उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने किया उद्घाटन
लखनऊ में साहित्य संग्रहालय बनाने की उठी मांग
लखनऊ। उत्तर प्रदेश साहित्य सभा द्वारा आयोजित साहित्य संकल्प का शुभारम्भ राजधानी लखनऊ में उत्तर प्रदेश के कवियों और साहित्यकारों की उपस्थिति में पूरे हर्षोल्लास के साथ किया गया।
अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध संस्थान सभागार के अटल नीरज मंच पर साहित्यकारों के इस समागम का शुभारम्भ उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक, साहित्य सभा के प्रधान संयोजक सर्वेश अस्थाना और वरिष्ठ कवि शिव भजन कमलेश ने दीप प्रज्ज्वल के साथ किया। मुकुल महान द्वारा संचालित उद्घाटन सत्र में प्रदेश के पांच बाल साहित्यकारों को सम्मानित किया गया। साहित्य सभा द्वारा अनीता सिंहा, अनिल किशोर शुक्ल निडर, नीलम राकेश, अलका प्रमोद एवं डा रुचि श्रीवास्तव को बाल साहित्यकार सम्मान प्रदान किया गया। उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने सभी को सम्मान पत्र, अंगवस्त्र एवं प्रतीक चिन्ह भेंट किया।
इसके पश्चात साहित्य संकल्प के प्रथम सत्र में कविता की भाषा और भाव विषय पर वार्ता का सत्र आयोजित किया गया। जिसमें मुख्य वक्ता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. शिवओम अम्बर एवं डॉ. सोनरूपा विशाल से चंद्रशेखर वर्मा ने वार्ता की। शिवओम अम्बर ने साहित्य की परिभाषा में बताया कि सबके हित का भाव लेकर चलने वाली विधा साहित्य होती है। उन्होंने कहा आजकल हिन्दी के प्रति अनायास नकारात्मकता की बाढ़ आई है। दुर्भाग्य है कि कॉन्वेंट स्कूल के फैशन में बच्चों को अब हिन्दी सबसे कठिन विषय लग रहा है। शिवओम अम्बर ने शासन व्यवस्था से मांग की कि शिक्षा व्यवस्था में परिवर्तन करते हुए आवश्यकता है कि हमारे देश में सारा अध्यापन हिन्दी में हो और अंग्रेजी की विशेषज्ञता दी जाए। बच्चों को अंग्रेजी के साथ हिन्दी के संस्कार देने की आवश्यकता है। उन्होंने साहित्यकारों को सुझाव दिया कि आज के दौर में सकारात्मक लेखन की आवश्यकता है, कवि को सहृदय और संकल्पवत्ता होना चाहिए। नई कविता की विधा पर अपने विचार प्रकट करते हुए शिवओम अम्बर ने कहा छंद की सीमा से निकलकर अच्छे भावों को लिखने के लिए नई कविता का जन्म हुआ लेकिन वर्तमान में कुछ लोगों ने नई कविता के नाम पर लेखन की एक विधा को प्रदूषित करने का काम कर रहे हैं । उन्होंने कहा कविता यदि सिर्फ भाव बन कर रहेगी और उसमें विचार सम्मिलित नहीं है तो वह उस लाता की तरह हो जाएगी जिसको वृक्ष का सहारा नहीं मिला।इसके बाद द्वितीय सत्र में पत्रकार सुधीर मिश्र की पुस्तक मुसाफिर हूं यारों पर वातार्कार पंकज प्रसून ने परिचर्चा की। साहित्य संकल्प के तृतीय सत्र तहजीब की खुशबू में वातार्कार अनुपम श्रीवास्तव ने सत्र के वक्ता नवलकांत सिन्हा एवं रवि भट्ट से लखनऊ के मिजाज पर चर्चा की। आयोजन के चतुर्थ सत्र में विनोद शंकर शुक्ल की पुस्तक आओ वन जीवों को जानें एवं बरवै विनोद का लोकार्पण किया गया।अगले सत्र में शायरी की जुबान विषय पर रिजवान फारूकी ने शायर मलिकजादा जावेद एवं संजय शौक से परिचर्चा किया। अवधी संस्कृति एवं कला विषयक संगोष्ठी में वातार्कार विनीता मिश्रा ने पद्मश्री विद्याबिंदु सिंह एवं विनोद मिश्र से वर्तमान में अवधी बोली की महत्ता और भविष्य पर चर्चा की। बातें कुछ कही कुछ अनकही में कवियों के स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं पर चिंता व्यक्त करते हुए उसके समाधान के लिए सुझाव दिए गए। इस सत्र का संचालन डा. रुद्रमणि ने किया एवं बतौर विशेषज्ञ डॉ. अरशद अहमद और भुवन तिवारी उपस्थित रहे। इसके अतिरिक्त साहित्य चोरी और कानून के साथ साथ कविता और करियर विषय पर विद्वानों ने अपने विचार व्यक्त किए। संस्कृति विभाग की तरफ से अमृतलाल गोस्वामी ने आल्हा की प्रस्तुति दी।
इसके साथ ही साहित्य संकल्प के देवल आशीष – निर्मल दर्शन मंच पर कविता पाठ के सत्र का आयोजन किया गया जिसमें इंद्रजीत कौर, सर्वेश शर्मा, अरविंद झा, उत्कर्ष उत्तम, निर्भय निश्चल, श्वेता श्रीवास्तव, प्रमोद श्रीवास्तव, मधु पाठक, वर्षा रानी, अशोक अवस्थी, सुरभि सिंह, बलवंत सिंह, शिखा श्रीवास्तव, सौरभ शुक्ल, केवल प्रसाद सत्यम, प्रदीप तिवारी धवल, प्रवीण श्रीवास्तव, सरिता त्रिपाठी, मुकेश मिश्र, सुनील कुमार त्रिपाठी आदि ने काव्यपाठ किया।
बॉक्स न्यूज
साहित्य सभा द्वारा मुख्यमंत्री को संबोधित साहित्यकारों के कल्याणार्थ एक ज्ञापन उप मुख्यमंत्री को सौंपा गया। जिसमें साहित्यकारों के कल्याणार्थ सहानुभूतिपूर्वक सात मांगों पर विचार कर उचित निर्णय करने का निवेदन किया गया-
1- लखनऊ में आयोजित साहित्य कुम्भ में संस्कृति मंत्री श्री जयवीर सिंह जी द्वारा साहित्यकारों को मासिक पेंशन की घोषणा की गई थी कृपया पेंशन शीघ्रातिशीघ्र प्रारम्भ करने की कृपा करें।
2- बुजुर्ग साहित्यकारों को उ प्र परिवहन की सभी श्रेणी की बसों में एक सहयोगी के साथ नि:शुल्क यात्रा व्यवस्था।
3- प्रदेश के सभी जिलों में साहित्यकारों को सुगम आवास सुविधा के लिए साहित्यकार पुरम बनाया जाये।
4- प्रदेश के सरकारी महोत्सवों में कविसम्मेलन व मुशायरे जैसे साहित्यिक कार्यक्रम इवेंट कम्पनी के बजाए जिले के कवि या साहित्य सभा इकाई के माध्यम से ही कराये जायें।
5- साहित्यकारों को रु20 लाख तक की निशुल्क चिकित्सा व्यवस्था की जाये।
6- प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों डिग्री एवं तकनीकी संस्थानों में प्रतिवर्ष एक साहित्यिक कार्यक्रम युवा प्रेरणा हेतु अवश्य कराया जाये
7- लखनऊ में एक साहित्य संग्रहालय की स्थापना की जाये।