नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को फ्रांस की अपनी समकक्ष फ्लोरेंस पार्ले से टेलीफोन पर बात की। इस दौरान पार्ले ने कहा कि भारत को राफेल विमान निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार उपलब्ध होंगे और कोविड-19 महामारी का इसकी आपूर्ति पर असर नहीं पड़ेगा।
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि दोनों मंत्रियों ने क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य सहित पारस्परिक चिंता के मुद्दों पर चर्चा की और वे द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को मजबूत करने पर सहमत हुए। तत्काल यह पता नहीं चल पाया है कि इस दौरान दोनों मंत्रियों के बीच पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच जारी गतिरोध का मुद्दे पर चर्चा हुई या नहीं। मंत्रालय ने एक बयान में कहा, फ्रांस ने कोविड-19 महामारी से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद राफेल विमान समय पर उपलब्ध कराने की अपनी प्रतिबद्धता पुन: दोहराई।
इसने कहा कि दोनों मंत्री हिन्द महासागर क्षेत्र में भारत-फ्रांस संयुक्त रणनीतिक उद्देश्य को पूरा करने के लिए मिलकर काम करने पर सहमत हुए। भारत ने लगभग 58 हजार करोड़ रुपए में 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के लिए सितंबर 2016 में फ्रांस के साथ एक अंतर-सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। सिंह ने फ्रांस के एक हवाई प्रतिष्ठान में आठ अक्टूबर को पहला राफेल विमान प्राप्त किया था, लेकिन इसे अभी भारत लाया जाना बाकी है। ऐसी आशंकाएं थीं कि कोरोना वायरस महामारी के चलते राफेल विमानों की आपूर्ति में विलंब हो सकता है।
राफेल लड़ाकू विमान कई तरह के अस्त्र ले जाने में सक्षम है। इसके अस्त्र भंडार में मुख्यत: यूरोपीय मिसाइल निर्माता कंपनी एमबीडीए द्वारा निर्मित हवा से हवा में मार करनेवाली मिसाइल मेटियोर तथा स्कैल्प क्रूज मिसाइल शामिल हैं। मेटियोर दृश्य सीमा से परे अगली पीढ़ी की मिसाइल है जो हवा से हवा में लड़ाई को एक नया रूप देने के लिए विकसित की गई है। इसे साझा चुनौतियों का सामना कर रहे ब्रिटेन, जर्मनी, इटली, फ्रांस, स्पेन और स्वीडन के लिए एमबीडीए ने विकसित किया है।
मिसाइल प्रणालियों के अतिरिक्त राफेल विमान भारत की दृष्टि से किए गए विभिन्न बदलावों के साथ आएंगे जैसे कि इजराइली हेल्मेट केंद्रित डिस्प्ले, रडार चेतावनी रिसीवर, लो बैंड जैमर, 10 घंटे की उड़ान की डेटा रिकॉर्डिंग, इन्फ्रा रेड खोज एवं निगरानी तथा अन्य प्रणालियों के साथ। भारतीय वायुसेना इन लड़ाकू विमानों के स्वागत के लिए आवश्यक अवसंरचना और पायलटों के प्रशिक्षण सहित पहले ही तैयारियां की चुकी है।
राफेल विमानों की पहली स्क्वाड्रन अंबाला वायुसेना स्टेशन में तैनात की जाएगी जिसे भारतीय वायुसेना के सामरिक रूप से सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों में से एक माना जाता है। इस स्टेशन से भारत-पाक सीमा लगभग 220 किलोमीटर है। इन विमानों की दूसरी स्क्वाड्रन पश्चिम बंगाल स्थित हासीमारा वायुसेना स्टेशन में तैनात की जाएगी।