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सावन शिवरात्रि आज, शिवालयों मेेंं होगा जलाभिषेक

लखनऊ। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि का व्रत रखा जाता है। भगवान शिव को समर्पित इस व्रत को करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। ऐसे ही श्रावण मास की शिवरात्रि का विशेष महत्व होता है। इसे सावन शिवरात्रि, श्रावण शिवरात्रि आदि नामों से जाना जाता है। इस दिन शिव-पार्वती की पूजा करने से व्यक्ति को हर समस्या से निजात मिलने के साथ धन लाभ मिलता है। इसके साथ ही मनचाही इच्छा पूरी होती है। सावन शिवरात्रि की सही तिथि, मुहूर्त और महत्व वैदिक पंचांग के अनुसार, श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 02 अगस्त को दोपहर 03 बजकर 26 मिनट पर शुरू हो रही है, जो अगले दिन यानी 03 अगस्त को दोपहर 03 बजकर 50 मिनट पर समाप्त होगी। इस दिन पूजा निशिता काल में की जाती है। इसलिए इस सवन शिवरात्रि 2 अगस्त 2024 को होगी।

सावन शिवरात्रि शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 31 मिनट से 05 बजकर 15 मिनट तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 45 मिनट से 03 बजकर 37 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त – शाम 07 बजकर 08 मिनट से 08 बजकर 13 मिनट तक
निशिता मुहूर्त – रात 12 बजकर 12 मिनट से 12 बजकर 55 मिनट तक
सर्वार्थसिद्धि योग – 2 अगस्त को सबह 10 बजकर 59 मिनट से 3 अगस्त को सुबह 6 बजकर 2 मिनट तक

सावन शिवरात्रि 2024 महत्व
सावन के महीने में पड़ने वाली शिवरात्रि का विशेष महत्व है, क्योंकि ये माह भगवान शिव का प्रिय माह है। इसलिए इस माह में पड़ने वाली मासिक शिवरात्रि के दिन शिव पूजा करने से कई गुना अधिक फलों की प्राप्ति होती है। इस दिन कांवड़ यात्रा के दौरान कांवड़ियों द्वारा लाए गए पवित्र जल को शिवलिंग में चढ़ाते हैं, जिससे उनकी हर एक मनोकामना पूरी हो।

19 साल बाद इस खास नक्षत्र में सावन की शिवरात्रि
सावन का महीना देवों के देव महादेव को समर्पित है। इस महीने में भगवान शिव मां पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही सावन में सावन सोमवार व्रत और मंगला गौरी व्रत किए जाते हैं, इसके अलावा सावन शिवरात्रि का भी पर्व मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन मासिक शिवरात्रि व्रत रखा जाता है। पंचांग के अनुसार, सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 02 अगस्त को दोपहर 03 बजकर 26 मिनट से शुरू होगी। वहीं, अगले दिन यानी 03 अगस्त को दोपहर 03 बजकर 50 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में सावन शिवरात्रि व्रत अगस्त 2, 2024, शुक्रवार को रखा जाएगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 19 साल बाद सावन की शिवरात्रि शुभ नक्षत्र में आ रही है। इसी नक्षत्र और एक ही तारीख में सावन शिवरात्रि साल 2005 में मनाई गई थी। साल 2005 में सावन शिवरात्रि 2 अगस्त को मनाई गई थी और वर्तमान में साल 2024 में सावन शिवरात्रि का आगमन भी 2 अगस्त को होगा, वहीं 19 साल बाद एक ही नक्षत्र में सावन शिवरात्रि का आगमन होगा जिससे भोले बाबा को जल अर्पित करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होगी।

आर्द्रा नक्षत्र में सावन की शिवरात्रि
पं. बिन्द्रेस दुबे ने बताया कि साल 2005 में सावन की शिवरात्रि आर्द्रा नक्षत्र में 2 अगस्त को मनाई गई थी वहीं साल 2024 में भी सावन की शिवरात्रि 2 अगस्त को आर्द्रा नक्षत्र में ही मनाई जाएगी। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सावन की शिवरात्रि के दिन आर्द्रा नक्षत्र होने से शिव भक्तों को विशेष लाभ की प्राप्ति होगी, वैसे ज्योतिष शास्त्रों में आर्द्रा को गीला कहते हैं। सावन की शिवरात्रि के दिन भोलेनाथ को गंगाजल अर्पित करना विशेष फलदायक होता है। जिन मनोकामनाओं को लेकर कांवड़ यात्रा की जाती है भगवान शिव उसे पूरा कर देते हैं। वहीं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार आर्द्रा नक्षत्र शुभ नक्षत्र होता है। इस नक्षत्र में भगवान शिव को जल अर्पित करने से व्यक्ति के बिगड़े हुए काम और रुके हुए सभी काम पूरे हो जाते हैं और भगवान शिव की कृपा बनी रहती है। 19 साल बाद एक ही तारीख और एक ही नक्षत्र में सावन की शिवरात्रि का आगमन सभी के लिए बेहद ही लाभकारी होगा।

