राहुल ने की 13 करोड़ गरीब परिवारों, मजदूरों और किसानों की मदद करने की अपील

नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को केंद्र सरकार से आग्रह किया कि कोरोना संकट के समय देश के 13 करोड़ गरीब परिवारों को वित्तीय सहायता देने के साथ मनरेगा मजदूरों, प्रवासी श्रमिकों और किसानों को राहत प्रदान की जाए। उन्होंने एक बयान में कहा, बड़े आर्थिक सहायता पैकेज के बिना देश की अर्थव्यवस्था का पहिया फिर से पटरी पर लाना संभव नहीं होगा।

दुनिया के अधिकांश देश अर्थव्यवस्था को दोबारा शुरू करने एवं अपने नागरिकों की परेशानियों को दूर करने के लिए बड़े आर्थिक पैकेजों की घोषणा पहले ही कर चुके हैं। लेकिन भारत में ऐसा अब तक नहीं हुआ। गांधी ने कहा कि सबसे गरीब 13 करोड़ परिवारों को आय का सहयोग मिले। हर परिवार को 7500 रुपये दिए जाएं। यदि 13 करोड़ परिवारों में से प्रत्येक को कम से कम 5,000 रु. भी दिए जाएं, तो कुल 65,000 करोड़ रु. की आवश्यकता है, जो जरूरी भी है व सरकार आसानी से इसे वहन कर सकती है।

उन्होंने यह आग्रह किया, मनरेगा के तहत 100 दिनों के रोजगार को बढ़ाकर 200 दिन किया जाए, जिससे मजदूरों को आय के ज्यादा अवसर व राहत मिल सके। हमारी 28 से 30 प्रतिशत जनसंख्या शहरों में रहती है। मनरेगा जैसी योजना को शहरों में भी शुरू की जाए। कांग्रेस नेता के मुताबिक जन वितरण प्रणाली के दायरे से बाहर रह गए 11 करोड़ लोगों को भी खाद्य सुरक्षा दी जाए। हमारे गोदाम अनाज से लबालब भरे हैं। अगले छ: माह तक हर व्यक्ति को प्रतिमाह 10 किलोग्राम अनाज (चावल या गेहूं), 1 किलोग्राम दाल और 1 किलोग्राम चीनी दी जाए।

उन्होंने यह आग्रह भी किया, 8.22 करोड़ पीएम किसान खातों में 10,000 रुपए डालकर किसान को तत्काल आय सहयोग दिया जाए।गेहूं समेत सभी रबी फसलों के एक एक दाने की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद सुनिश्चित हो। खाद, कीटनाशक दवाईयों व ट्रैक्टर सहित खेती-बाड़ी के सब उपकरणों पर जीएसटी फौरन खत्म की जाए। उन्होंने कहा कि 6.25 करोड़ सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम औद्योगिक इकाईयां 11 करोड़ से ज्यादा नौकरियों का सृजन करती हैं। एमएसएमई के लिए 1 लाख करोड़ रुपये का वेतन सुरक्षा कोष एवं 1 लाख करोड़ रुपए की कर्ज गारंटी दी जाए।

एमएसएमई द्वारा लिए गए कर्ज पर छह माह के ब्याज के बराबर छह माह की ब्याज सब्सिडी दी जाए। गांधी ने कहा कि इसी तरह की ऋण गारंटी एवं ब्याज सब्सिडी की सुविधाएं बड़े उद्योगों को भी दी जाएं, बशर्ते वो अपनी सहायक इकाईयों को भी सहयोग करें। इससे नौकरियों में कटौती नहीं करनी पड़ेगी। उन्होंने प्रवासी मजदूर को परिवहन सेवा मुहैया कराने और दुकानदारों को भी राहत देने की मांग की।

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