लखनऊ। कर्बला के शहीदों की याद में दो महीने आठ दिन से चल रहा मजलिस-ओ-मातम व जुलूसों का सिलसिला रविवार को चुप ताजिये के जुलूस के साथ खत्म हो गया। विक्टोरिया स्ट्रीट स्थित इमामबाड़ा नाजिम साहब से बड़ी अकीदत, एहतराम ओर आंसुओं के साथ जुलूस, ताजियेखानों से अब होते हैं रुखसत इमाम, आखरी मातम है आज होते हैं रुखसत इमाम जैसी सदाओं के साथ रौजा-ए-काजमैन ले जाया गया।
नाजिम साहब इमामबाड़े से जुलूस सुबह की नमाज के बाद निकला। जुलूस में लखनऊ सहित विभिन्न शहरों से आए हजारों अजादार थे, जिसमें पुरुषों के साथ महिलाएं एवं बच्चों ने आंसुओं का नजराना पेश किया। जुलूस अकबरी गेट, नक्खास, बिल्लौचपुरा से दाहिने मुड़कर गिरधारी सिंह इंटर कालेज व मंसूर नगर होते हुए रौजा-ए-काजमैन पहुंचा। जुलूस में रास्ते भर बुजुर्ग व बच्चे नकाबत पढ़ते चल रहे थे। जुलूस में सबसे आगे हाथी पर अलम लिए अजादार, जुलजनाह, हजरत अली असगर का झूला, हजरत अब्बास के अलम और दो ताजिये शामिल थे। जुलूस में सबसे पीछे ऊंटों पर सजी अमारियां थी। जुलूस निकलने से पूर्व मजलिस को मौलाना यासूब अब्बास ने खिताब किया। मजलिस के बाद इमामबाड़े से जैसे ही ताजिये बाहर निकले तो हजारों हाथ ताजियों को चूमने लगे। रास्ते भर अकीदतमंद ताजियोंए अलम, ताबूत और झूले पर फूलों की चादरें व हार डाल रहे थे। जुलूस को अजादार रौजा.ए.काजमैन के अंदर ले गये और कत्लेगाह में दोनों ताजियों को बड़ी अकीदत के साथ दफ्न किया गया। जुलूस के दौरान सुरक्षा के थे कड़े इंतजाम थे।
देर तक मनाया गम-ए-हुसैन
रविवार को देर रात तक गम-ए-हुसैन में डूबे अजादारों ने नौहाख्वानी व सीनाजनी करके हजरत फातिमा जहरा को उनके लाल का पुरसा दिया। सुबह से कर्बला दियानतुद्दौला व काजमैन में 250 से अधिक अंजुमनों ने अपने अलविदायी अलम के साथ सीनाजनी की। कई अंजुमनों ने छुरी व कमां का मातम किया जिसमें छोटे.छोटे बच्चे भी शामिल थे। महिलाओं ने भी घरों में नम आंखों के साथ इमाम की रूखसत के नौहे पढ़े। अंजुमन काजमियां आबिदया और अंजुमन हुसैनिया कदीम ने भी अलविदायी अलम की जियारत करायी। इमामबाड़ा अबुतालिब हसन पुरिया में अंजुमन गुंचा.ए.मजलूमियां के अलविदायी अलम की जियारत कराई गयी। अंजुमन काजमियां आबिदया की अलविदायी मजलिस रौजाए काजमैन रौजे में हुई जिसको मौलाना यासूब अब्बास ने खिताब किया।
ईद-ए-जहरा आज
दो महीने आठ दिन तक चला कर्बला के शहीदों के गम का सिलसिला रविवार को समाप्त हो गया। शिया समुदाय सोमवार को नौ रबीउल अव्वल के मौके पर ईद-ए-जहरा का पर्व मनायेगा। इस खुशी के मौके पर शिया समुदाय एक.दूसरे को ईद-ए-जहरा की मुबारक देंगे। मोहर्रम का चांद दिखते ही जहां शिया समुदाय के लोग काले लिबास पहनते हैं और कोई खुशी न तो मनाते हैं और न ही किसी खुशी में शरीक होते हैं।