कथा पंडाल में उमड़ी भक्ति की बयार, झांकियाँ बनी आकर्षण का केंद्र
लखनऊ। राजा दशरथ जी के घरवा, आज जन्में ललनवां…, कौशल्या के गोद खिलौना हो, कहुं नजर न लागे…, बृज में हो रही जय जयकार, नंद घर लाला जायो है…, नंद के घर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की… जैसे भजनों पर भक्त जमकर झूमे। मौका था विश्वनाथ मंदिर के 34वें स्थापना दिवस के मौके पर श्रीरामलीला पार्क, सेक्टर – ‘ए’, सीतापुर रोड योजना कालोनी में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के पाँचवें दिन सोमवार मनाए गए प्रभु श्रीराम और श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का। कथा स्थल भक्ति और उत्साह से सराबोर दिखाई दिया। कथाव्यास आचार्य पं. गोविंद मिश्रा द्वारा सुनाई गई प्रभु श्रीराम और भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की अमृतमयी कथा ने श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर दिया।
कथा के दौरान जैसे ही राम जन्म और कृष्ण जन्म का मंचन हुआ, पूरा पंडाल उत्सव में डूब गया और जय श्रीराम और जय श्रीकृष्ण के जयकारों से गूँज उठा। श्रद्धालुओं ने नाच-गाकर जन्मोत्सव मनाया और बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी भक्ति भाव में झूम उठे। विशेष रूप से सजे मंच पर प्रस्तुत राम जन्म और कृष्ण जन्म की झांकियाँ भक्तों के आकर्षण का मुख्य केंद्र रहीं। कलाकारों की प्रस्तुति ने मानो पौराणिक युग को सजीव कर दिया हो।
कथाव्यास पं. गोविंद मिश्रा ने श्रीराम जन्म का वर्णन करते हुए कहा कि अयोध्या में राजा दशरथ के घर चार पुत्रों का आगमन हुआ और श्रीराम ने धर्म, नीति और आदर्शों से भरे हुए जीवन का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि आज के समय में भी श्रीराम के आदर्शों को जीवन में अपनाने की आवश्यकता है। मयार्दा, संयम और सत्य के पथ पर चलकर समाज में फैलते वैमनस्य और कलह को दूर किया जा सकता है।
भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का प्रसंग सुनाते हुए उन्होंने कहा कि कंस के अत्याचारों से मुक्त कराने हेतु कृष्ण का जन्म दिव्य संकल्प का प्रतीक है। देवकी-वासुदेव की कोठरी में जन्म लेते ही जैसे वातावरण आनंद से भर गया था, उसी तरह आज भी कृष्ण के उपदेश और जीवन चरित्र मानवता को प्रकाश की ओर ले जाते हैं। उन्होंने बताया कि श्रीकृष्ण का संदेश कर्म, कर्तव्य और प्रेम आधुनिक समाज के लिए अत्यंत प्रासंगिक है। परिवारिक विघटन, अहंकार और मानसिक तनाव जैसी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए कृष्ण के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए।





