अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान में तीन दिवसीय कबीर फेस्टिवल में नाटक का मंचन
लखनऊ। गोमती नगर के अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान में तीन दिवसीय कबीर फेस्टिवल के 10वें वर्ष का शानदार आगाज से पहले बुधवार को बेशरम का पौधा नाटक का मंचन संस्थान परिसर में हुआ। नाटक का उद्घाटन बौद्ध संस्थान से राकेश, प्रो. सदानंद शाही एवं अन्य अतिथि ने दीप प्रज्जवलन कर किया।
समानता और नाटक पर बोलने के लिए बनारस से बीएचयू के पूर्व प्रो. सदानंद शाही उपस्थित रहे। उन्होंने बुद्ध का दर्शन, समानता, संविधान और आज के नाटक पर उद्घाटन संबोधन दिया। इस एकल नाटक को अभिनेता और लेखक राजेश निर्मल ने प्रस्तुत किया। यह प्रस्तुति स्वतंत्रता, गरिमा और पहचान जैसे संवैधानिक मूल्यों पर चिंतन करती है। हमारा मानना है कि यह कार्यक्रम संविधान दिवस के महत्व और कबीर महोत्सव के कलात्मक संदेश के अनुरूप है। बेशरम का पौधा प्रस्तुति वास्तविक जीवन की घटनाओं पर आधारित है, जो कई लोगों (जीवित और दिवंगत) से गहराई से जुड़ी है। बेशरम का पौधा कलाकार के गांव से शहर तक के जीवन अनुभवों के बीच एक पुल की तरह खड़ा है। राजेश कहानियों, खेल, कपड़े और व्यक्तिगत प्रसंगों से भारत की जाति आधारित समाज व्यवस्था की रोजमर्रा की वास्तविकताओं से होकर गुजरते हैं।
इस समाज में जीवित रहने, बंधन तोड़ने, और जन्म के संयोग से परे जाकर स्वयं को स्थापित करने की यात्रा में उन्होंने अपना जीवन उसी बेशरम के पौधे की तरह जिया है, जिसे गांव और शहर दोनों जगह बार-बार उखाड़कर फेंक दिया जाता है। उसी जिद्दी पौधे की तरह राजेश उखड़ने से इनकार करते हैं। उसी शक्ति के साथ मंच पर अपनी सच्चाइयों को रखते हैं, जिस शक्ति से समाज ऐसे जीवन और सच्चाइयों को छिपाने की कोशिश करता है। यह प्रस्तुति जाति आधारित संघर्षों को खुलकर सामने लाती है। दर्शकों से एक गहरा सवाल पूछती है कि हमारे जीवन में जाति क्या भूमिका निभाती है? कार्यक्रम में वीरेन यादव, राकेश, सुभाष कुशवाहा, अंकिता, पूनम ठाकुर, राकेश वेदा, अतुल हुंडू, हफीज किदवई, डॉ. प्रभा, आनंद वर्द्धन, सूर्य मोहन, उपमा चतुवेर्दी, नागेंद्र, नाइश हसन आदि रहे।





