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स्पेक्ट्रम आर्ट फेयर : विस्मय को कला का केन्द्र बनाने वाली एक अद्भुत यात्रा

25 दिनों में लगभग 20 हजार दर्शकों ने आर्ट फेयर का अवलोकन किया

लखनऊ। फ्लोरेसेंस आर्ट गैलरी द्वारा फीनिक्स पलासियो में आयोजित 24-दिवसीय लखनऊ स्पेक्ट्रम आर्ट फेयर 2025 मंगलवार को सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। 1 नवंबर से 25 नवंबर तक आयोजित यह वृहद कलाझ्रउत्सव लखनऊ की सांस्कृतिक भूमि पर एक सशक्त और दीर्घकालिक प्रभाव छोड़ गया। उद्घाटन के क्षण से ही फेयर ने यह संकेत दे दिया था कि यह केवल एक प्रदर्शनी नहीं, बल्कि शहर के लिए एक व्यापक कलात्मक अनुभव बनने जा रहा है। इस वर्ष की विशेष उपलब्धियों में से एक था—देश भर के 111 कलाकारों की विविध कलाभाषाओं का अद्वितीय संगम, जिसने इस फेयर को राष्ट्रीय स्तर पर विशिष्ट पहचान दी। उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक फैले इन कलाकारों ने अपनी-अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़े अभिव्यक्तिपूर्ण कार्य प्रस्तुत किए। प्रदर्शनी में समकालीन कला के साथ-साथ लोक, पारंपरिक और जनजातीय कलाओं की सशक्त उपस्थिति ने दर्शकों को भारतीय कला-विरासत की व्यापकता और गहराई से परिचित कराया। गोंड,भित्ति-शैली, मधुबनी, पटचित्र, मिनीएचर, नैरेटिव्स, और कई अन्य लोक एवं आदिवासी शैलियों की जीवंत प्रस्तुति ने इस कलाझ्रमेले को विशेष आयाम प्रदान किया। यह केवल विविधता का प्रदर्शन नहीं था, बल्कि इस बात का प्रमाण भी था कि भारतीय कला अपने भीतर परंपरा, लोक-संस्कृति, आधुनिक दृष्टि और वैश्विक अनुभवों का अनोखा समन्वय समेटे हुए है। फेयर में प्रदर्शित चित्रों, फोटोग्राफ्स, मिक्स्ड-मीडिया कार्यों, डिजिटल आर्ट और शिल्पकृतियों ने आगंतुकों को एक विस्तृत, बहुआयामी और गहन कलात्मक अनुभव प्रदान किया। दर्शकों ने कला-कृतियों के माध्यम से समकालीन जीवन, प्रकृति, स्मृति, सामाजिक संरचनाओं और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टियों को कई स्तरों पर महसूस किया। अनेक आगंतुकों ने इस आयोजन को एक जीवंत कलाझ्रविमर्श के रूप में अनुभव किया, जहाँ हर कृति एक नई कथा और हर संवाद एक नई दृष्टि लेकर सामने आता था। इस सत्र में भाग लेने वाले बड़ी संख्या में कलाकारों और विद्यार्थियों ने फीनिक्स पलासियो के परिवेश को लाइव स्केच करते हुए कला को खुले अभ्यास और सामुदायिक रचनात्मकता का रूप दिया। इस कार्यक्रम ने फेयर को और अधिक संवादात्मक और सहभागी बनाया, तथा अंतिम दिनों तक इसकी ऊर्जा को निरंतर बनाए रखा। फेयर के अंतिम सप्ताह तक दर्शकों की उत्सुकता और उपस्थिति में कमी नहीं आई। कला-प्रेमियों और कलाकारों के बीच व्यापक संवाद, कलाकृतियों पर विचार-विमर्श, तथा रचनात्मक प्रक्रियाओं पर गहरी चचार्एँ इस बात का संकेत थीं कि यह आयोजन केवल देखने भर का अनुभव नहीं था, बल्कि यह शहर की सांस्कृतिक चेतना को नए आयाम देने वाला मंच बन चुका था। फीनिक्स पलासियो प्रबंधन की सुव्यवस्थित व्यवस्था और फ्लोरेसेंस आर्ट गैलरी की समन्वित टीमझ्रवर्क ने इस 24-दिवसीय यात्रा को सहज, आकर्षक और प्रभावी बनाए रखने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। क्यूरेटर भूपेंद्र अस्थाना और राजेश कुमार ने बताया कि स्पेक्ट्रम आर्ट फेयर 2025 की भव्यता और विविधता का सबसे सशक्त प्रमाण रहे वे कलाकार, जिन्होंने देश के विभिन्न राज्यों से आकर इस महोत्सव को अपनी विशिष्ट रचनात्मकता से समृद्ध किया। हैदराबाद से अहोबिलम प्रभाकर, राजस्थान से अभिषेक जोशी, अमित हरित, अमित कल्ला, कैलाश साहू, लक्ष्मण सिंह जाट और राहुल उशाहरा, उत्तर प्रदेश से अजय कुमार, अनिल सोनी, अंशु मोहन, अपूर्वा, अश्वनी प्रजापति, अवनीश कुमार, अवधेश मिश्रा, बिजेन्द्र महाली, डॉ. कुमुद सिंह, डॉ. लकी टोंक, डॉ. स्तुति सिंगल, खुशबू उपाध्याय सोनी, मोहम्मद मजीद मंसूरी, मनीषा कुमारी, मेनाज बानो, प्रतीक मिश्रा, प्रेम शंकर प्रसाद, प्रियंका वर्मा, राजेन्द्र प्रसाद, राजेश कुमार सिंह, डॉ. राम शब्द सिंह, रश्मि श्रीवास्तव, रतेंद्र कुमार विश्वकर्मा, रवि कुमार अग्रहरि, ऋषभ गौतम, संध्या यादव, संजय कुमार राजपूत, श्रेया डे, शुभंकर तरफदार, शुचिता सिंह, स्वर्गीय सुखवीर सिंघल, सुमित कुमार, उदय राज मौर्य, राम मिलन सिंह, विशाल गुप्ता, सोनाली, हर्षदेश श्रीवास्तव, एन. के. मिश्रा, विकास प्रताप सिंह और गोरखपुर से मनोज कुमार—इन सभी ने उत्तर भारतीय कलाभाव को सशक्त उपस्थिति दी।

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