याद ए तश्ना में अंधेरे के समय में आगे बढ़ते रहने की अपील
लखनऊ। जन संस्कृति मंच (जसम) की ओर से बलराज साहनी सभागार सालाना जलसा ‘याद ए तश्ना’ का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में उर्दू शायर तश्ना आलमी की शायरी की किताब कलाम तश्ना के विमोचन भी हुआ। तश्ना आलमी का निधन सात साल पहले हुआ था। उनके जीवन काल में एक किताब ‘बतकही’ प्रकाशित हो पाई थी। अध्यक्षता प्रसिद्ध रंग निर्देशक तथा जसम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जहूर आलम ने की। जहूर आलम ने कहा कि यह अंधेरे का समय है। इसको चीर कर आगे बढ़ना होगा। प्रोफेसर प्रणय कृष्ण ने ‘विभाजनकारी संस्कृति और जन प्रतिरोध’ विषय पर बोलते हुए कहा कि यह उलटबांसी का दौर है। स्मृतियों का गृहयुद्ध चल रहा है। आज भूलने के विरुद्ध लड़ाई है। समाज को बांटने और नफरत फैलाने वाली शक्तियां हावी हैं। विचारों की स्वतंत्रता पर हमले हो रहे हैं। बिना मुकदमा चलाए लोकतंत्रवादियों को जेल में रखा गया है। उर्दू लेखक अनवार अब्बास ने तरक्की पसंद तहरीक और आज का उर्दू अदब पर अपनी बात रखी। सुहेल वहीद ने हमारा वक्त और उर्दू सहाफत इस विषय पर अपने ख्याल का इजहार किया और कहा कि उर्दू मिली-जुली रही है लेकिन आज वह मुसलमानों की होकर रह गई है। कार्यक्रम के शुरू में तस्वीर नकवी ने पिछले पांच साल से जेल में बंद गुलफिशा फातिमा के प्रतिरोध की नज्म सुनाया। इस मौके पर जन संस्कृति मंच लखनऊ के अध्यक्ष और जाने-माने कलाकार धर्मेंद्र कुमार का आज के हालात को व्यक्त करने वाला इंस्टॉलेशन था जो कार्यक्रम के आकर्षण का केंद्र बना।