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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी : कान्हा के लिए वृंदावन से आयेंगे मोती जड़े विशेष वस्त्र

 

लखनऊ। राजधानी में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 6 व 7 अगस्त को मनाई जाएगी। इस्कॉन मंदिर समिति ने धूमधाम से विशेष आयोजन के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। समितियों का दावा है कि मंदिर में आने वाले भक्तों की सुविधा को देखते हुए ही सारी तैयारियां करने पर जोर दिया जा रहा है। शहीद पथ के सुशांत गोल्फ सिटी स्थित इस्कॉन मंदिर के मीडिया कोआॅर्डिनेटर श्रवण सिंधु दास ने बताया कि इस बार 7 अगस्त को जन्माष्टमी मनाई जाएगी। वृंदावन से ठाकुर जी के लिए जरी, मोती व जेवरात से सजे विशेष वस्त्र आएंगे। यह वस्त्र उसी दिन भगवान श्रीकृष्ण को पहनाए जाएंगे। उससे पहले वृंदावन से ही संकीर्तन टोली 24 घंटे विशेष पूजा-अर्चना करेगी। भक्तों को ठाकुर जी का अभिषेक करने का मौका भी दिया जाएगा। उनका अभिषेक दूध, दही और 1008 तीर्थों के जल से किया जाएगा। ठाकुर जी का अभिषेक करने के लिए भक्तों को पहले से मंदिर समिति से मिलना होगा। श्री श्री राधारमण बिहारी जी मन्दिर इस्कॉन में वाटिका, गौशाला को धूमधाम से सजाया जाएगा।

दिन भर चलेंगे कार्यक्रम

सेवक रवि शंकर गर्ग ने बताया कि जन्माष्टमी में इस बार सुबह 11 बजे भगवान के दर्शन, इसके बाद हरि नाम अखंड संकीर्तन, संध्या आरती फिर भक्ति भजन कीर्तन करेंगे और इसके बाद श्री श्री गौर राधा कृष्ण अभिषेक होगा जोकि 10:30 बजे रात में शुरू होगा, फिर महा आरती 12:15 पर की जाएगी, उन्होंने बताया कि पहले यह मंदिर इस्कॉन के नाम से ही मशहूर थी लेकिन अब इसको श्री श्री गौड़ राधा कृष्ण के नाम से जाना जाता है, उन्होंने बताया कि कृष्ण जन्माष्टमी के दिन यहां पर भक्तों की बड़ी भीड़ लगती है।

नन्द के घर आनंद की तैयारी में जुटा श्रीमाधव मन्दिर

लखनऊ। डालीगंज स्थित श्रीमाधव मन्दिर में जन्माष्टमी की तैयारियां शुरू हो गयी हैं। कार्यक्रम संयोजक अनुराग साहू ने बताया कि श्री माधव मन्दिर में श्री कृष्णा जन्माष्टमी उत्सव बड़ी धूमधाम से बुधवार को 6 सितम्बर साय 7 से सांस्कृतिक कार्यक्रम का प्रसारण एफबी पेज से घर बैठे देख सकेगे तथा श्री राधामाधव के श्वेताम्बर बनारसी वस्त्रों, चॉदी के मुकूट धारण किये आलौकिक दर्शन व जन्म से पहले दक्षिणावर्त लक्ष्मी शंख से भगवान श्रीकृष्ण का पंचाभिषेक अभिषेक के साथ भव्य महाआरती का दर्शन कर सकेगे।
उपाध्यक्ष भारत भूषण गुप्ता ने बताया कि इस बार देशी विदेशी फूलों का श्रृंगार के साथ पूरें मन्दिर परिसर में एलइडी, तेजर लाइटो व इलेक्टानिक झालरो से जगमागता श्री माधव मन्दिर बाहर का परिसर तथा अनन्द जन्म उत्सव की थीम पर 5000 गुब्बारें का डेकोरेशन बच्चे व लोगो को अपनी ओर आकर्षित करेगा। जन्म से पहले रात्रि 9 बजे से दक्षिणावर्त लक्ष्मी शंख से भगवान श्रीकृष्ण का मंत्र उच्चरण के साथ अभिषेक करेगे। श्री राधामाधव सेवा संस्थान के सदस्य इस जर्न्मोत्सव को भव्य बनाने के लिए बिहारी लाल साहू, भारत भूषण गुप्ता, धनश्याम दास अग्रवाल, माया आनंद, श्यामजी साहू, ओमकार जायसवाल, राकेश साहू, दिनेश मेघदूत अग्रवाल, दीपक महरोत्रा, संजय जयसवाल अनुराग साहू भी लगे है।

यहां भी होंगे आयोजन:

