लखनऊ अब बना चुका है शैक्षिक हब: डॉ. दिनेश शर्मा
केकेसी में लिट फेस्ट के दूसरे संस्करण का समापन हुआ
लखनऊ। श्री जय नारायण मिश्र पीजी कॉलेज में दो दिवसीय केकेसी लिट फेस्ट के दूसरे संस्करण का समापन कई सत्रों के साथ हुआ। मुख्य अतिथि राज्यसभा सांसद डॉ. दिनेश शर्मा ने कॉलेज के उत्सव स्थल को देखकर पुरानी बातें साझा कीं। उन्होंने कहा कि पूर्व प्राचार्य डॉ. हरिहरनाथ द्विवेदी ने उनको फोन करके कहा था कि यहां कॉलेज के मैदान में भैंसों का कब्जा हो गया है और तबेला बन गया है। नगर निगम के प्रयास से इसे मुक्त कराएं। प्रो. शर्मा ने उन्हें आश्वासन दिया और उस जगह को खाली कराया। प्रो. दिनेश शर्मा ने कहा कि अब प्रतिभा पलायन का समय जा चुका है। आज जो लोग हमारे यहां रिजेक्ट हो जाते हैं विदेश उनको सिलेक्ट करता है। उन्होंने कहा कि लखनऊ एक शैक्षिक हब बन चुका है और भारत पठन-पाठन का केंद्र। विशिष्ट अतिथि उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने बताया कि उत्तराखंड में उन्होंने देहरादून एयरपोर्ट के पास एक लेखक ग्राम बनवाया है। जिसमें देश में लेखनी से जुड़ा कोई भी व्यक्ति आकर रह सकता है। अपना रचनाकर्म कर सकता है। उसे वहां पर अनेकों सुविधा मिलेगी। प्राचार्य प्रोफेसर विनोद चंद्र ने कहा कि प्रो. दिनेश शर्मा की वजह से ही महाविद्यालय के शिक्षकों को प्रोफेसर पदनाम लगाने का अवसर मिल सका। उन्होंने कहा जल्दी ही उनके प्रयासों से लखनऊ विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त होगा। इस दौरान अतिथियों ने कवि पंकज प्रसून की हाल ही में आई पुस्तक सच बोलना पाप है का विमोचन भी किया। अध्यक्षता महाविद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष वीएन मिश्र ने की। संचालन प्रो. पायल गुप्ता ने किया।
पासवर्ड याद है लेकिन पड़ोसी को भूल रहें: पंकज प्रसून
लिट फेस्ट के दूसरे दिन के प्रथम सत्र में प्रो. बलवंत सिंह ने समकालीन कवि पंकज प्रसून से बातचीत की। पंकज प्रसून ने छात्र-छात्राओं से कहा कि वह भी इसी कॉलेज के पढ़े हुए छात्र हैं। उन्होंने बीएससी की पढ़ाई यहीं से की। उन्होंने छात्रों को एक संदेश भी दिया कि लड़कियां रील बनाती हैं, लड़के दिन रात कमेंट करते हैं और लड़कियां उनके कमेंट को फॉलो भी नहीं करती। उन्होंने लड़कों को समझाया कि ऐ लड़कों, लड़कियों की इस बेरुखी को समझो और उनकी रील में ना उलझो। आज हमें पासवर्ड तो याद रहता है किंतु हम अपने पड़ोसी को भूल रहे हैं। चेहरे को फिल्टर करने वाले इतने औजार आ गए हैं कि कौन कौवा और कौन हंस, यह पहचानना मुश्किल हो गया है।
हिमांशु की किस्सागोई पर लगे ठहाके
दूसरे सत्र में प्रख्यात किस्सागो डॉ. हिमांशु वाजपेई ने अपनी किस्सागोई से सभी का मन मोह लिया। उन्होंने बताया कि लखनऊ की सबसे बड़ी खासियत यहां की आहिस्ता मिजाजी है। यहां का धीमापन, यहां का सुकून बहुत से लोगों को चुभ सकता है। उन्होंने कहा कि जल्दी का काम शैतान का मुहावरा यहीं के लिए बनाया गया था। उन्होंने एक टेलर के बारे में बताया कि एक बार एक नवाब ने एक टेलर को अपने कपड़े दो-तीन साल में सिल कर न देने के लिए डांट दिया, तो उसकी पत्नी ने कहा कि तुम्हें वह क्यों डांट रहा था। टेलर ने कहा कि मैंने उसको तीन साल बाद बुलाया था और तीन साल पूरे होने पर भी मैं उसे कपड़े सिलकर न दे सका। इसलिए उसने मुझे डांटा। तो पत्नी ने कहा कि इतना अर्जेंट आॅर्डर मत लिया करो। यह सुनकर पूरा पंडाल हंसी के ठहाकों से गूंज गया।
रग रग में बसा है लखनऊ: मुजफ्फर अली
लिट फेस्ट के अंतिम और तीसरे सत्र का संचालन प्राचार्य प्रो. विनोद चंद्र ने किया। उन्होंने उमराव जान फेम मशहूर फिल्म निर्देशक मुजफ्फर अली से बातचीत की। मुजफ्फर अली ने एक सवाल के जवाब में कहा कि लखनऊ उनकी रग रग में बसा है। लखनऊ और इसके लोगों की तरक्की ही उनका आखिरी उद्देश्य है। उन्होंने बताया कि उनको एक आम आदमी की समझ देने के लिए लखनऊ के रियासती माहौल से अलग अलीगढ़ में शिक्षा के लिए भेजा गया। जहां वह खुद अपनी पहचान समझ सके और बना सके। उन्होंने बताया कि उन्हें मशहूर फिल्म निर्देशक सत्यजित रे ने काफी प्रभावित किया। जिस तरह से कलकत्ते को सत्यजीत रे अपनी आंखों से देखते थे। वैसे ही चश्मे से मुजफ्फर अली ने लखनऊ को देखा और अपनी फिल्मों में उसको दशार्या भी।