पश्चिम बंगाल में दो ट्रेन के बीच टक्कर के एक दिन बाद मंगलवार को रेल मंत्रालय ने कहा कि कवच के रूप में जानी जाने वाली स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली पर 3000 किलोमीटर मार्ग पर अमल में लाने को लेकर तेज प्रगति हो रही है।रेलवे ने कहा कि कवच पर पूरी तरह अमल के बाद इस तरह की दुर्घटनाओं को रोकने में मदद मिलेगी। सिलीगुड़ी के न्यू जलपाईगुड़ी रेलवे स्टेशन से 30 किमी दूर रंगापानी के पास एक मालगाड़ी ने सोमवार सुबह पहले से खड़ी सियालदह जाने वाली कंचनजंघा एक्सप्रेस को पीछे से टक्कर मार दी थी जिससे इस घटना में 10 लोगों की मौत हो गई और लगभग 40 लोग घायल हो गए।
इस दुर्घटना के बाद कवच पर क्रियान्वयन में देरी को लेकर रेलवे की आलोचना की झड़ी लग गई। इसके जवाब में मंत्रालय ने कहा कि कवच एक बहुत ही जटिल प्रणाली है जिसमें छह प्रमुख उप-प्रणालियां शामिल हैं।
इन उप प्रणालियों में पटरी के किनारे आप्टिकल फाइबर केबल बिछाना, पटरी के किनारे दूरसंचार टावर स्थापित करना, इन टावरों और ट्रेन पर दूरसंचार उपकरण स्थापित करना, स्टेशनों पर डेटा केंद्र स्थापित करना और उन्हें सिग्नल प्रणाली के साथ एकीकृत करना, पटरियों पर उपकरण स्थापित करना और अंतत: इंजन और ट्रेन पर उपकरण स्थापित करना शामिल है।रेलवे मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम नहीं उजागर करने की शर्त पर कहा, इस प्रणाली को आखिरकार 2019 में प्रमाणित किया गया। कोविड-19 की चुनौतियों के बावजूद काम आगे बढ़ा और अब रेलवे के साथ-साथ उपकरण निर्माता भी बड़ी परियोजनाओं को शुरू करने के लिए तैयार हैं।
इस समय 3,000 किलोमीटर मार्ग पर इस काम में तेजी से प्रगति हो रही है। अन्य मार्गों के लिए डिजाइन के काम में भी बहुत तेजी से प्रगति हो रही है।रेलवे के अनुसार अनुसंधान डिजाइन एवं मानक संगठन (आरडीएसओ) द्वारा विकसित कवच प्रणाली आपातकालीन स्थिति में जब ट्रेन चालक समय पर कार्वाई करने में विफल रहता है तब स्वचालित ब्रेक लगा सकती है, जिससे खराब मौसम में भी सुरक्षित ट्रेन संचालन सुनिश्चित होता है।
अधिकारी ने कहा, अब तक कवच को।,465 किलोमीटर लंबे मार्ग और 121 इंजनों पर लागू किया जा चुका है। इसके अलावा आगरा मंडल ने विभिन्न प्रकार के कई इंजन और ट्रेन पर परीक्षणकरने के लिए मथुरा (स्टेशन को छोड़कर) और पलवल के बीच 80 किलोमीटर लंबे खंड पर एक पूरा कवच नेटवर्क विकसित किया है।हाल ही में रेलवे बोर्ड की अध्यक्ष और सीईओ जया वर्मा सिन्हा और उत्तर मध्य और उत्तर रेलवे के रेलवे अधिकारियों ने पलवल और वृदांवन के बीच वंदे भारत ट्रेन में कवच के परीक्षण का निरीक्षण किया था।