पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बगैर विकास सुनिश्चित करेंगे : पीएम मोदी

नई दिल्ली/गांधीनगर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि उनकी सरकार सतत विकास के मार्ग का अनुसरण करने में दृढ़ विश्वास रखते हुए पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना विकास सुनिश्चित कर रही है।

मोदी ने वन्य जीवों की प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण को लेकर गुजरात के गांधीनगर में आयोजित सीओपी (कॉन्फ्रेंन्स ऑफ पार्टीज) देशों के 13वें सम्मेलन (सीएमएस कोप13) को दिल्ली से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित किया।

उन्होंने कहा कि भारत उन चुनिंदा देशों में से एक है जो वैश्विक तापवृद्धि में दो डिग्री सेल्सियस की कमी लाने संबंधी पेरिस समझौते के लक्ष्य को पाने की दिशा में संजीदगी से कदम उठा रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत, जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने के लिए पर्यावरण संरक्षण के मूल्यों, स्थायित्व के भाव वाली जीवनशैली तथा हरित विकास मॉडल पर आधारित नीतियों का प्रबल पक्षधर है।

उन्होंने कहा कि भारत ने मध्य एशियाई देशों के हवाई मार्ग में प्रवासी पक्षियों को सुरक्षित रखने संबंधी राष्ट्रीय कार्ययोजना तैयार की है।

प्रधानमंत्री ने कहा, मेरी सरकार सतत विकास में दृढ़ विश्वास करती है। हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बगैर विकास हो।

उन्होंने सम्मेलन में कहा कि भारत परंपरागत रूप से अतिथि देवो भव: के मंत्र का पालन करता है। उन्होंने कहा यह बात सीएमएस कोप13 की स्लोगन थीम से भी जाहिर होती है। इसकी स्लोगन थीम है प्रवासी जीवों की प्रजातियां धरती को जोड़ती हैं। आईए, हम एकजुट होकर उनका अपने घर में स्वागत करें।

मोदी ने कहा कि भारत को इस सम्मेलन की अगले तीन साल तक अध्यक्षता करना है, जिसके मद्देनजर देश ने मध्य एशियाई देशों के मार्ग से आवागमन करने वाले प्रवासी पक्षियों के संरक्षण की राष्ट्रीय कार्ययोजना बनाई है।

प्रकाश जावड़ेकर ने कहा

सम्मेलन में हिस्सा ले रहे पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि जैव विविधता के संरक्षण में महज नियमों की सख्ती ही कारगर उपाय नहीं है बल्कि इसके लिए जनभागीदारी अनिवार्य है।

गांधीनगर में सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए जावड़ेकर ने कहा कि प्रकृति के संरक्षण के लक्ष्य को हासिल करने में अव्यवहारिक शर्तों को नहीं थोपा जा सकता है। जावड़ेकर ने कहा, हमें प्रकृति के संरक्षण में लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करना पड़ेगा। सम्मेलन में चर्चा के दौरान एक प्रतिनिधि ने पर्यावरण संरक्षण के नियम और कानूनों को सख्त बनाने का सुझाव दिया है। लेकिन मेरा मानना है कि महज सख्त नियमों के सहारे हम धरती को नहीं बचा सकेंगे। सिर्फ जनभागीदारी से ही अपने ग्रह को बचाया जा सकता है।

उन्होंने कहा, इसलिए प्रकृति के संरक्षण के लिए अव्यवहारिक शर्तें लगा कर हितैषियों को शत्रु नहीं बनाया जाना चाहिए। मुझे पूरा विश्वास है कि कोप के इस सम्मेलन में कुछ समाधान जरूर निकलेंगे। उल्लेखनीय है कि गांधीनगर में आयोजित सीएमएस कोप का यह अब तक का सबसे बड़ा सम्मेलन है। इसमें विभिन्न देशों के प्रतिनिधि, वन्यजीव विशेषज्ञ और संरक्षणवादियों सहित 3250 से अधिक लोग हिस्सा ले रहे हैं।

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