सावन शिवरात्रि पूजन विधि
सावन शिवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठ जाएं और स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। फिर घर के पास किसी मंदिर में जाकर शिवलिंग पर पंचामृत चढ़ाएं। ध्यान रहे कि पंचामृत में तुलसी के पत्तों का इस्तेमाल नहीं करना है। इसके बाद भगवान शिव के बीज मंत्र ॐ नम: शिवाय का जप करते हुए शिवलिंग पर बेलपत्र, फल और फूल इत्यादि चढ़ाएं। फिर शिव चालीसा का पाठ करें। इसके बाद शिवरात्रि की कथा सुनें और अंत में शिव जी की आरती करें। इसके बाद भगवान को भोग लगाएं और प्रसाद सभी में बांट दें। कहते हैं जो व्यक्ति सच्चे मन से सावन शिवरात्रि का व्रत रखता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। इस व्रत में सुबह-शाम दोनों समय शिव जी की विधि विधान पूजा की जाती है। शाम की पूजा के समय कथा जरूर सुनें। साथ ही शिव पुराण और शिव स्तुति का पाठ जरूर करें। इस दिन फलाहार भोजन किया जाता है। अन्न का सेवन बिल्कुल भी नहीं किया जाता। हालांकि आप खाने में सेंधा नमक का इस्तेमाल कर सकते हैं। व्रत का पारण अगले दिन शुभ मुहूर्त में किया जाता है।

शिवालयों में भोले बाबा का होगा विशेष शृंगार:
सदर बाजार स्थित द्वादश ज्योर्तिलिंग धाम में सावन शिवरात्रि पर भोलेनाथ का विशेष शृंगार होगा तथा 13 परिवारों द्वारा महारुद्राभिषेक पूजन पं. मगलू पाधा के सानिध्य में होगा। मन्दिर समिति के अध्यक्ष राजेश चन्द्र अग्रवाल ने बताया कि मन्दिर सुबह पांच बजे खुल जायेगा और भक्तों के लिए सभी ज्योर्तिलिंगों पर गंगाजल से अभिषेक करने की सुविधा रहेगी। उन्होने बताया भोलेनाथ पर चढ़ा हुआ दुध बाद में भक्तों को प्रसाद के रुप में बांट दिया जाता है। रविवार को बड़ी संख्या में लोगों ने रुद्राभिषेक कराया।

यहां भी होंगे विशेष आयोजन:
मनकामेश्वर सहित शहर के सभी शिवालयों में विशेष पूजा अर्चना होगी। चैपटिया स्थित प्राचीन बड़ा शिवाला में सावन शिवरात्रि पर भोलेनाथ का फूलों से शृंगार होगा। तथा आचार्यो द्वारा रुद्राभिषेक का आयोजन किया जायेगा। नादान महल रोड पर स्थित सिद्धनाथ मन्दिर सजावट व भोलेनाथ का श्रंगार देखने वाला होता है। प्राचीनकाल से चला आ रहा यहां का रुद्राभिषेक प्रसिद्ध है। प्रत्येक सोमवार को करीब 50 लीटर दुध से भोलेनाथ का अभिषेक करेंगे। चौक स्थित कोनेश्वर महादेव मन्दिर में कई कुंटल फूलों से भोलेनाथ का शृंगार और रुद्राभिषेक होगा। आगामीढ़ ढ्योढ़ी सुभाष मार्ग स्थित महामंगलेश्वर महादेव मन्दिर सावन के शिवरात्रि को गेंदा, गुलाब, चांदनी आदि फलों से मन्दिर को सजाया जाएगा। मोहान रोड स्थित बुद्धेश्वर महादेव मन्दिर में पूरे सावन भर तथा सावन के बुधवार को यहां मेला लगेगा। खदरा के आशुतोष शिव मन्दिर के महंत सुरेन्द्र दास ने बताया कि सावन के सभी सोमवार को ओम नम: शिवाय का संगीतमय पाठ होगा।

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