लखनऊ में सांसद निधि से बनेगा साहित्यकार भवन : डॉ. दिनेश शर्मा

साहित्य उत्थान के संकल्प के साथ हुआ साहित्य सभा के अधिवेशन का समापन

कविता में सोशल मीडिया के उपयोग और मंचों पर महिला रचनाकारों के संघर्ष पर हुई चर्चा

लखनऊ। उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के वार्षिक अधिवेशन साहित्य संकल्प का आज दूसरे दिन साहित्य एवं कवि सम्मेलन से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर परिचर्चा, पुस्तक विमोचन एवं कविता पाठ के साथ समापन हुआ। समापन समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व उप मुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद डॉ. दिनेश शर्मा उपस्थित रहे।
सभा संवाद सत्र में प्रसिद्ध कवि डॉ. विष्णु सक्सेना, सर्वेश अस्थाना एवं गजेंद्र प्रियांशु की उपस्थिति में उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के जिला इकाई के संयोजकों ने झांसी से सत्यप्रकाश सत्य, बाराबंकी से प्रदीप महाजन, हरदोई से आरबी शर्मा, अयोध्या से रामानंद सागर, फतेहपुर से आकांक्षा द्विवेदी, गाजियाबाद से नंदिनी श्रीवास्तव, मुरादाबाद से पूजा राणा, सोनभद्र से यथार्थ विष्णु, शाहजहांपुर से इंदु अजनबी, अम्बेडकर नगर से कौशलेंद्र कौशल, आजमगढ़ से बिजेंद्र श्रीवास्तव, कानपुर नगर से रश्मि कुलश्रेष्ठ, लखनऊ दक्षिण से राजीव वर्मा वत्सल, लखनऊ उत्तर से केवल प्रसाद सत्यम, महराजगंज से देवेश पांडेय, इटावा से सत्यदेव सिंह, मैनपुरी से बलराम श्रीवास्तव, बदायूं से सोनरूपा विशाल एवं अन्य सभी जनपद इकाई के प्रतिनिधियों ने वर्ष भर की गतिविधियों से अवगत कराया।
सोशल मीडिया के दौर में कविता विषयक सत्र में वातार्कार कमल आग्नेय ने आमंत्रित वक्ता स्वयं श्रीवास्तव एवं अर्जुन सिंह चांद से परिचर्चा किया। स्वयं श्रीवास्तव ने इस विषय पर बात करते हुए कहा कविता के क्षेत्र में सोशल मीडिया सहयोग तो करता है लेकिन उसके लिए लेखन में गुणवत्ता होनी चाहिए। अर्जुन सिंह चांद ने कहा कि यदि हम सोशल मीडिया पर अपनी रचना में नवीनता नहीं देंगे तो हमें इसका नुकसान उठाना पड़ेगा। उन्होंने बताया सोशल मीडिया ने हमें किताबों से दूर कर दिया है यह एक बड़ी चिंता का विषय है।
साहित्य संकल्प के कवयित्रियों के मंचीय संघर्ष विषय पर वातार्कार पूजा यक्ष ने वक्ता नंदिनी श्रीवास्तव, प्रीति पांडेय एवं शिखा श्रीवास्तव से उनके विचार प्राप्त किए। इस विषय पर प्रीति पांडेय ने कहा यदि कवयित्री मयार्दा के साथ कविता लेखन और शब्द का चयन करती हैं तो उन्हें मंचों पर होने वाले संघर्ष से मुक्ति मिल सकती है। शिखा श्रीवास्तव ने बताया कि मंचों पर पुरुष प्रधानता है। वहीं नंदिनी श्रीवास्तव ने कहा मंचों पर संघर्ष का एक कारण ये भी है कवयित्रियों में आपसी तालमेल अच्छा नहीं होता।
लेखन से प्रकाशन तक सत्र में वातार्कार अर्जुन सिंह चांद ने वक्ता नीरज अरोड़ा एवं नवीन शुक्ल नवीन से लेखकों के पुस्तक प्रकाशन की चुनौतियों पर वार्ता की। नीरज अरोड़ा ने कहा आज के तकनीकी युग में हम कम संख्या से लेकर अधिक संख्या में बहुत आसानी से पुस्तकें छाप सकते हैं।
