सरकार ने माफ किया आयात शुल्क, सेस भी हुआ आधा
नई दिल्ली। जनता को महंगाई से राहत देने के लिए सरकार ने बड़ा एलान किया है। सरकार ने मसूर दाल पर आयात शुल्क 10 फीसदी से शून्य कर दिया है। इसके साथ ही केंद्र ने मसूर की दाल पर कृषि बुनियादी ढांचा विकास उपकर (सेस) को भी आधा किया है। यह 20 फीसदी से घटकर 10 फीसदी कर दिया गया है। इससे घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा मिलेगा और साथ ही बढ़ती कीमतों पर लगाम लगेगी। यह छूट अमेरिका के अलावा अन्य देशों से निर्यात होने वाली दालों पर मिलेगी। अमेरिका के अलावा दूसरे देशों से निर्यात ड्यूटी खत्म की गई है। पहले यह 10 फीसदी थी। अमेरिका में पैदा होने वाली या निर्यात की जाने वाली मसूर दाल पर मूल सीमा शुल्क को 30 फीसदी से घटाकर 20 फीसदी कर दिया गया है। अमेरिकी मसूर दाल पर कृषि बुनियादी ढांचा विकास उपकर को 20 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी किया गया है।
तीन महीनों में मसूर दाल की कीमत में तीन महीनों में
मालूम हो कि पिछले तीन महीनों में मसूर दाल की कीमत में 30 फीसदी की तेजी आई है। कंज्यूमर अफेयर्स मिनिस्ट्री की ओर से जारी किए गए डाटा के अनुसार, मौजूदा समय में यह 100 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर बिक रही है। एक अप्रैल को इसका दाम 70 रुपये प्रति किलोग्राम था। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस संबंध में संसद में नोटिफिकेशन जारी की। सीमा शुल्क और सेस में कटौती को 27 जुलाई से लागू किया जाएगा। इस महीने की शुरुआत में इंडिया ग्रेन्स एंड पल्सेज एसोसिएशन (IGPA) के उपाध्यक्ष बिमल कोठारी ने कहा था कि, ‘भारत को हर वर्ष 2.5 करोड़ टन दाल की जरूरत है। लेकिन इस साल हम कमी होने की संभावना हैं।’
फैक्टरिंग रेगुलेशन (संशोधन) विधेयक, 2021 पारित
आज लोकसभा में फैक्टरिंग रेगुलेशन (संशोधन) विधेयक, 2021 पारित हुआ। फैक्टरिंग रेगुलेशन (संशोधन) विधेयक, 2020 पिछले साल 24 सितंबर को लोकसभा में पेश किया गया था। यह फैक्टरिंग व्यवसाय में शामिल संस्थाओं के दायरे को लिब्रलाइज करके 2011 के कारखाना विनियमन अधिनियम को उदार बनाने का प्रयास करता है। प्रमुख परिवर्तनों में रिसीवेबल्स, असाइनमेंट और फैक्टरिंग व्यवसाय की परिभाषाओं में संशोधन शामिल हैं। इसके साथ ही नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फूड टेक्नोलॉजी एंटरप्रेन्योरशिप एंड मैनेजमेंट बिल, 2021 भी लोकसभा में पारित हो गया है।