भजन केवल एक संगीत का रूप नहीं है : जलोटा
लखनऊ। रविवार को जय शान्ति आॅडिटोरियम, सेठ एमआर जयपुरिया स्कूल सुशांत गोल्फ सिटी लखनऊ में सरस्वती संगीत अकादमी, लखनऊ एवं जय शान्ति एजुकेशनल एण्ड चौरिटेबल ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में शान्त्वना दुबे तिवारी के द्वारा गाये गये भजन गीतों के संग्रह भक्ति सुर संगम का विमोचन भजन सम्राट पद्मश्री अनूप जलोटा के कर-कमलों द्वारा किया गया।
इस अवसर पर अनूप जलोटा ने अपने आशीर्वचन में श्रीमती शान्त्वना तिवारी के द्वारा गाये गये भजनों की मुक्त कंठ से प्रशंसा की और उन्हें उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि भजन केवल एक संगीत का रूप नहीं है बल्कि यह आत्मशुद्धि और आंतरिक शांति का साधन है। श्रीमती शान्त्वना तिवारी जी की आवाज में जो भजन संग्रह है, वह न केवल ईश्वर की स्तुति है, बल्कि आत्मिक शांति एवं समाज में सकारात्मकता फैलाने का एक प्रभावशाली माध्यम भी है।
कार्यक्रम का शुभारम्भ डॉ. श्रीकान्त शुक्ल, प्रबन्ध निदेशक सरस्वती संगीत अकादमी, लखनऊ के स्वागत उद्बोधन से हुआ। कार्यक्रम के दौरान श्री प्रभु नारायण दुबे, मुख्य न्यासी, जय शान्ति एजुकेशनल एण्ड चौरिटेबल ट्रस्ट द्वारा ट्रस्ट के कार्यकलापों से अवगत कराया गया। तदुपरान्त श्रद्धेया स्व. शान्ति दुबे के गीतों के स्मृतियों पर आधारित लघु चलचित्र का प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम में सरस्वती संगीत अकादमी, लखनऊ की छात्राओं द्वारा श्रीमती आरती शुक्ला के नेतृत्व में नृत्य के माध्यम से गणेश स्तुति तथा समूह नृत्य का प्रस्तुतीकरण किया गया। तदुपरान्त श्रीमती शान्त्वना तिवारी एवं श्रेया तिवारी द्वारा भजन एवं लोकगीत तथा अनुश्री तिवारी द्वारा भजन गायन प्रस्तुत किया गया। श्री धर्म नारायण दुबे, वरिष्ठ अधिवक्ता, सर्वोच्च न्यायालय के धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया। इस अवसर पर न्यायमूर्ति एसएन शुक्ल, न्यायमूर्ति रजनीश कुमार, रंजन कुमार, सचिव, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण, उप्र शासन, डॉ प्रभु नारायण दुबे, मुख्य न्यासी, जय शान्ति एजुकेशनल एण्ड चैरिटेबल ट्रस्ट सहित अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।