अवध नगरी के बासमंडी स्थित श्री गौर राधाकृष्ण मंदिर, डालीगंज स्थित श्रीमाधव मंदिर के राधा माधव सेवा संस्थान, नाका चौराहे से न्यू गणेशगंज मार्ग पर डिजिटल मूविंग झांकी, रिजर्व पुलिस लाइन, महानगर स्थित 35वीं बटालियन पीएसी परिसर आदि जगह पर विशेष आयोजन होंगे। सभी मंदिरों की सफाई, रंगाई-पुताई आदि का काम भी लगभग पूजा हो चुका है। बीरबल साहनी मार्ग स्थित खाटू श्याम मंदिर समेत अन्य मंदिरों में भगवान श्रीकृष्ण को छप्पन भोग चढ़ाया जाएगा।

 

कान्हा के प्रिय है आटे की पंजीरी:

अब देवकी वासुदेव, भगवान बलदेव, नंद बाबा, यशोदा मैया और लक्ष्मी जी इन सबका नाम क्रमानुसार लेते हुए विधि-विधान से पूजन करें। इस दिन भोग के रूप में कट्टू के आटे की पूड़ी, मावे की बर्फी और सिंघाड़े के आटे का हलवा बनाया जाता है और प्रसाद में आटे की पंजीरी और पंचामृत बनाया जाता है। एकादशी के व्रत की ही तरह जन्माष्टमी व्रत में अन्न ग्रहण करने की मनाही होती है। जन्माष्टमी का व्रत एक निश्चित अवधि में ही तोड़ा जाता है जिसे पारण मुहूर्त कहते हैं। सूर्योदय के बाद अष्टमी और रोहिणी नक्षत्र के समाप्त होने पर व्रत का पारण किया जाता है।

कान्हा जी की सजेगी झांकी :

जन्माष्टमी के दिन कुछ घरों में कान्हा जी की सुंदर-सुंदर झांकियां सजाई जाती हैं। आप चाहे तो अपने घर में भी श्री कृष्ण की झांकी सजा सकते हैं। रात को 12 बजे श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है। भगवान कृष्ण के बाल रूप को झूला झुलाया जाता है। पूजन के बाद बाल गोपाल को भोग लगाएं और आप खुद भी फलाहार कर सकते हैं।

जन्माष्टमी पर बन रहा है अद्भुत संयोग

लखनऊ। प्रत्येक वर्ष जन्माष्टमी बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार श्री कृष्ण का जन्म इसी दिन हुआ था। हर साल भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्म दिवस जन्माष्टमी पर्व मनाया जाता है। हिंदी पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि यानी कि जन्माष्टमी तिथि 6 सितंबर 2023 की दोपहर 03:37 मिनट पर शुरू होगी और 7 सितंबर की शाम 04:14 मिनट पर समाप्त होगी। पुराणों के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रात 12 बजे रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इस मान्यता के अनुसार गृहस्थ जीवन वाले लोग 6 सितंबर को जन्मोत्सव मनाएंगे। इस दिन रोहिनी नक्षत्र भी है, ऐसा अद्भुत संयोग बनना बहुत शुभ है। वहीं वैष्णव संप्रदाय में श्रीकृष्ण की पूजा 7 सिंतबर को की जाएगी। जन्माष्टमी के दिन श्री कृष्ण के बाल रूप की पूजा का विधान है।

जन्माष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त

भगवान श्रीकृष्ण की पूजा का शुभ मुहूर्त 6 सितंबर की मध्यरात्रि 12:02 से मध्यरात्रि 12:48 तक है। इस तरह पूजा की अवधि केवल 46 मिनट की ही रहेगी। वहीं जन्माष्टमी व्रत पारण का समय 7 सिंतबर की सुबह 06:09 के बाद है।

बन रहा है अद्भुत योग

जन्माष्टमी पर रोहिणी नक्षत्र लग रहा है। श्री कृष्ण का जन्म भी रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। रोहिणी नक्षत्र 6 सितंबर 2023 की सुबह 09:20 से 7 सितंबर 2023 की सुबह 10:25 तक रहेगा।

जन्माष्टमी पूजन विधि

इस दिन भगवान श्री कृष्ण को दूध और गंगाजल से स्नान करवाया जाता है और साथ ही नए वस्त्र पहनाए जाते हैं। इसके बाद उन्हें मोरपंख, बांसुरी, मुकुट, चंदन, वैजंयती माला, तुलसी दल आदि से सजाया जाता है। इसके बाद उन्हें फल, फूल, मखाने, मक्खन, मिश्री का भोग, मिठाई, मेवे आदि अर्पित करें। फिर भगवान श्री कृष्ण के सम्मुख दीप.धूप जलाएं। आखिर में श्री कृष्ण के बाल स्वरूप की आरती उतारें और प्रसाद सभी में बांटे।

 

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