कर्मचारियों के उत्पीड़न एवं उत्तरदायित्व पर बृहद चर्चा हुई
संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जे एन तिवारी ने संवाद हीनता को प्रमुख कारण बताया
लखनऊ। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उत्तर प्रदेश के तत्वाधान में आज गोमती नगर के होटल कंफर्ट इन में मीडिया कर्मियों के साथ चाय पर चर्चा कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में लखनऊ के सभी मीडिया प्रतिष्ठानों के प्रतिनिधियों ने प्रतिभाग किया। संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जे एन तिवारी ने कर्मचारियों की समस्याओं एवं उनका उत्पीड़न तथा बढ़ते हुए उत्तरदायित्व पर चर्चा करते हुए अवगत कराया है कि विगत एक वर्ष से शासन प्रशासन के मुख्य सचिव एवं प्रमुख सचिव कार्मिक के स्तर पर संवाद हीनता बनी हुई है ,जिसके कारण विभागों के अधिकारी भी संगठनों के साथ वार्ता नहीं कर रहे हैं । विभिन्न विभागों में लाखों की संख्या में रिक्त पद पड़े हुए हैं जिन पर भर्ती नहीं की जा रही है, जिसके कारण कार्यरत कर्मचारियों पर कार्य का अतिरिक्त दबाव बढ़ता जा रहा है। अधिकारियों की मनमानी चरम पर है शासन द्वारा निर्गत अपने ही आदेशों को अधिकारी नहीं मान रहे हैं। समाज कल्याण विभाग में कार्मिक विभाग द्वारा निर्गत शासनादेश, जिसके अंतर्गत कर्मचारी संगठनों के अध्यक्ष महामंत्री को विशेष अवकाश एवं बायोमेट्रिक से छूट प्रदान की गई है, का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन हो रहा है ।संगठनों के पदाधिकारियों को टारगेट बनाकर उत्पीड़न किया जा रहा है। विभिन्न विभागों में कर्मचारियों की छंटनी हो रही है। नगरीय परिवहन विभाग में हजारों की संख्या में संविदा चालक परिचालक नौकरी गवा चुके हैं। समाज कल्याण एवं जनजाति विकास सहित कई विभागों में संविदा कर्मियों को बिना किसी उचित कारण के सेवा से हटाया जा चुका है। सभी विभागों में पदोन्नति के हजारों पद खाली पड़े हैं परंतु पदोन्नतियां नहीं हो रही है। पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल किया जाना, कैशलेस इलाज की सुविधा को सरलीकृत किया जाना, आशा बहू एवं मानदेय पर कार्यरत अन्य कर्मचारियों का समय से मानदेय का भुगतान किया जाना, परिवहन निगम में निजीकरण को बढ़ावा दिया जाना, डग्गामारी पर प्रभावी नियंत्रण नहीं किया जाना, सहित कर्मचारियों की दर्जनों समस्याएं लंबित पड़ी हुई हैं। संयुक्त परिषद के महामंत्री ने अवगत कराया है कि 12 अगस्त को कर्मचारियों का एक विस्तृत मांग पत्र मुख्य सचिव को भेज कर वार्ता के माध्यम से समस्याओं का निस्तारण किए जाने का अनुरोध किया गया था, परंतु मुख्य सचिव ने समस्या का संज्ञान नहीं लिया फल स्वरुप संयुक्त परिषद ने चरणबद्ध आंदोलन शुरू किया। जिसके अंतर्गत 4 सितंबर से 15 अक्टूबर तक कर्मचारी जागरण का अभियान चलाया गया तथा 16 अक्टूबर को प्रदेश के सभी जनपद मुख्यालयों पर एक दिवसीय सांकेतिक धरना प्रदर्शन करके मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव को ज्ञापन भेजते हुए 7 नवंबर तक कर्मचारियों की मांगों का निस्तारण करने का अनुरोध किया गया। यदि 7 नवंबर तक मुख्य सचिव के स्तर से कार्यवाही नहीं होती है तो 8 नवंबर से मंडल स्तर पर सम्मेलन गोष्ठियां एवं प्रेस वार्ता करके कर्मचारियों के प्रति शासन की उदासीन रवैया से कर्मचारियों को अवगत कराया जाएगा तथा 20 जनवरी 2026 को विधानसभा पर धरना प्रदर्शन के लिए कर्मचारियों को जागरूक किया जाएगा। चर्चा परिचर्चा में अन्य कई बिंदु भी उठाए गए जिसमें प्रदेश में कार्यरत 2 लाख 29 हजार आशा कार्यकतार्ओं को विगत चार माह से मानदेय नहीं दिए जाने का मुद्दा भी शामिल है, जिस पर मुख्यमंत्री का ध्यान आकर्षण करने के लिए उनके ट्विटर हैंडल पर संयुक्त परिषद द्वारा पत्र भेजा गया है। चाय पर चर्चा कार्यक्रम में संयुक्त परिषद के वरिष्ठ उपाध्यक्ष नारायण जी दुबे, कार्यवाहक अध्यक्ष निरंजन कुमार श्रीवास्तव, उपाध्यक्ष प्रीति पांडे, सर्वेश श्रीवास्तव, जसवंत सिंह, डीके त्रिपाठी ,विनोद कन्नौजिया,अयोध्या सिंह, नितिन गोस्वामी, कुसुम लता यादव, शिवाकांत द्विवेदी, हरिवंश मणि, विकास शुक्ला, शंकर सिंह, सहित दर्जनों पदाधिकारियों ने अपने विचार व्यक्त किया।





