उच्चतम न्यायालय सोमवार को करेगा पेगासस जासूसी मामले पर सुनवाई

नयी दिल्ली।  उच्चतम न्यायालय इजराइली स्पायवेयर पेगासस के जरिए कुछ खास लोगों की हुई कथित जासूसी की स्वतंत्र जांच के अनुरोध संबंधी याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई करेगा। प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण की अगुवाई वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने सात सितंबर को तब केंद्र को जवाब दाखिल करने के लिए और वक्त दिया था जब सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि कुछ परेशानियों की वजह से वह दूसरा हलफनामा दाखिल करने के बारे में निर्णय लेने के लिए संबंधित अधिकारियों से मिल नहीं सके। केंद्र ने शीर्ष अदालत में एक संक्षिप्त हलफनामा दायर किया था और कहा था कि पेगासस जासूसी अरोपों में स्वतंत्र जांच के अनुरोध वाली याचिकाएं अनुमानों या अन्य अप्रमाणित मीडिया रिपोर्टों या अधूरी या अपुष्ट सामग्री पर आधारित हैं।

 

शीर्ष अदालत ने 17 अगस्त को याचिकाओं पर केंद्र को नोटिस जारी करते हुए स्पष्ट किया था कि वह (अदालत) नहीं चाहती कि सरकार ऐसा कुछ भी खुलासा करे जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता हो। सरकार ने संक्षिप्त हलफनामे में कहा था कि इस संबंध में संसद में सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव पहले ही स्थिति स्पष्ट कर चुके हैं। उसने कहा था कि कुछ निहित स्वार्थों के तहत फैलाए गए किसी भी गलत धारणा को दूर करने और उठाए गए मुद्दों की जांच करने के लिए सरकार विशेषज्ञों की एक समिति का गठन करेगी। शीर्ष अदालत ने याचिकाओं पर नोटिस जारी करते हुए कहा था कि वह (अदालत) नहीं चाहती कि सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित कुछ भी खुलासा करे और केंद्र से पूछा था कि यदि सक्षम प्राधिकारी इस मुद्दे पर हलफनामा दायर करते हैं तो समस्या क्या है।

 

विधि अधिकारी ने पीठ से कहा था, हमारा सुविचारित जवाब वही है जो हमने अपने पिछले हलफनामे में सम्मानपूर्वक कहा है। कृपया हमारे दृष्टिकोण से इस मुद्दे को देखें क्योंकि हमारा हलफनामा पर्याप्त है। उन्होंने कहा, भारत सरकार देश की सर्वाेच्च अदालत के समक्ष है। वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा था कि अगर किसी देश की सरकार इस बात की जानकारी देती है कि किस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जाता है और किसका नहीं, तो आतंकवादी गतिविधियों में शामिल लोग पहले से कदम उठा सकते हैं। ये याचिकाएं इजराइली कंपनी एनएसओ के स्पाइवेयर पेगासस का उपयोग कर प्रतिष्ठित नागरिकों, नेताओं और पत्रकारों की सरकारी एजेंसियों द्वारा कथित तौर पर जासूसी किए जाने की खबरों से संबंधित हैं। एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया समूह कहा है कि पेगासस स्पाइवेयर का उपयोग कर 300 से अधिक भारतीय मोबाइल फोन नंबरों को निगरानी के लिए संभावित लक्ष्यों की सूची में रखा गया था।

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