कवि कुम्भ: जीवन का आधार तुम ही हो…

इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान में तीन दिवसीय कवि कुंभ का आयोजन
लखनऊ। महाकुंभ 2025 के आयोजनों के रूप में हो रहे पहले आयोजन कवि कुंभ में देश भर के स्थापित और नवोदित कवि एक साथ मौजूद हैं। कवि कुंभ में राष्ट्रभावना वाले गीतों, कविताओं को खूब प्रशंसा मिल रही है। वहीं हास्य और शृंगार में अपनी बात रखने वाले कवियों को भी लखनऊ प्यार दे रहा है। उत्तर प्रदेश संस्कृति विभाग और हिन्दी साहित्य अकादमी की ओर से इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित कवि कुंभ के दूसरे दिन गीत, गजल और कविता की रसधार बही। कवि कुम्भ में फिल्म गदर और पठान फेम अभिनेता मनीष वाधवा भी मौजूद रहे। मनीष ने एक गजल भी सुनाई। कवि कुंभ में सुबह से शाम तक हो रहे अलग-अलग सेशन ने स्थापित कवियों के साथ या उनके सामने नवोदित कवि अपनी रचनाएं सुना रहे हैं। डा. हरिओम पवार ने अपने अंदाज में सुनाया कि कविताएं भाजपा, सपा, कांग्रेस नहीं होती हैं, कविताएं संस्कृति होती हैं, कविता संस्कार होती हैं, कविता परम्पराएं होती है, कविताएं वेदना होती हैं.. इस पर प्रेक्षागृह में सिर्फ तालियों की गूंज सुनायी पड़ी। कहा कि स्थापित कवियों को मत सुनिए, उनको समय मत दीजिए, मै भी कुछ नहीं सुनाउंगा लेकिन नवोदित कवियों को मौका जरूर मिलना चाहिए नए रचनाकारों को मौका देना एक छोटी सी पूजा के समान है। उन्होंने कहा कि संवेदना का दिया कवि जलाएंगे तो जितना भी विचारों का प्रदूषण है वो खत्म हो जाएगा। आप लोग साहित्य के दिए हो, जिससे आशा की जा सकती है। लोकप्रिय कवियित्री अनामिका जैन अम्बर ने इंकलाब के मस्तानों की टोली बातें करती है, गाली के बदले सेना की गोली बाते करती है और शौर्य के भाले चमक रहे हैं, इतनी बाते करती है हर बम से हर बम बम की बोली बातें करती है रचना को सुनाकर अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करायी। इसके साथ ही उन्होंने जहां पर सच, दया, सम्मान और ईमान रहता है, अगर तूने निकाला है किसी के पांव का काटा, तो ये तय है तेरे दिल में कोई इंसान रहता है रचना से संवेदना का प्रसार किया। अनामिका ने कम ज्यादा में उलझी दुनिया सारी है, वक्त वक्त पर सबका पलड़ा भारी है, तुमने जिसको मेरी बात कही जाकर, याद रहे उसकी मुझसे भी यारी है रचना से भी खूब वाहवाही लूटी। इसके साथ ही कवियित्री सोनी मिश्रा ने तू जो भवरे सा गुनगुनाए जाए, सिहर जाऊंगी, पंखुडी को जो छुएगे तो बिखर जाऊंगी, भूपेन्द्र राघव ने यहां न कोई ज्ञान बांटने आया हूं, न कोई अनुदान बांटने आया हूं, अपने आंसू , दर्द गमों को भुलों तो मैं केवल मुस्कान बांटने आया हूं सुनाया। काव्या श्री जैन ने गुलशन है गीत गजलों का है छन्द की महक और मुक्त को मैं लायी हूं मकरन्द की महक, डा. मीना बंधन ने हो मुकम्मल जहां मैं तुम्हारे लिए, दे ही दे जान अपनी तुम्हारे लिए, शशि श्रेया ने जीवन का आधार तुम ही हो, सच पूछो तो प्यार तुम ही हो, गार्गी कौशिक ने राम नाम सब से बड़ा, राम नाम चहुं ओर, अमित शुक्ला ने अगर पीर शीशे की पत्थर समझता, तो सच में कभी भी नहीं तोड़ पाता, शिखा श्रीवास्तव शामे अवध में आपके आने का शुक्रिया, महफिल में चार चांद लगाने का शुक्रिया जैसी रचनाओं से कवि कुम्भ में छाप छोड़ी।

-महाकुंभ में 50 श्रद्धालु आएंगे: जयवीर सिंह

उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि कवि अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज व सरकार को दिशा दिखाते हैं। सरकार के कार्यों को कसौटी पर परखते हैं। वे शब्दों के माध्यम से समाज की भावनाओं, चिंताओं और आशाओं को अभिव्यक्ति देते हैं। जयवीर सिंह ये बातें शुक्रवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में कवि कुंभ अपनी बात रखे रहे थे। जयवीर ने कहा कि साहित्यकारों को दो हजार रुपए की मासिक सहायता दी जाएगी। उन्होंने कहा कि कवि, साहित्यकार अपना पूरा जीवन समाज को समर्पित कर देते हैं।

मुगल आठ सौ साल में संस्कृति खत्म नहीं कर पाए

वरिष्ठ कवि डा. हरिओम पवार ने बॉलीवुड की फिल्मों, वेब सीरीज, ओटीटी प्लेटफार्म से काफी खफा है। उन्होंने कहा कि मुगल हमारी संस्कृति और परम्परा को आठ सौ साल राज करने के बाद भी खत्म नहीं कर पाए लेकिन मीडिया, मनोरंजन चैनल, फिल्म, ओटीटी ने हमारी संस्कृति को आठ सालों में ही खत्म कर दिया। उन्होंने कहा कि मैं कभी ओटीटी नहीं देखता हूं। जहां से शराब को प्रमोशन किया जाए। उन्होंने कहा कि कवि कुंभ में लगभग 400 कवि आए हैं। संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश ने कवि कुंभ से एक बड़ी लकीर खींची है इससे बड़ी लकीर किसी राज्य का संस्कृति विभाग नहीं खींच पाएगा। अब केन्द्रीय संस्कृति मंत्रालय को ही इससे बड़ी लकीर खींचनी होगी।

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