नई दिल्ली। कर्ज के बोझ से लदी एयर इंडिया में 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की निविदा सरकार ने सोमवार को जारी कर दी। इस संबंध में सरकार ने 17 मार्च तक आरंभिक बोलियां के रुचि पत्र मंगाए हैं।
सोमवार को जारी निविदा दस्तावेज के अनुसार, एअर इंडिया के रणनीतिक विनिवेश के तहत सरकार एयर इंडिया की सस्ती विमानन सेवा एयर इंडिया एक्सप्रेस में भी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचेगी। इसके अलावा एयर इंडिया के सिंगापुर एयरलाइंस (सैट्स) के साथ संयुक्त उपक्रम एयर इंडिया-सैट्स एयरपोर्ट सर्विसेस प्राइवेट लिमिटेड (एआईसैट्स) की 50 प्रतिशत हिस्सेदारी बेची जाएगी। एआईसैट्स हवाईअड्डों पर विमानों के खड़े होने और रखरखाव इत्यादि की सेवाएं देती है।
एयर इंडिया का प्रबंधन भी सफल बोली लगाने वाले को हस्तांतरित कर दिया जाएगा। दो साल से भी कम अवधि में एयर इंडिया को बेचने की यह सरकार की दूसरी कोशिश है। पिछली बार सरकार का यह प्रयास असफल रहा था। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2018 में सरकार ने एयर इंडिया में 76 प्रतिशत हिस्सेदारी और प्रबंधकीय नियंत्रण निजी हाथों में देने के लिए निविदा जारी की थी। सरकार ने 17 मार्च तक एअर इंडिया खरीदने के इच्छुक पक्षों से रुचि पत्र मांगे हैं।
एयर इंडिया की एयर इंडिया इंजीनियरिंग सर्विसेस, एयर इंडिया एयर ट्रांसपोर्ट सर्विसेस, एयरलाइन एलाइड सर्विसेस और भारतीय होटल निगम में भी हिस्सेदारी है। इन सभी को एक अलग कंपनी एयर इंडिया एसेट होल्डिंग लिमिटेड (एआईएएचएल) को हस्तांतरित कर दिया जाएगा और यह एयर इंडिया की प्रस्तावित हिस्सेदारी बिक्री के सौदे का हिस्सा नहीं होंगी। निविदा दस्तावेजों के अनुसार एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस पर बंद होते समय 23,286.50 करोड़ रुपए का कर्ज बकाया रह जाएगा। एयर इंडिया पर बाकी का कर्ज एआईएएचएल को हस्तांरित कर दिया जाएगा। एयर इंडिया की इस विनिवेश प्रक्रिया के लिए परामर्शक की भूमिका ईवाई करेगी।