इसलिए उन्होंने ताजिया रखकर उसकी जियारत की। तभी से यह परंपरा यहां चलती आ रही है।
सैकड़ों वर्ष पुरानी परंपरा
लखनऊ में मुहर्रम का चांद नजर आते ही या हुसैन की सदा गूंजने लगती है. विशेष कर पुराने लखनऊ में 2 महीना 8 दिन तक मजलिस और जुलूस का दौर जारी रहता है। शिया समुदाय के लोग अपने घरों और इमामबाड़ों में ताजिया स्थापित करते हैं। लखनऊ में ताजिया की परंपरा सैकड़ों साल पुरानी है. यहां कागज, मोम, लकड़ी की ताजिए जुलूस में निकाले जाते हैं।
लखनऊ में बनते हैं कागज, मोम और चांदी के ताजिए
लखनऊ के शहादतगंज काजमैन में लगभग 100 सालों से 70 से 75 ऐसे परिवार हैं, जो ताजिया बनाने का काम करते हैं। यहां पर लोगों ने बताया कि उनके दादा परदादा कई पीढ़ी जो हैं ताजिया बनाने का काम कर रही हैं. जुलूस में शामिल होने वाले लोग ताजिया का बहुत ही सम्मान से दर्शन करते हैं. वहीं इस साल लखनऊ में कागज, लकड़ी, मोम और चांदी से विशेष ताजिए तैयार किए गए हैं।