नवचेतना केन्द्र के सभागार में एक सेमिनार का आयोजन
लखनऊ। कथा सम्राट प्रेमचंद की जयंती पर डेमोक्रेटिक इंडिया फाउण्डेशन की ओर से नवचेतना केन्द्र के सभागार में एक सेमिनार का आयोजन किया गया। इसके आयोजक डेमोक्रेटिक इंडिया फाउण्डेशन के अध्यक्ष पूर्व आईएएस अधिकारी वीरेन्द्र कुमार सिंह थे।
मुख्य अतिथि के रूप में महात्मा गांधी अंतराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के पूर्व सम कुलपति प्रोफेसर चित्तरंजन मिश्र ने प्रेमचंद को डेमोक्रेटिक समाज का सबसे बड़ा प्रवक्ता तथा हमारे सपनों का लेखक बताया। उन्होंने कहा कि प्रेमचंद अपनी रचनाओं में अपने पात्रों की आर्थिक स्थिति का वर्णन अवश्य करते हैं, क्योंकि आर्थिक परिस्थितियां हमारे जीवन व्यवहार को प्रभावित करती हैं। श्री मिश्र ने कहा कि सुखी गांव, स्वराज्य, समानता, स्वतंत्रता और भाईचारा प्रेमचंद के रचना मूल्य रहे। उन्होंने यह भी कहा कि आर्य समाज के सुधार आंदोलन, राष्ट्रीय सुधार आंदोलन तथा रूस क्रांति ने प्रेमचंद की रचनाधर्मिता को गति प्रदान की। कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रख्यात कथाकार हरीचरन प्रकाश ने प्रेमचंद को हिंदी गद्य साहित्य का मील का पत्थर बताते हुए कहा कि उन्होंने हमें, हमारे समाज की पहचान करायी है। उन्होंने कहा कि प्रेमचंद की कहानियां और पात्र आज भी प्रासंगिक हैं।
कार्यक्रम के आयोजक वीरेन्द्र कुमार सिंह ने प्रेमचंद की स्मृतियों के जीवित रहने को आवश्यक बताया। उन्होंने कहा कि ऐसा न करने से उन्हें भी हाशिये पर धकेल दिया जायेगा और उनका स्थान कोई स्वयंसिद्ध ले लेगा। कार्यक्रम के संयोजक ‘शब्दसत्ता’ पत्रिका के संपादक सुशील सीतापुरी ने अतिथियों और आगंतुकों का आभार जताया।