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सीएम ने किया प्रदेश में 37 भंडार गृहों का शिलान्यास
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को कहा कि कोरोना काल में भी प्रदेश सरकार अन्नदाता किसानों के हित में नयी-नयी योजनाओं को लेकर आगे बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लाॅकडाउन के दौरान विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी। इस पैकेज के तहत एक लाख करोड़ रुपये कृषि इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास में दिये गये हैं।
मुख्यमंत्री ने सहकारिता विभाग के तहत राज्य भण्डारण निगम द्वारा प्रदेश की 37 मंडियों में निर्मित किये जाने वाले 05-05 हजार मीट्रिक टन भंडारण क्षमता के नये भंडार गृहों का ई-शिलान्यास किया। उन्होंने कहा कि सहकारिता विभाग द्वारा बनवाये जा रहे 37 गोदामों के शिलान्यास का कार्यक्रम इस संकल्प का एक जीता-जागता उदाहरण है।
योगी ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार किसानों की आय को दोगुना करने के लिए संकल्पित हैं। मौजूदा सरकार किसानों को उनकी लागत का डेढ़ गुना देने के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ काम कर रही है। इसके परिणामस्वरूप परंपरागत खेती से अलग होने वाले किसान फिर से खेती में सम्भावनाएं देखने लगे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि इन्फ्रास्ट्रक्चर में अन्नदाता किसानों के लिए भण्डार गृहों के महत्व को अच्छे ढंग से समझा जा सकता है। नये भण्डार गृहों की स्थापना हो जाने पर किसानों की आमदनी बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी जिलों में न केवल उत्तर प्रदेश राज्य भण्डारण निगम के साथ मिलकर, बल्कि ज़रूरत पड़ने पर मण्डी परिषद को भी खुद कोल्ड स्टोरेज, सैलोस सहित अत्याधुनिक भण्डारण क्षमता को अर्जित करना चाहिये।
योगी ने कहा कि किसानों को केवल अनाज मंडी में ही नहीं बल्कि फल और सब्जी मंडियों में भी ऐसी सुविधा देनी चाहिये, जिससे किसान अपने उत्पाद को कुछ दिनों तक सुरक्षित रख सके। नयी प्रतिस्पर्धा में सरकार ने निजी क्षेत्र को भी मंडी क्षेत्र में आमंत्रित किया है।
नयी प्रतिस्पर्धा के लिए न केवल सहकारिता बल्कि मंडी समितियों को भी आगे आना होगा। जो जितनी अच्छी सुविधा किसानों को दे पायेगा और जितनी स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को आगे बढ़ा पायेगा वही इस कम्प्टीशन में बना रह पायेगा। उस प्रतिस्पर्धा के योग्य अपने आपको तैयार करने के लिए आज एक नयी शुरुआत हुई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि साल 2018 में मंडी समिति के साथ उत्तर प्रदेश राज्य भण्डारण निगम में जो एमओयू साइन किया गया था, इस क्रम में आज यह शिलान्यास कार्यक्रम संपन्न हो रहा है। देश और दुनिया में जहां भी किसानों के हितों में काम हो रहे हैं, उनका अध्ययन किया जाना चाहिये, क्योंकि अन्नदाता ही किसी भी देश की रीढ़ होते हैं।
योगी ने कहा कि मार्च 2017 में जब मौजूदा सरकार गठित हुई थी, उस समय सबसे बड़ी चुनौती यही थी कि किसानों से गेहूं खरीदेंगे तो उसे कहां रखेंगे, क्योंकि हमारे पास स्टोरेज क्षमता नहीं थी। 01 अप्रैल 2017 से गेहूं खरीदने की कार्यवाही शुरू की गयी। किसानों से 37 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया और यह भी तय किया गया कि उनको को एमएसपी का भुगतान 48 घण्टे के अंदर डीबीटी के माध्यम से खाते में कर दिया जाये।
हर साल किसानों की उपज को खरीदने का कार्य आज लगभग 53 लाख मीट्रिक टन तक पहुंचा। यह तथ्य इस बात को सिद्ध करते हैं कि सरकार द्वारा दिये गये एमएसपी से किसान के जीवन में व्यापक बदलाव आता है। इसके माध्यम से मार्केट को नियंत्रित करने में मदद मिलती है, कालाबाजारी पर रोक भी लगती है और अन्नदाता किसान का शोषण रुकता है।