भावनाओं में डूबते-उतराते रहे ‘आबगीना’ के दर्शक

एसएनए के वाल्मीकि रंगशाला में नाटक का मंचन
लखनऊ। इ्म्मेंस आर्ट्स एंड कल्चरल सोसायटी, और रमा देवी चैरिटेबल ट्रस्ट, लखनऊ द्वारा आज वाल्मीकि रंगशाला में नाटक आबगीना का मंचन किया गया। वेस्टर्न ड्रामा की एक महत्वपूर्ण कृति, लेखक टेनेसी विलियम्स लिखित नाटक दी ग्लास मैनेजेरी पर आधारित नाटक आबगीना का निर्देशन राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, दिल्ली और भारतेंदु नाट्य अकादमी, लखनऊ दोनों ही संस्थानों से प्रशिक्षित एवं वर्तमान में भारतेंदु नाट्य अकादमी में बतौर संकाय सदस्य कार्यरत वरिष्ठ रंगकर्मी गोविंद सिंह यादव का रहा।
टेनेसी विलियम्स का नाटक द ग्लास मेनेजरी पर आधारित इस नाटक की कहानी एक परिवार के इर्द-गिर्द घूमती है परिवार में नफीसा जो एक पुराने समय की महिला हैं; उनका बेटा एजाज जो एक जूते के कारखाने में काम करने वाला और कवि बनने की इच्छा रखने वाला युवक है; और उनकी नाजुक बेटी लुबना, जो बेहद शमीर्ली है और लंगड़ाती है। लुबना अपने कांच के खिलौनों (उसकी मेनाजरी) की दुनिया में खोई रहती है, जबकि नफीसा उसकी शादी कराने की कोशिशों में लगी रहती है। एजाज, जो अपने परिवार के प्रति जिÞम्मेदारियों से बंधा हुआ महसूस करता है, एक दिन लुबना के लिए एक युवक अमजद को घर लाता है, अमजद और लुबना किसी समय सहपाठी रह चुके होते हैं और लुबना मन ही मन उसे चाहती भी है। लेकिन मुलाकात योजना के अनुसार नहीं होती, और परिवार की नाजुक उम्मीदें टूट जाती हैं। यह नाटक यादों, भ्रम और अपनी परिस्थितियों से बाहर निकलने की कठिनाई जैसे विषयों को उजागर करता है। पारिवार के सदस्यों को अपनी जिम्मेदारियों के चलते कई बार अपने सपनों और महत्वकांक्षाओं की बलि चढ़ानी पड़ती है। मन में उस कुंठा को दबाए रखते हुए रिश्तों को निभाते जाना जीवन को बोझिल बना देता है। इसी कुंठा से जूझते परिवार की कहानी है इस नाटक में।
नाटक में मंच पर एजाज की भूमिका में थे विक्रम कत्याल एजाज-दो और सूत्रधार की भूमिका में रहे अरविंद सिंह, नफीसा की भूमिका निभाई शैलजा कांत ने और लुबना के रूप थी अनन्या सिंह। अमजद की भूमिका निभाई गोविंद सिंह यादव ने। लुबना के रूप में अनन्या सिंह अपनी भूमिका में प्रभाव छोड़ने में सफल हुई नफीसा के रूप में शैलजा कांत ने वास्तविकता के अनुरूप अभिनय करके दर्शकों की वाहवाही बटोरी। एजाज के तौर पर विक्रम कत्याल ने प्रभावित किया।

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