जिन महिलाओं के लिए प्रार्थनाएं की गई, उन्हें गर्भधारण में आसानी हुई। शोधअध्ययन दल के डाक्टरों ने पाया कि जिन महिलाओं के लिए प्रार्थना की गयी उनमें शारीरिक परिवर्तन बहुत जल्द देखने को मिला। कृत्रिम गर्भधारण का इलाज शुरू करने के कुछ दिनों बाद ही इन महिलाओं में दस प्रतिशत प्रजनन के अनुकूल स्थितियां पायी गयीं। जबकि इसके विपरीत उन महिलाओं में जिनके लिए प्रार्थनाएं नहीं की गयी थीं प्रजनन के अनुकूल परिस्थितियां दो प्रतिशत से भी नीचे थीं।
शोध अध्ययन दल के मुताबिक यह एक चमत्कारिक भिन्नता थी। क्योंकि प्रार्थना मिश्रित इस इलाज के पहले सभी दो सौ महिलाओं की प्रजनन क्षमता समान थी। सिर्फ प्रजनन क्षमता के संदर्भ में ही नहीं, कई असाध्य बीमारियों के संदर्भ में भी प्रार्थनाओं का कारगर असर देखा गया है। इसी अध्ययन दल से जुड़े एक और सहयोगी अध्ययन दल ने आस्ट्रेलिया के डरहम नगर में हृदय की गंभीर बीमारियों से जूझ रहे 150 रोगियों पर प्रार्थनाओं के प्रभाव का अध्ययन किया।
अध्ययन दल ने जिन मरीजों को अपने शोध के लिए चुना था उनमें सभी की एंजियोप्लास्टी होनी थी। शोध दल ने पाया कि जिन मरीजों के लिए गुप्त रूप से प्रार्थनाएं की गयीं उनके आपरेशन में कम से कम जटिलताओं का सामना करना पड़ा बनिस्बत उनके जिनके नसीब में ये प्रार्थनाएं नहीं आयीं। जिंदगी और मौत से जूझ रहे इन मरीजों के लिए भी प्रार्थनाएं करने वाले लोग इनसे अनभिज्ञ थे। वे न तो इन्हें जानते थे और न ही इनसे उनका कोई वास्ता था। हां, प्रार्थना करने वालों के पास इन मरीजों की तस्वीरें जरूर थीं और इन्हीं तस्वीरों को सामने रखकर प्रार्थनाएं की जा रही थीं।
रिप्रोडक्टिव हेल्थ जर्नल की तरह ही हृदय क्षेत्र के एक प्रतिष्ठित जर्नल ने इन प्रार्थनाओं की तारीफ की और इन्हें वैज्ञानिक दृष्टि से कारगर पाया। इस अध्ययन के लिए डरहम के ड्यूक यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर के 150 रोगियों को चुन कर पांच समूहों में बांटा गया। इनमें से चार समूहों को सामान्य उपचार के साथ पूरक उपचार दिया गया। एक को गाइडेड इमेजरी, दूसरे को स्ट्रेस रिलेक्सेशन, तीसरे को हीलिंग टच तो चौथे समूह के लिए प्रार्थना की गयी। जबकि पांचवें समूह को न कोई पूरक उपचार मिला और न प्रार्थना।
रोगियों के लिए प्रार्थना करने के लिए सात अलग-अलग धर्म प्रार्थना समूहों का चयन किया गया। बौद्ध, कै थोलिक, मोरेवियन, ज्यूज, ह्म्दिू और कट्टरपंथी ईसाई, बैपटिस्ट। इन प्रार्थना समूहों ने रोगियों के एक समूह के लिए प्रार्थना की। शोध दल ने पाया कि जिन मरीजों के लिए प्रार्थनाएं की गयीं उनके उपचार में अलौकिक रूप से जटिलताएं खत्म हो गयीं। इससे शोध दल ने यह निष्कर्ष निकाला कि प्रार्थनाएं न सिर्फ रोगियों में आत्मशक्ति बढ़ाती हैं, बल्कि इसकी आध्यात्मिक ऊर्जा कई चमत्कारिक फायदे भी पहुंचाती है।