लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने शुक्रवार को कहा कि पिछले कुछ सालों के दौरान विधान मंडलों के कार्य के स्वरूप में बदलाव हुए हैं। आज के समय विधानमंडल न केवल विधि निर्माण का कार्य कर रहे हैं, बल्कि आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन के क्षेत्र में भी अग्रणी हैं। कॉमनवेल्थ पार्लियामेंट्री एसोसिएशन के दो दिवसीय सम्मलेन के समापन सत्र में पटेल ने कहा कि विधानमंडलों के कार्य के स्वरूप में बदलाव के कारण विधायी निकायों के सदस्यों के रूप में जन प्रतिनिधियों की भूमिका भी बदल गई हैं।
राज्यपाल ने इस बात पर जोर दिया कि सभा के भीतर और बाहर जन प्रतिनिधियों द्वारा किए जाने वाले कार्यों के आधार पर उनका मूल्यांकन किया जाता है। इसलिए उनसे सामाजिक समस्याओं को समझने और विधानमंडलों तथा संसद के माध्यम से उनके समाधान में प्रमुख भूमिका निभाए जाने की अपेक्षा की जाती है। उन्होंने यह भी कहा कि जन प्रतिनिधियों के रूप में यह आवश्यक है कि वे संसदीय परंपराओं, नियमों और प्रक्रियाओं का इस प्रकार प्रयोग करें जिससे विकासात्मक कार्य और जन कल्याण सुनिश्चित हो सके।
पटेल ने कहा कि यह सम्मलेन ऐतिहासिक है, क्योंकि इसमें प्रति•ााग करने के लिए देश-विदेश से लोग आये जो सम्मान की बात है। उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित को विधायी परम्पराओं और कार्यों का लम्बा अनुभव है। उन्होंने इस सम्मलेन के आयोजन के लिए मुख्यमंत्री आदित्यनाथ को सहयोग के लिए आभार भी प्रकट किया। उन्होंने कहा कि देश के संसदीय ढांचे में प्रदेश का विधानसभा सबसे बड़ा है। उन्होंने कहा कि जरुरत है कि जरुरत है कि इसके सदस्य लोकतंत्र के रक्षक के रूप में कार्य करें। वह इस तरह से काम करें की जो जनता की अपेक्षाएं हैं, उनको कैसा पूरा किया जा सके। उन्होंने कहा कि दो दिनों में जिन बिंदुओं पर चर्चा हुई वो बहुत महत्त्वपूर्ण हैं।