कप्तान ही होता है टीम का असली जिम्मेदार, हमारे दौर में कोच की जरूरत नहीं थी : गावस्कर

मैनचेस्टर । महान बल्लेबाज सुनील गावस्कर का मानना है कि शुभमन गिल को अंतिम एकादश चुनने में शायद अंतिम फैसला लेने का अधिकार नहीं था। उनका कहना है कि यह फैसला पूरी तरह से कप्तान का होना चाहिए और मुख्य कोच सहित किसी और का इस पर प्रभाव नहीं होना चाहिए। बाएं हाथ के कलाई के स्पिनर कुलदीप यादव को लगातार टीम में नहीं चुने जाने पर तीखी बहस छिड़ गई है, विशेषकर जो रूट के मौजूदा चौथे टेस्ट में रिकॉर्ड शतक के बाद जहां वह रिकी पोंटिंग को पीछे छोड़ते हुए टेस्ट क्रिकेट में दूसरे सबसे अधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी बन गए। रूट के नाम अब 13,409 रन हैं और केवल सचिन तेंदुलकर (15,291 रन) उनसे आगे हैं। गावस्कर ने सोनी स्पोर्ट्स पर कहा, खिरकार, यह कप्तान की टीम होती है।

उन्होंने आगे कहा,हो सकता है कि शुभमन शारदुल को टीम में नहीं चाहते थे और कुलदीप को चाहते थे। रूट को 2018 में मैनचेस्टर और लॉर्ड्स में दो सीमित ओवरों के मैच तीन गेंद पर दो बार आउट करने के बावजूद कुलदीप अब तक पूरी टेस्ट श्रृंखला में बाहर रहे हैं। आम धारणा यह है कि मुख्य कोच गौतम गंभीर ने ऐसे गेंदबाजों पर जोर दिया है जो बल्ले से योगदान दे सकें, विशेषकर हेडिंग्ले टेस्ट में भारत के तीन विकेट पर 430 रन बनाने के बावजूद अगले 11 ओवर में 471 पर आल आउट होने के बाद। गावस्कर का मानना था कि कुलदीप को एकादश का हिस्सा होना चाहिए था। उन्होंने कहा,उसे टीम में वह मिलना चाहिए था। वह कप्तान है। लोग उसके और उसकी कप्तानी के बारे में बात करेंगे। इसलिए यह फैसला असल में उसका ही होना चाहिए। पूर्व भारतीय कप्तान का यह भी मानना था कि आंतरिक मतभेदों या चयन के मुद्दों को जानबूझकर छुपाया जा सकता है जिससे यह दिखाया जा सके कि ड्रेसिंग रूम में सब कुछ ठीक है।

गावस्कर ने कहा, मुझे पता है कि सब कुछ ठीक-ठाक दिखाने के लिए ये बातें शायद सामने न आएं। सच तो यह है कि कप्तान जिम्मेदार है। वही एकादश का नेतृत्व करेगा। यह सामान्य सी बात है। गावस्कर ने कहा कि उनके कप्तानी कार्यकाल में चीजें अलग तरह से होती थीं, जब टीम का चयन पूरी तरह से कप्तान का विशेषाधिकार होता था और कोच की अवधारणा ही नहीं थी क्योंकि सब कुछ मैनेजर और सहायक मैनेजरों के बारे में था। उन्होंने कहा,हमारे पास कोच नहीं थे। हमारे पास सिर्फ पूर्व खिलाड़ी ही टीम के मैनेजर या सहायक मैनेजर हुआ करते थे। वे ऐसे लोग थे जिनके पास जाकर आप बात कर सकते थे, वे आपको लंच के समय, दिन के खेल के अंत में या मैच की पूर्व संध्या पर सलाह देते थे।

गावस्कर ने कहा, इसलिए मेरे लिए कप्तान और कोच के संयोजन को समझना मुश्किल है। जब मैं कप्तान था तब हमारे पास कोई भी पूर्व खिलाड़ी नहीं था। भारत ने अब तक शुरूआती और मौजूदा चौथे टेस्ट में तेज गेंदबाजी करने वाले आलराउंडर शारदुल को चुना है जबकि दूसरे और तीसरे मैच में नितीश कुमार रेड्डी एकादश का हिस्सा थे। हालांकि इनका गेंदबाजी योगदान न्यूनतम रहा है। शारदुल ने तीन पारियों में सिर्फ 27 ओवर फेंके हैं और दो विकेट लिए हैं जबकि रेड्डी ने दो मैच में 28 ओवर फेंके हैं और दो विकेट चटकाए। शारदुल ने एक, चार और 41 रन बनाए हैं, जबकि रेड्डी ने एक, एक, 30 और 13 रन की पारियां खेलीं।

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