नई दिल्ली। भारत में संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम (यूएनडब्ल्यूएफपी) भारत के निदेशक ने कहा कि मध्याह्न भोजन (मिड-डे मील) योजना देश के लाखों बच्चों के लिए जीवनरेखा की तरह है और जब विद्यालय खुलने लगे हैं तो ऐसे में विद्यार्थियों को गर्म पका हुआ खाना मुहैया कराने की व्यवस्था को फिर से शुरू करने की जरूरत है।
निदेशक बिशॉ पराजुली ने कहा कि कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए लागू लॉकडाउन के बीच भी समावेशी कदमों और मौजूदा खाद्य सुरक्षा जैसी व्यवस्थाओं के जरिए स्कूली बच्चों में पोषण को प्रभावित नहीं होने देने का भारत एक अहम उदाहरण है। उन्होंने कहा कि मध्याह्न भोजन योजना देश में लाखों बच्चों की जीवनरेखा और आधार है तथा इसका बच्चों के दैनिक आहार पर उल्लेखनीय प्रभाव भी है।
लॉकडाउन के बाद स्कूल फिर से खुल रहे हैं और ऐसे में जरूरी है कि गर्म, पके हुए खाने की व्यवस्था के साथ यह फिर से यह बहाल हो जाए। देश में पिछले साल महामारी से निपटने के लिए मार्च में विद्यालयों को बंद कर दिया गया था। कुछ राज्यों में 15 अक्टूबर से स्कूल धीरे-धीरे खुल रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र की एक हालिया रिपोर्ट में कोविड-19 महामारी के दौरान वैश्विक स्तर पर स्कूलों में भोजन योजनाओं पर अल्पकालीन या दीर्घकालीन नकारात्मक प्रभाव के सबूत मिले हैं। इस रिपोर्ट में इसको भी रेखांकित किया गया है कि बालिकाओं के पढ़ाई छोडऩे या उन्हें जल्द ही स्कूल से बाहर निकाल लेने का खतरा है, जिससे उनके पोषण पर असर पड़ सकता है।