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कतर ने आठ पूर्व भारतीय नौसैनिक रिहा किए, मोदी ने व्यक्तिगत रूप से निगरानी की: विदेश सचिव


कतर ने जेल में बंद भारतीय नौसेना के आठ पूर्व कर्मियों को रिहा कर दिया है और उनमें से सात सोमवार सुबह स्वदेश लौट आए। इसे भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत के रूप में देखा जा रहा है जो कतर की अदालत द्वारा उन्हें मौत की सजा सुनाए जाने के लगभग साढ़े तीन महीने बाद मिली है। इन लोगों की मौत की सजा को बाद में जेल की सजा में बदल दिया गया था।

विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खुद मामले में सभी घटनाक्रमों की लगातार निगरानी की और भारतीयों की वापसी सुनिश्चित करने के लिए किसी भी पहल से कभी पीछे नहीं हटे।

क्वात्रा ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मोदी संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की अपनी दो दिवसीय यात्रा के संपन्न होने के बाद बुधवार को कतर की राजधानी दोहा की यात्रा करेंगे, लेकिन संकेत दिया कि इस यात्रा की योजना काफी पहले बनाई गई थी।

विदेश सचिव ने विवरण दिए बिना कहा कि भारत आठवें भारतीय की शीघ्र वापसी सुनिश्चित करने के लिए कतर सरकार के साथ काम करना जारी रखेगा। विदेश मंत्रालय ने सुबह एक बयान में कहा कि भारतीयों की रिहाई और उनकी स्वदेश वापसी को संभव बनाने के कतर के अमीर शेख तमीम बिन हम्माद अल-थानी के फैसले की भारत सराहना करता है।

ऐसा माना जाता है कि नौसेना के इन पूर्व कर्मियों के खिलाफ जासूसी का आरोप था। हालांकि न तो कतर के प्रशासन और न ही भारतीय अधिकारियों की तरफ से इसको सार्वजनिक किया गया कि इन लोगों के खिलाफ क्या आरोप थे।

विदेश मंत्रालय ने कहा, भारत सरकार कतर में हिरासत में लिए गए दहरा ग्लोबल कंपनी के लिए काम करने वाले आठ भारतीय नागरिकों की रिहाई का स्वागत करती है। मंत्रालय ने एक संक्षिप्त बयान में कहा, रिहा किए गए आठ भारतीयों में से सात भारत लौट आए हैं। हम इन नागरिकों
की रिहाई और स्वदेश वापसी को संभव बनाने के लिए कतर के अमीर के फैसले की सराहना करते हैं।

इन आठ लोगों में कैप्टन (सेवानिवृत्त) नवतेज गिल और सौरभ वशिष्ठ, कमांडर (सेवानिवृत्त) पूर्णेंदु तिवारी, अमित नागपाल, एसके गुप्ता, बीके वर्मा और सुगुनाकर पकाला तथा नाविक (सेवा निवृत्त) रागेश शामिल हैं। घटनाक्रम से परिचित लोगों ने बताया कि कमांडर तिवारी कुछ कागजी कार्वाई लंबित होने के कारण वापस नहीं आ सके। नौसेना के पूर्व कर्मियों को 26 अक्टूबर को कतर की एक अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी।

खाड़ी देश की अपीलीय अदालत ने 28 दिसंबर को मृत्युदंड को कम कर दिया था और पूर्व नौसैन्य कर्मियों को तीन साल से लेकर 25 साल तक अलग-अलग अवधि के लिए जेल की सजा सुनाई थी।
अपीलीय अदालत ने जेल की सजा के खिलाफ अपील करने के लिए उन्हें 60 दिन का समय भी दिया था।

निजी कंपनी अल दहरा के साथ काम करने वाले भारतीय नागरिकों को जासूसी के एक कथित मामले में अगस्त 2022 में गिरफ्तार किया गया था। पिछले साल दिसंबर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दुबई में कॉप 28 शिखर सम्मेलन के मौके पर कतर के अमीर शेख तमीम बिन हम्माद अल-थानी से मुलाकात की थी और कतर में भारतीय समुदाय के कल्याण पर चर्चा की थी।

ऐसा माना जाता है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने भारतीय नागरिकों की रिहाई सुनिश्चित करने में कतर के अधिकारियों के साथ बातचीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पिछले साल 25 मार्च को भारतीय नौसेना के आठ कर्मियों के खिलाफ आरोप दाखिल किए गए थे और उन पर कतर के कानून के तहत मुकदमा चलाया गया था।

गत वर्ष मई में अल-दहरा ग्लोबल ने दोहा में अपना परिचालन बंद कर दिया और वहां काम करने वाले सभी लोग (मुख्य रूप से भारतीय) देश लौट आए। क्वात्रा ने सोमवार को कहा, 14 फरवरी को अपनी यूएई यात्रा पूरी करने के बाद, प्रधानमंत्री 14 फरवरी की दोपहर दोहा, कतर की यात्रा करेंगे।

यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री कतर के अमीर शेख तमीम बिन हम्माद और अन्य उच्च पदस्थ व्यक्तियों के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। विदेश सचिव ने कहा कि भारतीयों की वापसी के लिए भारत कतर का आभारी है। क्वात्रा ने कहा, हम उनकी वापसी से संतुष्ट हैं। हम उन्हें रिहा करने के कतर सरकार और अमीर के फैसले की सराहना करते हैं।

उन्होंने कहा, हम उनमें से सात भारतीय नागरिकों को वापस पाकर खुश हैं। आठवें भारतीय नागरिक को भी रिहा कर दिया गया है और हम कतर सरकार के साथ यह देखने के लिए काम करना जारी रखेंगे कि उसकी भारत वापसी कितनी जल्दी संभव होती है। क्वात्रा ने कहा, प्रधानमंत्री ने स्वयं व्यक्तिगत रूप से इस मामले में सभी घटनाक्रमों की लगातार निगरानी की है और वह भारतीय नागरिकों की घर वापसी सुनिश्चित करने वाली किसी भी पहल से कभी पीछे नहीं हटे।

यह पूछे जाने पर कि क्या कतर के अमीर ने भारतीयों को राज-क्षमा प्रदान की है, विदेश सचिव ने टिप्पणी करने से इनकार किया। उन्होंने कहा, हम अलग-अलग शब्दावली आदि के बारे में बात कर सकते हैं.. चाहे यह रिहाई हो या क्षमा.. लेकिन मुझे लगता है कि हमें तथ्यों को देखना चाहिए कि वे क्या हैं। अल दहरा मामले में आठ में से सात भारतीय नागरिक अपने घर भारत वापस आ गए हैं।

क्वात्रा ने कहा, हम इससे संतुष्ट हैं और रिहाई के लिए कतर के अमीर द्वारा दिखाई गई सद्भावना की सराहना करते हैं। भारतीय नागरिक बीती रात लगभग 2:35 बजे एक निजी एयरलाइन के विमान से दिल्ली हवाई अड्डे पहुंचे। मामले से परिचित लोगों ने कहा कि कतर से उड़ान भरने के बाद उनके परिवारों को सूचित कर दिया गया था।

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