नई दिल्ली। मद्रास हाईकोर्ट द्वारा आवासीय सोसाइटियों में रखरखाव के लिए 7,500 रुपये से अधिक मासिक शुल्क पर ही जीएसटी वसूलने के आदेश से देश भर में बड़ी संख्या में लोगों को राहत मिल सकती है। इस पर आदेश के तहत रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) को चुकाए 7,500 रुपये तक पर 18 प्रतिशत जीएसटी लागू नहीं होगा।
मद्रास हाईकोर्ट के निर्णय को देशभर में मिल सकता है फायदा
इस लिहाज से हर फ्लैट या आवास के लिए अधिकतम 1,350 रुपये तक कम चुकाने होंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे लोगों की जेब पर मासिक बोझ कम होगा। मद्रास हाईकोर्ट में सरकारी एजेंसियों ने दिसंबर 2017 के जीएसटी नोटिफिकेशन के आधार पर कहा था कि 7,500 रुपये तक के शुल्क को जीएसटी वसूली से बाहर रखा गया था। लेकिन शुल्क 7,500 रुपये से अधिक होता है, तो पूरी राशि पर जीएसटी लिया जाएगा। 2019 में अप्रत्यक्ष कर कस्टम के केंद्रीय बोर्ड ने भी अपने सर्कुलर में यह बात दोहराई, लेकिन हाईकोर्ट ने इसे नकार दिया। उसने कहा कि 7,500 रुपये तक की छूट के मायने हैं कि इस राशि तक जीएसटी लागू नहीं होगा। शुल्क इसके पार जाता है तो इससे ऊपर की राशि पर जीएसटी लिया जा सकता है पूरी राशि पर नहीं। हाईकोर्ट के आदेश ने साफ कर दिया कि जीएसटी 7,500 से अधिक की राशि पर ही लगेगा। यह आदेश देश की आरडब्ल्यूए के भ्रम को दूर करेगा और फ्लैट वह मकान मालिक को और किरायेदारों को राहत देगा। लगभग सभी शहरों में बनी आवासीय सोसाइटियों की आरडब्ल्यूए रखरखाव और सुरक्षा आदि के लिए हर महीने यहां रहने वालों से उनके मकान या फ्लैट पर प्रति वर्ग फुट की दर से शुल्क लेती हैं।
मद्रास हाईकोर्ट के आदेश के बाद आरडब्ल्यूए के सामने अब सवाल है कि क्या वे भी 7,500 रुपये तक के शुल्क पर जीएसटी चुकाएं या नहीं? विशेषज्ञों का कहना है कि हाईकोर्ट का आदेश पूरे देश में प्रभावी हो सकता है। फिर भी आरडब्लूए अपने राज्य के हाईकोर्ट से राहत के लिए निवेदन कर सकती हैं। दूसरी ओर यह भी आशंका है कि केंद्र सरकार मद्रास हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकती है।