मुनाफे से बड़ा है रेलवे का सामाजिक दायित्व

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरेंद्र सिंह ने केंद्र सरकार पर पंजाब में मालगाड़ियां रोके जाने का जो आरोप लगाया है, साथ ही इसके पीछे जिस तरह की साजिश की बात कही है, अगर उसमें जरा भी सच्चाई है तो यह न सिर्फ खतरनाक है बल्कि उस खतरे की तरफ भी इशारा है कि कहीं रेलवे, प्राइवेट मालगाड़ियां चलाने का निश्चय तो नहीं कर लिया।

अगर वाकई ऐसा कोई फैसला चुपचाप शक्ल इख्तियार कर रहा है तो आने वाले दिनों में इसके खतरनाक नतीजे देखने को मिल सकते हैं। गौरतलब है कि पिछले काफी दिनों से पंजाब में किसान मजदूर संघर्ष कमेटी द्वारा रेल की पटरियों पर धरना दिया जा रहा था, जिस कारण रेलवे ने मालगाड़ियों को पंजाब में चलानी रोक दी थी। इस पर जब जबरदस्त हंगाम हुआ और धरने को पटरियों से दूर कर दिया गया, तब भी मालगाड़ियां नहीं चलीं।

इस पर केंद्रीय रेलमंत्री पीयूष गोयल ने सफाई दी है कि महज 24 और 25 अक्टूबर 2020 को ही मालगाड़ियां रोकी गई हैं। जबकि पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरेंद्र सिंह का कहना है कि केंद्र सरकार कोयला, खाद आदि की पंजाब में आपूर्ति को बाधित करके राज्य की घेराबंदी करने की कोशिश कर रही है।

दरअसल ये उस फैसले को लागू किये जाने की शायद भूमिका है, जिसके तहत रेलवे बड़े पैमाने पर प्राइवेट मालगाड़ियां चलाने की गंभीरता से कोशिश कर रहा है। हालांकि यह कहना भी एक किस्म से इस पूरे संदर्भ को अधूरा पेश करना है, क्योंकि सच्चाई यह है कि प्राइवेट यात्री गाड़ियों के साथ ही प्राइवेट मालगाड़ियों के सफर का भी एक तरह से सिलसिला शुरु हो चुका है। इसके लिए बड़े पैमाने पर तैयारियां हो रही है। प्राइवेट मालगाड़ियां डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) पर चलेंगी, इसीलिए पश्चिमी और पूर्वी डीएफसी को युद्घस्तर पर पिछले दो सालों से बनाया जा रहा है।

अभी तक रेलवे जो मालगाड़ियां चला रहा है, वह उन्हीं ट्रैक पर चला रहा है, जिन पर सवारी गाड़ियां भी चल रही हैं। अब रेलवे इसके लिए अलग से फ्रेट कॉरिडोर विकसित कर रहा है। पूर्वी कॉरिडोर और पश्चिमी कॉरिडोर नाम से एक विशेष फ्रेट कॉरिडोर तेजी से तैयार हो रहा है। करीब 2800 किलोमीटर के ये दो डीएफसी पिछले दो सालों से बन रहे हैं और जिस रफ्तार से काम चल रहा है, उसे देखते हुए दिसंबर 2022 तक यह पूरा हो जायेगा।

रेलवे के मुताबिक इन दोनों कॉरिडोरों में भारी वजन उठाने वाली मालगाड़ियां चलेंगी। साथ ही दो मंजिले कंटेनर ट्रेनें भी इन कॉरिडोर में चलायी जाएंगी। लेकिन जो सबसे चिंता वाली बात है वह यह है कि रेलवे पहले से ही योजना बनाकर चल रही है कि वह खुद इन डीएफसी में अपनी मालगाड़ियां नहीं चलायेगी। हालांकि अभी सार्वजनिक तौर पर इसका खुलासा नहीं किया है, लेकिन बार बार जिस तरह रेलवे इस सबका ब्यौरा दे रहा है, उसमें इस खास ट्रैक को प्राइवेट कंपनियों को देने की ही बात की जा रही है।

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