मैथिलि शरण गुप्त की जयंती की पूर्व संध्या पर हुआ काव्य पाठ

भातखंडे विश्वविद्यालय के छात्र छात्राओं द्वारा प्रस्तुत किया गया
लखनऊ। भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय,लखनऊ द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा निति के अनुपालन में साहित्य एवं भाषा को शैक्षणिक गतिविधियों में क्रियान्वित करते हुए विश्वविद्यालय के साहित्यिक वार्षिक कैलेंडर के अनुसार आज मैथिलि शरण गुप्त जी की जयंती की पूर्व संध्या पर उनकी लिखित प्रसिद्ध रचनाओं के काव्य पाठ का आयोजन विश्वविद्यालय के सुजान सभागार में किया गया। राष्ट्रीय शिक्षा निति के अनुपालन के तहत मैथिलि शरण गुप्त जी की जयंती के उपलक्ष्य में विश्वविद्यालय परिसर के सुजान सभागार में मैथिलि शरण गुप्त जी द्वारा लिखित साहित्यों पर आधारित काव्य पाठ का आयोजन किया गया े जिसमें मैथिलि शरण गुप्त जी द्वारा लिखित साहित्यों को काव्य पाठ के रूप में विश्वविद्यालय के छात्र छात्राओं द्वारा प्रस्तुत किया गया इस साहित्यिक आयोजन में विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों की विशेष रूचि देखने को मिली। कविता पाठ करने वाले विद्यार्थियों में शिवम् कुमार ताल वाद्य, नें कविता-मात्र मंदिर, सर्वेश मणि त्रिपाठी नें कविता-जीवन की जय, श्रेयांशी श्रीवास्तव नें कविता-नर हो न निराश करो मन को एवं अंचल वर्मा गायन नें कविता – स्वदेश,अंशुमान मौर्य ने पंचवटी काव्य पाठ किया।
कार्यक्रम की संयोजिका डॉ रूचि खरे ने बताया कि विश्वविद्यालय के साहित्यिक वार्षिक कैलेंडर के अनुसार 3 अगस्त को मैथिलि शरण गुप्त जी की जयंती पड़ रही है, जिसके उपलक्ष्य में जयन्ती की पूर्व संध्या पर मैथिलि शरण गुप्त जी द्वारा लिखित साहित्यों एवं उनकी प्रसिद्ध रचनाओं पर आधारित काव्य पाठ का आज आयोजन किया गया है।
कार्यक्रम में प्रतिभाग करने वाले छात्र छात्राओं ने बताया कि ऐसे साहित्यिक आयोजन उनके लिए एक नया और प्रेरणादायक अनुभव है। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के द्वारा साहित्य से संगीत की समरूपता को जानने का अवसर प्राप्त हुआ। शिक्षकों एवं कर्मचारियों ने भी इसे एक सकारात्मक पहल बताया,ऐसे कार्यक्रमों से समस्त छात्र छात्राओं की भावना को बल मिलता है।
विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो0 मांडवी सिंह ने बताया कि प्रत्येक शैक्षणिक सत्र में राष्ट्रीय शिक्षा निति के अनुसार ऐसे आयोजन नियमित रूप से संपन्न कर विद्यार्थियों के समग्र विकास को सुनिश्चित किया जाना हमारा उद्देश्य है। ऐसे आयोजनों से शिक्षार्थियों को अपने संस्कृति एवं साहित्य के पुरोधा रहे महान साहित्यकारों के जीवन और उनकी रचनाओं से परिचित होने का अवसर प्राप्त होता है। विश्वविद्यालय की कुलसचिव डॉ. सृष्टि धवन ने कहा कि इस प्रकार के साहित्यिक आयोजन से विश्वविद्यालय में अध्ययनरत विद्यार्थियों को साहित्य की समझ, एकाग्रता और सामाजिक सहयोग की भावना का विकास होता है। विश्वविद्यालय द्वारा ऐसे आयोजनों का उद्देश्य शिक्षकों, विद्यार्थियों और कर्मचारियों को एक सकारात्मक, स्वस्थ एवं रचनात्मक वातावरण प्रदान करना है।

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