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प्रारूपों के बीच अनुकूल होने की क्षमता ही यशस्वी को दूसरों से अलग बनाती है: कोच ज्वाला सिंह

मुंबई। यशस्वी जायसवाल के बचपन के कोच ज्वाला सिंह का मानना है कि खेल के प्रारूपों के बीच अनुकूलन क्षमता और सहज प्रवृति ही इस युवा बल्लेबाज को शीर्ष स्तर के अपने साथियों से अलग बनाती है। जायसवाल 22 साल और 36 दिन की उम्र में शनिवार को विशाखापत्तनम में इंग्लैंड के खिलाफ 209 रन बनाकर विनोद कांबली और सुनील गावस्कर के बाद टेस्ट में दोहरा शतक बनाने वाले देश के तीसरे सबसे युवा खिलाड़ी बने।

ज्वाला ने पीटीआई से कहा, अगर आप उसका जूनियर क्रिकेट देखो। जैसे जब वह मुंबई अंडर-16 की ओर से खेल रहा था तो उसने दोहरा शतक जड़ा, मुंबई अंडर-19 के लिए भी, ईरानी कप, दलीप ट्रॉफी और विजय हजारे ट्रॉफी में भी दोहरा शतक जड़ा था। वह अपनी बल्लेबाजी में आक्रामक प्रकृति के कारण लंबी पारी खेलने में माहिर है।

उन्होंने कहा, वह हमेशा गेंदबाज पर दबाव डालता है क्योंकि वह बाउंड्री जड़ता रहता है। उसने अपने क्रिकेट को इसी तरह तैयार किया है। अपने स्ट्रोक लगाने की काबिलियत और अपनी मानसिकता ऐसी ही बनायी है। इसे ही अनुकूलन क्षमता कहा जाता है। ज्वाला ने कहा, टी20 क्रिकेट में वह एक अलग तरह से खेलता है। टेस्ट क्रिकेट में उसका अलग दृष्टिकोण होता है। उसकी अनुकूल होने की क्षमता और सहज प्रकृति वास्तव में दूसरों से अलग है और यही उसे अन्य खिलाड़ियों से अलग बनाती है।

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