भातखण्डे द्वारा पद्मभूषण बेगम अख्तर की स्मृति में दो दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम का समापन
लखनऊ। भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय, लखनऊ द्वारा प्रख्यात गायिका एवं मल्लिका-ए-गजल के नाम से प्रसिद्ध पद्मभूषण बेगम अख्तर की स्मृति में आयोजित दो दिवसीय सांस्कृतिक समारोह का आज गरिमामय समापन हुआ। यह कार्यक्रम बेगम अख्तर के जन्म के 111वें वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया था। द्वितीय दिवस के कार्यक्रम का शुभारंभ विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. मांडवी सिंह, संजय बली ,रागेश्री दास, प्रो. सृष्टि माथुर एवं डॉ. मनोज मिश्र नें संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन एवं बेगम अख्तर जी के चित्र पर पुष्पांजलि कर किया।
कार्यक्रम के समापन दिवस पर कोलकाता की सुप्रसिद्ध गायिका रागेश्री दास ने अपनी सुरमयी प्रस्तुति से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया । उन्होंने पूर्वी ताल की ठुमरी- महाराजा किवड़िया खोलो की प्रस्तुति से आरंभ कर अनेक सुंदर प्रस्तुतियाँ दीं । उनके साथ संगत में हारमोनियम पर पंडित धर्मनाथ मिश्रा, तबले पर पिनाकी चक्रवर्ती, गिटार पर दिव्यज्योति मुखर्जी, तथा सारंगी पर विनायक ने उत्कृष्ट संगत दी । उनकी संगति ने गायन की आत्मीयता को और गहराई प्रदान की। कार्यक्रम का उद्देश्य भारतीय संगीत जगत की इस महान विभूति की अमर कला, गजल और ठुमरी गायन की परंपरा को स्मरण करना एवं नई पीढ़ी को उनसे प्रेरणा प्रदान करना रहा। दो दिनों तक विश्वविद्यालय परिसर संगीत की सुरमयी ध्वनियों से गूंजता रहा। कार्यक्रम स्थल पर उपस्थित संगीत प्रेमियों, विद्यार्थियों और प्राध्यापकों ने कलाकारों की प्रस्तुति की भरपूर सराहना की। इस अवसर पर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. मांडवी सिंह ने बताया यह हमारे लिए गर्व की बात है कि बेगम अख्तर कुछ समय के लिए भातखण्डे संगीत संस्थान से भी जुड़ी रही थीं। इस ऐतिहासिक संबंध को पुन: स्मरण करना हमारे लिए अत्यंत सम्मान की अनुभूति है। यह आयोजन बेगम अख्तर की अमर विरासत को नमन करने का एक विनम्र प्रयास है। विश्वविद्यालय की कुलसचिव डॉ. सृष्टि धवन ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा इस दो दिवसीय कार्यक्रम ने न केवल संगीत प्रेमियों को अद्भुत अनुभव प्रदान किया, बल्कि विद्यार्थियों को भी भारतीय संगीत परंपरा में गजल ,ठुमरी की गहराई और भावनात्मकता को समझने का अवसर दिया।





