वर्तमान परिवेश में श्रीराम की प्रासंगिकता’ विषयक संगोष्ठी सम्पन्न
लखनऊ। आज सोमवार को भाषा विभाग उ.प्र. के नियंत्रणाधीन उ.प्र. भाषा संस्थान द्वारा वर्तमान परिवेश में श्रीराम की प्रासंगिकता विषय पर संगोष्ठी का आयोजन इन्दिरा भवन लखनऊ में किया गया कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. सूर्य प्रसाद दीक्षित ने की मुख्य अतिथि पद्मश्री विद्या बिन्दु सिंह, एवं विशिष्ट अतिथि प्रो. हरि शंकर मिश्र एवं आदित्य द्विवेदी आदित्य सचिव राम लीला समिति एवं तुलसी शोध संस्थान ऐसबाग लखनऊ रहें।
द्विवेदी जी ने अपने वक्तव्य में कहा कि श्रीराम हमारे जीवन शैली के आचार संहिता हैं। प्रो. हरि शंकर मिश्र ने कहा कि श्रीराम हमारे आदर्श हैं। उनका जीवन चरित्र न केवल वन्दनीय अपीतु अनुकरणी है। आज भी राम व अन्य पात्र उतने ही प्रासंगिक हैं जितने त्रेता युग में। पद्मश्री विद्या बिन्दु सिंह ने कहा कि राम जन-जन के हैं। लोकगीतों लोक कथाओं के माध्यम से राम की व्याप्ति विश्व भर में हैं। हमारे संस्कार गीत पर्व व त्योहार सब राममय हैं। प्रो. सूर्य प्रसाद दीक्षित ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि राम कथा आदि कवि वाल्मीकि के द्वारा 600 वर्ष ई. पूर्व में लिखी गयी तब से निरन्तर राम कथा की अजस्र धारा प्रवहमान है। डा. रश्मि शील ने कहा कि राम राज की परिकल्पना गांधी जी ने वाल्मीकि रामायण व मानस में व्याप्त आदर्श मूल्यों से ग्रहण की संविधान में राम दरबार का चित्र प्रकाशित है। इससे स्पष्ट होता है कि राम हमारे लोक तांत्रिक चेतना के वाहक हैं। धन्यवाद ज्ञापन दिनेश कुमार मिश्र के द्वारा किया गया कार्यक्रम का सफल संचालन श्रीमती अंजू सिंह ने किया। कार्यक्रम में हर्ष राज अग्निहोत्री, ब्रजेश, रमा सिंह जी, प्रियंका टण्डन, रामहेत पाल, शशि, सहित इन्दिरा भवन के अनेक अधिकारी एवं कर्मचारी गण उपस्थित रहे।