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शारदीय नवरात्र : माता के जयकारों से दिन भर गूंजते रहे मंदिर

लखनऊ। शारदीय नवरात्र पर्व पर देवी मंदिरों में पूरी श्रद्धा व भक्ति के साथ पूजन-अर्चन का दौर जारी है। गुरुवार को कई भक्तों ने आज ही माता रानी के महागौरी स्वरूप की आराधना की। नौ दिन का व्रत रखने वाले भक्तों के अलावा अंतिम दिन का व्रत रखने वाले श्रद्धालुओं ने व्रत रखा। कई जगह बाद में हवन और कन्या पूजन किया। शुक्रवार को नौ दिन का व्रत रखने वाले श्रद्धालु हवन-पूजन कर अपने व्रत की पूणार्हुति करेंगे। मंदिरों में गत दिनों की अपेक्षा ज्यादा भीड़ दिखी। सुबह से ही घंटे व देवी गीतों की धुनें गूंजने लगी। चौक के बड़ी कालीजी मन्दिर, छोटी कालीजी मन्दिर, राजाजीपुरम के माता शीतला देवी मन्दिर, रानी कटरा चैपटिया के संकटा देवी मन्दिर, सीतापुर रोड के मां विध्यांचल देवी मन्दिर, बक्शी तालाब के चन्द्रिका देवी मन्दिर समेत अन्य मन्दिरों में विधि-विधान से पूजन.अर्चन के बाद मां गौरी से अपने परिवार में अमन, चैन, सुख व समृद्धि का आशीर्वाद मांगा। ठाकुरगंज के मां पूर्वी देवी मन्दिर में महागौरी स्वरुप की आराधना हुई।

इक्यावन शक्ति पीठ में महा अष्टमी पर हुआ हवन

लखनऊ बख्शी तालाब स्थित 51 शक्तिपीठ तीर्थ स्थल पर नवरात्रि की अष्टमी पर माता महागौरी की आराधना भक्तों ने की । नवरात्र की महाअष्टमी पर मां का परंपरागत वर्णांबर श्रृंगार किया गया। मां महागौरी के पिंडी पूजन का सौभाग्य 51 शक्तिपीठ संस्थापक मां को प्राप्त हुआ। बाद में हवन प्रारंभ हुआ और पूूणार्हुति हुई।

शीतल बाग आश्रम जेहटा में गूंजी मां भवानी की स्तुतियां
आश्रम में हुआ माता का जागरण


लखनऊ। सिद्ध समाधि लीन श्री प्यारे जी महाराज शीतल बाग, आश्रम, जेहटा, निकट अटल प्रेरणा स्थल में नौ दिवसीय नवरात्र पूजन अनुष्ठान की श्रृंखला में मंदिर परिसर में महासप्तमी पूजन हुआ। शाम को उत्तर प्रदेश संस्कृति विभाग के पंजीकृत कलाकार भजन गायिका रिंकी सिंह व उनके साथी कलाकारों ने भव्य भजन संध्या हुई। शीतल बाग के जनसेवक राजाभाई के संयोजन में हुई भजन संध्या में कलाकारों ने एक बढ़कर एक शानदार भजनों से पूरा वातावरण भक्तिमय कर दिया। उन्होंने माता रानी के सुमधुर गीतों देवी मइया बइठो मेरे अंगनाङ्घ, निमिया की डारङ्घ, कैसे आएंगे भगवान जैसे सुमधुर भजनों से श्रद्धालुओं को आनंदित कर दिया। कलाकार व सह-गायक राहुल सोलंकी ने मेरे अंगना पधारो गणेश जीङ्घ भजन सुनाकर प्रशंसा पाई। ढोलक पर योगेश, कीबोर्ड पर रोहित कुमार, हारमोनियम पर राहुल व आॅक्टोपैड पर शैलेंद्र सिंह ने शानदार वाद्य संगत कर प्रभावित किया।
इस दौरान शीतल बाग आश्रम के मुख्य पुजारी बाबा कमलेश और मुख्य श्रद्धालुओं में सीमा तिवारी, कांति अवस्थी, गायत्री, अर्जुन, श्रेयांश, पूजा, विनय तिवारी, सत्येंद्र सिंह पटेल, प्रमिला यादव, उमा शुक्ला, आलोक तिवारी व जंगलेश्वर के बच्चा भाई ने सहित अनेक श्रद्धालु ने शामिल होकर माता रानी जगदंबा का गुणगान किया। जनसेवक राजा भाई ने बताया कि 11 अक्टूबर को सुबह 12 बजे कन्या पूजन झ्र शाम 7 बजे – मां महागौरी का पूजन आरती होगी। 12 अक्टूबर को मां दुर्गा पूजन व सुहाग पूजन आरती झ्र सुबह 10 बजे होगा।

संध्या आरती में काली कीर्तन किया गया
शाम को देवी दुर्गा की तीन पुजारियों ने एक साथ संध्याआरती की। मठ के अध्यक्ष के कुशल नेतृत्व में समूह में काली कीर्तन गाया गया। देवताओं की पूजा के बाद देवी और उपस्थित भक्तगणों के मनोरंजन के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये। सांस्कृतिक कार्यक्रम में सुशान्त मुखर्जी ने वायलिन वादन की प्रस्तुति दी। इस दौरान तबले पर संगत दे रहे थे पंडित शीतल प्रसाद मिश्र।

महाअष्टमी व नवमी आज, भक्त करेंगे कन्या पूजन
लखनऊ। शारदीय नवरात्रि में कन्या पूजन का खास महत्व है। महाष्टमी को महा दुर्गाष्टमी भी कहा जाता है। दुर्गा पूजा में महाष्टमी का विशेष महत्व है। महास्नान व षोडशोपचार पूजन के साथ महाष्टमी प्रारंभ होता है। इस साल महाअष्टमी तिथि को लेकर संशय था। यानि अष्टमी व कन्या पूजन कब होगा।
पंचांग के अनुसार अष्टमी 10 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 31 मिनट से प्रारंभ है। 11 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 06 को अष्टमी का समापन होगा। दूसरी ओर नवमीं तिथि 11 अक्टूबर को दोपहर दोपहर 12.6 बजे से शुरू होकर 12 अक्टूबर को सुबह 10.58 बजे तक है। 10 अक्टूबर को अष्टमी व्रत रखना शास्त्र सम्मत नहीं है। धर्म ग्रंथों के अनुसार सप्तमी युक्त अष्टमी पर व्रत निषेध है। अष्टमी तिथि 11 अक्टूबर को दोपहर तक है, उसके बाद नवमी शुरू हो जायेगा। इस कारण इस साल अष्टमी के दिन ही नवमीं पड़ रहा है।
पं. बिन्द्रेस दुबे के अनुसार 2-10 साल की कन्याओं को कुमारी/कन्या पूजन के लिए उपयुक्त माना जाता है। एक साल की बच्ची का कन्या पूजन करने से बचना चाहिए। इस दौरान लोग अपनी क्षमता और आस्था के आधार पर कन्या पूजन और सम्मान करते हैं। कन्या पूजन के दौरान देवी के नौ रूपों के रूप में देखा जाता है।

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