नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फेंसिंग के जरिये शनिवार को दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान का शुभारंभ किया। पहले चरण में भारत में अग्रिम मोर्चों पर तैनात स्वास्थ्य कर्मियों को टीके की पहली खुराक दी गई। इसके साथ ही, 10 महीनों में लाखों जिंदगियों और रोजगार को लील लेने वाली इस महामारी के खात्मे की उम्मीद जगी है। हालांकि, अभियान के पहले दिन 3.15 लाख की बजाय 1.91 लाख को ही टीका लगाया जा सका। यह टारगेट के मुकाबले 60 फीसद रहा।
इस दौरान मोदी ने कहा कि टीकाकरण अभियान देश में कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में निर्णायक जीत सुनिश्चित करेगा। अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री उस वक्त भावुक हो गए जब उन्होंने कोरोना संक्रमण काल के दौरान लोगों को हुई तकलीफों, अपने प्रियजनों को खोने और यहां तक कि उनके अंतिम संस्कार तक में शामिल न हो पाने के दर्द का जिक्र किया। रूंधे गले से प्रधानमंत्री ने महामारी के दौरान स्वास्थ्यकर्मियों और संक्रमण के जोखिम की आशंका वाले मोर्चे पर तैनात कर्मचारियों की कुर्बानियों को याद किया जिनमें से सैकड़ों की संक्रमण की वजह से मौत हो गई।
अभियान की शुरुआत से पहले राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में प्रधानमंत्री कहा कि टीके की दो खुराक लेनी बहुत जरूरी है और इन दोनों के बीच लगभग एक महीने का अंतर होना चाहिए। उन्होंने टीका लेने के बाद भी लोगों से कोरोना संबंधी सभी दिशा-निर्देशों का पालन करने का आग्रह किया और दवाई भी, कड़ाई भी का मंत्र दिया। उन्होंने लोगों को आश्वस्त करते हुए कहा कि वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों के मेड इन इंडिया टीकों की सुरक्षा के प्रति आश्वस्त होने के बाद ही इसके उपयोग की अनुमति दी गई है।
हमारा टीकाकरण कार्यक्रम मानवता की चिंता से प्रेरित है, जिन लोगों को सबसे अधिक खतरा है उन्हें प्राथमिकता मिलेगी। प्रधानमंत्री ने भरोसा व्यक्त करते हुए कहा कि सामान्य तौर पर टीका विकसित करने में वर्षों लग जाते हैं, लेकिन भारत ने बहुत कम समय में दो मेड इन इंडिया टीके तैयार किए और तेजी से अन्य टीकों पर भी काम कर रहा है। देश में करीब एक करोड़ लोगों के संक्रमित होने और 1.5 लाख लोगों की मौत के बाद कोविशील्ड और कोवैक्सीन टीके के साथ महामारी को मात देने के लिए पहला कदम उठाया गया है और देशभर के स्वास्थ्य केंद्रों पर टीकाकरण किया जा रहा है।
स्वास्थ्य कर्मियों के साथ-साथ एम्स दिल्ली के निदेशक रणदीप गुलेरिया, नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल, भाजपा सांसद महेश शर्मा और पश्चिम बंगाल के मंत्री निर्मल माजी उन लोगों में शामिल हैं जिन्हें टीके की पहली खुराक दी गई। पॉल कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए चिकित्सा उपकरण एवं प्रबंधन को लेकर गठित अधिकार समूह के प्रमुख भी हैं। उल्लेखनीय है कि पूरे भारत में बड़े पैमाने पर टीकाकरण का रास्ता साफ करते हुए भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने इस महीने की शुरुआत में आक्सफोर्ड/एस्ट्रेजेनेका द्वारा विकसित और सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया द्वारा उत्पादित कोविशील्ड एवं भारत बायोटेक द्वारा विकसित स्वदेशी कोवैक्सीन को आपात इस्तेमाल की मंजूरी दी थी।
कोविड-19 से बचाव के लिए टीके की खुराक सबसे पहले अनुमानित एक करोड़ स्वास्थ्य कर्मियों को और इसके बाद दो करोड़ अग्रिम मोर्चे पर काम करने वाले कर्मियों को दी जाएगी। इसके बाद 50 साल से अधिक उम्र वालों एवं अन्य बीमारियों से ग्रस्त 27 करोड़ लोगों का टीकाकरण करने की योजना है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान की शुरुआत पर अस्पताल के एक सफाई कर्मी मनीष कुमार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन की उपस्थिति में कोविड-19 का पहला टीका लगाया गया। इसके साथ ही मनीष देश की राजधानी में टीका लगवाने वाले पहले शख्स बन गए।
हर्षवर्धन ने कहा कि दोनों टीके- भारत बायोटेक के स्वदेशी कोवैक्सीन और आक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका के कोविशील्ड, इस महामारी के खिलाफ लड़ाई में एक संजीवनी हैं। हमने पोलियो के खिलाफ लड़ाई जीती है और अब हम कोविड के खिलाफ युद्ध जीतने के निर्णायक चरण में पहुंच गए हैं। पूरे देश में टीकाकरण अभियान की शुरुआत पर उत्सव जैसा माहौल था, कई अस्पतालों और चिकित्सा केंद्रों को फूलों और गुब्बारों से सजाया गया था। कई स्थानों पर टीकाकरण से पहले प्रार्थना की गई। बता दें कि लक्ष्य के मुकाबले पहले दिन महज 60 फीसद लोगों को ही कोरोना वैक्सीन लगाई गई। सरकार ने पहले कहा था कि 3,006 जगहों पर तीन लाख 15 हजार 37 लोगों को टीका लगेगा।