लखनऊ। दुर्गा पूजा और गणेशोत्सव की तर्ज पर रामनवमी और हनुमान जयंती के बीच विश्व हिन्दू परिषद् (विहिप) 15 दिन का राम महोत्सव मनाने की तैयारी कर रहा है। इस महोत्सव की खास बात यह होगी की दुर्गा पूजा और गणेशोत्सव की तरह ही न सिर्फ गांव-गांव में भगवान् राम की मुर्तियां स्थापित की जाएंगी, बल्कि उनका विसर्जन भी कराया जायेगा।
इसके पीछे का तर्क यह है कि जब दुर्गा पूजा पश्चिम बंगाल से और गणेशोत्सव महाराष्ट्र से निकल कर देशव्यापी हो सकते हैं, तो भगवान राम जो उत्तर से दक्षिण तक और पूर्व लेकर पश्चिम तक सर्वमान्य आराध्य हैं और लोग उनके प्रति तन-मन-धन से समर्पित हैं, उनके नाम से महोत्सव क्यों नहीं मनाया जा सकता। विहिप का कहना है कि दुर्गा पूजा के दौरान देश के लगभग सभी हिस्सों में बड़े-बड़े पंडाल लगा कर के दुर्गा प्रतिमा स्थापित की जाती हैं और कमोबेश यही स्थिति गणेशोत्सव की भी है।
दरअसल, अयोध्या में राम जन्म भूमि विवाद के विवाद सुलझने और ट्रस्ट गठन के बाद मंदिर निर्माण का रास्ता साफ होने के बाद विहिप अब लोगों को अपने-अपने घरों में भगवान् रामचंद्र का मंदिर स्थापित करने के लिए गतिशील करने की मुहीम छेड़ेगी। इसके लिए विहिप ने तैयारियां भी शुरू कर दी है। विहिप की कोशिश है देश के हर घर तक पहुंचने की है। विहिप द्वारा यह कार्यक्रम रामनवमी (25 मार्च) से हनुमान जयंती (9 अप्रैल) के बीच आयोजित होने वाले राम उत्सव का हिस्सा होगा। विहिप इसके तहत वर्ष 1989 में राम शिला पूजन की तर्ज पर देश भर में तीन लाख स्थानों पर राम महोत्सव का आयोजन करेगी। उत्तर प्रदेश में ही लगभग 40 से 50 हजार स्थानों पर राम महोत्सव का आयोजन करने की योजना बनाई गयी है।
विहिप के प्रवक्ता शरद शर्मा ने बताया कि यह आयोजन लगभग 15 दिनों तक चलाने की मंशा है। शर्मा ने कहा कि विहिप का उद्देश्य है कि हम गांव-गांव में लोगों को भगवान् राम का मंदिर स्थापित करने के लिए प्रेरित किया जा सके और इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कवायद शुरू भी की जा चुकी है। उन्होंने बताया कि लोगों को प्रोत्साहित किया जायेगा कि इन 15 दिनों में वह अपने-अपने घरों में भगवान् राम का अस्थायी मंदिर स्थापित करें। जिन घरों में ऐसा संभव नहीं है वहां लोगों भगवान् राम की तस्वीर या कलश स्थापित करने के लिए प्रेरित किया जायेगा। राम महोत्सव के अंतर्गत कई जगहों पर प्रवचन कराने की भी योजना है। इनके द्वारा लोगों को भगवान् राम के जन्म से लेकर उनके राज्याभिषेक तक के जीवन से भी जोड़ा जायेगा।
लोगों की सहूलियत के हिसाब से इस कार्यक्रम को तीन हिस्सों में बाटा गया है। पहला पूरे 15 दिनों तक चलेगा। दूसरा 9 दिन और फिर 3 दिन। इस दौरान लोगों से अपील की जाएगी की वे अखंड राम चरित मानस, सुन्दर कांड या फिर वाल्मीकि रामायण का पाठ करें और उसी हिसाब से अन्य पूजन का कार्यक्रम करें। लोगों को इस बात के लिए भी प्रेरित किया जायेगा कि वे इसे अपनी परंपरा का अंग बनायें।
गणेश उत्सव और दुर्गा पूजा की तरह ही लोगों से कहा जायेगा कि वह राम महोत्सव खत्म होने बाद भगवान् राम की मूर्ती, कलश या फिर तस्वीर का भी विसर्जन करें। इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए एक समिति भी बनाई गयी है, जिसमें विहिप के महामंत्री मिलिंद परांडे, संगठन मंत्री विनायक राव देशपांडे, उपाध्यक्ष चम्पत राय, केंद्रीय मंत्री अशोक तिवारी, राजेंद्र सिंह पंकज और उत्तर प्रदेश के संगठन मंत्री अंबरीश शामिल हैं। यह समिति इस महोत्सव के शुरू होने के साथ ही इस बात की निगरानी भी करेगी कि राम महोत्सव का कार्यक्रम योजना के अनुसार चले और सफलतापूर्वक खत्म हो।