लखनऊ। शब-ए-बारात को इस्लाम धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों में एक माना गया है। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार शब-ए-बारात हर साल शाबान (शआबान या शाबान इस्लामी कैलेंडर का 8वां महीना) की 15वीं तारीख को होती है। शब-ए-बारात की रात मुसलमान पूरी रात जागकर नमाज अदा करते हैं, कुरान पढ़ते हैं और अल्लाह की इबादत करते हैं। यह मान्यता है कि शब-ए-बारात की रात सच्चे दिल से की गई इबादत को अल्लाह जरूर पूरी करते हैं। 13 फरवरी को शब-ए-बारात अकीदत व एहतराम के साथ आज मनाया जायेगा। इस दिन गुनाहों से निजात की रात शब-ए-बारात पर मुस्लिम समुदाय के लोग पूर्वजों की कब्रें रोशन करेंगे और दुआ करेंगे।
मुस्लिम समुदाय के लोग शब-ए-बारात को शाबान महीने की 14वीं तारीख को सूर्यास्त के बाद मनाते हैं। शाबान इस्लामिक कैलेंडर का आठवां महीना है, जोकि रजब के बाद आता है। इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक, पीर (सोमवार) 12 फरवरी को शाबान महीने की शुरूआत होगी। शाबान महीने की 14वीं और 15वीं तारीख के बीच की रात को शब-ए-बारात मनाई जाएगी, जोकि इस साल गुरुवार, 13 फरवरी को है।
शब-ए-बारात का महत्व:
शब-ए-बारात में शब का अर्थ रात से होता है और बारात का अर्थ होता है बरी या आजाद करना। इसलिए शब-ए-बारात की रात लोग अल्लाह की इबादत कर अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं और अल्लाह उन्हें माफ कर देते हैं। इसलिए शब-ए-बारात की रात मुसलमान नमाज पढ़ते हैं, कुरान की तिलावत करते हैं, अल्लाह की इबादत करते हैं और दुआ आदि जैसे काम करते हैं।
क्षमा मांगने की रात है शब-ए-बारात:
शब-ए-बारात की रात को मगफिरत की रात यानी क्षमा मांगने की रात भी कहा जाता है। इस रात लोग अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं। मान्यता है कि, शब-ए-बारात की रात की गई इबादत से गुहानों से छुटकारा मिलता है। बता दें कि शब-ए-बारात समेत जुमे की रात, ईद-उल-फितर की रात, ईद-उल-अजहा की रात, रजब की रात जैसे पांच रातों को इस्लाम में गुनाह माफ करने वाली रात माना जाता है। इस रात की गई दुआ से अल्लाह सारे गुनाह माफ कर देता है।
शब-ए-बरात को लेकर कब्रिस्तान, मस्जिदों में हुई साफ-सफाई
लखनऊ। शब-ए-बरात पर्व गुरुवार को अकीदत व एहतराम के साथ मनाया जाएगा। तैयारियां मुकम्मल की जा रही हैं। शबेबरात का अर्थ होता है छुटकारे की रात यानी गुनाहों से निजात की रात। दीन-ए-इस्लाम में इस रात की बड़ी अहमियत बयान की गई है।
उन्होंने कहा कि जो लोग इस्लाम के साए में रहते हैं, उनके लिए हर साल कुछ रातें ऐसी होती हैं जिन्हें अल्लाह ने बाकी रातों पर बरकत दी है उनमें से एक शाबान का महीना है। शबेबरात की तैयारियों को अन्तिम रूप दिया जा रहा है। शबेबरात की पूरी रात इबादत में गुजरेगी। मुसलमान अल्लाह का जिक्र करसत से, कजा व नफ्ल नमाज, रोजा, तस्बीह व कुरआन की तिलावत करें। शहर की मस्जिदों, कब्रिस्तान, दरगाहों में साफ-सफाई हुई। दरगाहों को रोशनी से सजाया जाएगा। शबेबरात को लेकर इदारा ए शरिया फिरंगी महल लखनऊ में मुफ्ती अबुल इरफान मियां फिरंगी महली की अध्यक्षता में शहर के विभिन्न संगठनों के पदाधिकारियों के साथ एक बैठक भी हुई। बैठक में आॅल इंडिया मोहम्मदी मिशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सैयद इकबाल, मौलाना अफ्फान अतीक फरंगी महली, सैद अहमद नदीम, एडवोकेट फैजान फरंगी महली, अलहे सुन्नत संगठन के महासचिव शम्स तबरेज, संगठन के अध्यक्ष मौलाना यार मोहम्मद समेत अन्य मौजूद रहे।
जियारत के लिए दरगाहों पर उमड़ेगी भीड़:
अकीदतमंद शबेबरात की रात शहर की छोटी बड़ी तमाम मस्जिदों व घरों में इबादत कर अल्लाह से दुआ मांगेंगे। वहीं कब्रिस्तानों में जाकर पूर्वजों की कब्रों पर फातिहा पढ़कर उनकी बख्शीश की दुआ करेंगे। इसके साथ ही दरगाह शाहमीना शाह, दरगाह शाह दोसी खदरा, दरगाह खम्मन पीर समेत सभी दरगाहों पर जियारत करने वालों की भीड़ उमड़ेगी। देर रात तक लोग नफ्ल नमाज व तिलावते कुरआन पाक कर अपना मुकद्दर संवारने की दुआ करेंगे। अगले दिन रोजा रखकर इबादत करेंगे। मगरिब की नमाज के बाद सभी लोग रास्ते भर दुरूद शरीफ और वजीफे पढ़ते हुए आस्ताना औलिया अल्लाह और कब्रिस्तान के लिए रवाना हों ताकि आपका हर कदम आपके बुजुर्गो के लिए इसाले सवाब हो ।