पहले प्रकाशक चाहता था कि हम लेखक की किताब छापें और बिक्री की जाए लेकिन आज के समय में रचनाकार प्रकाशक के पास जाता है कि किसी तरह किताब छप जाए लेकिन बहुत सारे लेखकों को उसके कंटेंट और बिक्री से कुछ लेना देना नहीं है।
साहित्य तब और अब सत्र में वातार्कार प्रवीण अग्रहरि ने मुख्य वक्ता डॉ. उदय प्रताप सिंह, डॉ. विष्णु सक्सेना एवं बलराम श्रीवास्तव ने अपना अनुभव साझा किया। डॉ. उदय प्रताप सिंह ने कहा बदलते जमाने के साथ कवि सम्मेलन में बदलाव आया है। पहले तो अपने घर में कवि को अच्छी दृष्टि से नहीं देखता था लेकिन बाहर तब भी अच्छा सम्मान और पैसा मिलता था आज उसमें कहीं न कहीं थोड़ा परिवर्तन हुआ है। राज महल में और सड़क दोनों तरफ भी कवियों का सम्मान होता है।
डॉ. विष्णु सक्सेना ने बताया मंचों पर जो कवि सिस्टम के साथ संघर्ष करके आएगा उसके मन में बड़ों के प्रति सम्मान का भाव होता है लेकिन आज के दौर में जो कवि सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों तक पहुंच कर मंचों पर आ रहे हैं उनको बड़े छोटे की कोई परवाह नहीं है। बलराम श्रीवास्तव ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा आज की पीढ़ी को सिर्फ वाहवाही लूटनी है नई पीढ़ी कविता में कमी को स्वीकार नहीं करती।
पुस्तक विमोचन सत्र में अलंकार रस्तोगी की पुस्तक पंडित भया न कोय का लोकार्पण अटल नीरज मंच पर किया गया।
कवियों के स्वास्थ्य की जागरूकता के लिए आयोजित नर हो न निराश करो मन को शीर्षक सत्र में लोहिया अस्पताल के चिकित्सक डॉ रुद्रमणि त्रिपाठी ने कानपुर मेडिकल कॉलेज के मानसिक रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. धनंजय से कवियों के अवसाद की समस्या पर चर्चा की।
सनातन साहित्य सत्र में शेखर त्रिपाठी ने कवि अवधी हरि, महंत विवेक तांगड़ी एवं डॉ. अखिलेश मिश्रा से सार्थक संवाद किया।
फिल्मी पर्दे की मयार्दा पर वरिष्ठ रंगकर्मी डॉ. अनिल रस्तोगी एवं मनोज राजन त्रिपाठी ने वातार्कार आत्म प्रकाश मिश्र के प्रश्नों के उत्तर दिए। वक्ताओं ने फिल्मी पर्दे पर बढ़ती नग्नता और भद्दे शब्दों के खुलेआम प्रयोग पर अपने विचार व्यक्त किए।
साहित्य संकल्प के समापन अवसर पर लोकगायिका सीमा वर्मा ने अपनी प्रस्तुति से उपस्थित साहित्यकारों को लोक साहित्य से जोड़ने का प्रयास किया।

RELATED ARTICLES

मर्यादा पुरुषोत्तम राम का चित और चरित्र बहुत विशाल है : आशुतोष राणा

हर चीज, हर घटना, हर कार्य चुनौतियों से भरा हैलखनऊ। हाल ही में विक्की कौशल के साथ छावा और जुनैद खान के साथ लवयापा...

मंच पर जीवंत हुआ सरदार वल्लभभाई पटेल का युग

मां महेश्वरी सांस्कृतिक सेवा समिति द्वारा राष्ट्रशिल्पी सरदार नाटक का मंचनलखनऊ। भारत रत्न सरदार वल्लभभाई पटेल के डेढ़ सौवें जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में...

मां बोली दिवस में गाओ सच्ची वाणी…सुनाकर मंत्रमुग्ध किया

अंतरराष्ट्रीय मां बोली दिवस स. नरेन्द्र सिंह मोंगा की अध्यक्षता में आयोजितलखनऊ। आजाद लेखक कवि सभा उत्तर प्रदेश की ओर से शुक्रवार को महाराजा...

Latest Articles