सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है
लखनऊ। प्रदोष व्रत भगवान शिव की असीम कृपा पाने का शानदार अवसर है। यह व्रत हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है। मान्यता है कि इस दिन पूजा-अर्चना और उपवास रखने से साधक को मानसिक शांति, उत्तम स्वास्थ्य और जीवन में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। इतना ही नहीं, यदि इस दिन श्रद्धाभाव से केवल शिवलिंग पर जल चढ़ाया जाए, तो मनचाहा जीवनसाथी मिलने की कामना भी पूर्ण होती हैं। साथ ही प्रेम जीवन भी मधुरमय बनता है। शास्त्रों में प्रदोष व्रत को शिव और पार्वती की कृपा पाने के लिए भी उत्तम माना जाता है। इस तिथि पर किए गए पुण्य कार्य का फल साधक को अवश्य मिलता है। इसके प्रभाव से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इस बार आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 18 सितंबर को देर रात 11 बजकर 24 मिनट पर शुरू होगी। तिथि का सामपान 19 सितंबर को देर रात 11 बजकर 36 मिनट पर होगा। 19 सितंबर को प्रदोष व्रत मनाया जाएगा। इस दिन शाम 06 बजकर 21 मिनट से लेकर 08 बजकर 43 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त बन रहा है।
प्रदोष पर शिव पूजा का महत्व
यह व्रत धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति के लिए अत्यंत प्रभावकारी माना जाता है। इस दिन व्रत, उपवास, रुद्राभिषेक और शिवलिंग पर विविध वस्तुएं अर्पित करने से समस्त दोषों का नाश होता है और जीवन में सुख, शांति एवं समृद्धि आती है। स्कंद पुराण, शिव पुराण तथा लिंग पुराण में इस व्रत की महिमा का विस्तार से वर्णन मिलता है। वैशाख शुक्ल त्रयोदशी को प्रदोष व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की श्रद्धा भाव से पूजा करने से व्यक्ति को जीवन में हर प्रकार की शुभता प्राप्त होती है। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए फलदायक होता है जो गृहस्थ जीवन में संतुलन, स्वास्थ्य, समृद्धि और मानसिक शांति की कामना रखते हैं।
पूजा विधि
प्रदोष व्रत की पूजा के लिए एक साफ चौकी पर भगवान शिव की मूर्ति स्थापित करें। फिर शिवलिंग पर जल, घी, दूध, शहद के साथ शक्कर मिलाएं और शिवलिंग का अभिषेक करें। उसके बाद अब भोलेनाथ को शमी का फूल और बेलपत्र चढ़ाएं। फिर आप भोलेनाथ को चंदन लगाएं। इसके बाद आप प्रभु के सामने घी का दीपक जलाएं। माता पार्वती को श्रृंगार का सामान अर्पित करें और उन्हें फूल माला अर्पित करें। प्रदोष व्रत की कथा का पाठ करें और शिव मंत्रों का स्मरण करें। अंत में आरती करें और जरूरतमंदों को अन्न या वस्त्रों का दान करें।