पटना। विभिन्न योजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करने के बाद मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जब शासन पर स्वार्थ नीति हावी हो जाती है, तो वोट बैंक का तंत्र पूरी प्रणाली को दबाने लगता है और इसका सबसे ज्यादा असर समाज के प्रताड़ित, वंचित और शोषित वर्ग पर पड़ता है।
वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार में नमामि गंगे और अमृत योजना के अंतर्गत शहरी विकास से जुड़ीं 541 करोड़ रुपये की लागत वाली सात परियोजनाओं का आज उद्घाटन और शिलान्यास किया। इंजीनियर्स डे पर इंजीनियरों को शुभकामनाएं देते हुए उन्होंने कहा, बिहार ऐतिहासिक नगरों की धरती है जहां हजारों सालों से नगरों की समृद्ध विरासत रही है।
प्राचीन भारत में गंगा घाटी के इर्दगिर्द आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक रूप से समृद्ध और संपन्न नगरों का विकास हुआ लेकिन गुलामी के लंबे काल खंड ने इस विरासत को बहुत नुकसान पहुंचाया। प्रधानमंत्री ने कहा, आजादी के बाद के शुरुआती दिनों में बिहार को बड़े और दूरद्रष्टा नेताओं का नेतृत्व मिला। उन्होंने गुलामी के दौरान आई विकृतियों को दूर करने की कोशिश भी की। लेकिन फिर ऐसा दौर आया कि प्राथमिकताएं और प्रतिबद्धताएं पूरी तरह बदल गईं।
प्रधानमंत्री ने कहा, इसका परिणाम यह हुआ कि बिहार के गांव और ज्यादा पिछड़ते गए और समृद्धि के प्रतीक रहे शहर बढती आबादी और बदलते समय के हिसाब से आधुनिक नहीं हो पाए। उन्होंने कहा कि सड़क, पानी जैसी समस्याओं को या तो नजरअंदाज कर दिया गया या फिर उनसे जुड़े काम घोटालों की भेंट चढ़ गए।
प्रधानमंत्री ने कहा, पीने का पानी और नालियों की कमी का दर्द सबसे ज्यादा हमारी माताओं, बहनों, गरीब दलितों, पिछडों और अतिपिछडों को महसूस होता है। गंदगी में रहने और मजबूरी में अस्वच्छ पानी पीने से बीमारियां होती हैं। इलाज के चक्कर में लोग कर्ज में डूब जाते हैं। उन्होंने कहा कि सरकारों की गलत प्राथमिकताओं के कारण समाज के बड़े तबके को बहुत तकलीफें हुई हैं।
उन्होंने कहा, पिछले 15 साल में नीतीश जी, सुशील जी और उनकी टीम समाज के इस सबसे कमजोर वर्ग के आत्मविश्वास को लौटाने का भरपूर प्रयास कर रही है। विशेष तौर पर जिस प्रकार बेटियों की शिक्षा, पंचायती राज सहित स्थानीय निकाय में वंचित एवं सोशित समाज की भागीदारी को प्राथकिता दी गई उससे उनका आत्मविश्वास बढ रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 2014 के बाद से बुनियादी सुविधाओं से जुड़ी योजनाओं का लगभग पूरा नियंत्रण ग्राम पंचायतों और स्थानीय निकायों को सौंप दिया गया। उनके प्रयासों से शहरों में पेयजल और सीवेज जैसी मूल सुविधाओं के ढांचे में निरंतर सुधार हो रहा है। उन्होंने कहा, अमृत मिशन और राज्य सरकार की योजनाओं के तहत पिछले चार-पांच साल में लाखों लोगों को पेयजल मिला है। भविष्य में सभी के घर में स्वच्छ पेयजल पहुंचेगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, अमृत योजना के तहत बिहार में करीब 12 लाख परिवारों को शुद्ध पेयजल मुहैया कराने का लक्ष्य है। इसमें से 50 प्रतिशत लक्ष्य पा लिया गया है। डॉक्टर भीम राव आंबेडकर को शहरीकरण का समर्थक बताते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उन्होंने इसे कभी समस्या नहीं माना।
उन्होंने ऐसे शहरों की कल्पना की थी जहां गरीब से गरीब व्यक्ति को भी अवसर मिलेगा। उसके पास अपने जीवन स्तर को सुधारने का अवसर होगा। आत्मनिर्भर भारत के बारे में बात करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस मिशन को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए देश के छोटे से छोटे शहरों को भी कमर कसकर जरुरतों के हिसाब से तैयार रहना होगा।
स्वच्छ गंगा, निर्मल गंगा की बात करते हुए उन्होंने कहा, इस पवित्र नदी से बिहार की जीवन बहुत हद तक प्रभावित होता है। ऐसे में नदी के जल को निर्मल बनाए रखने के लिए बिहार में 6,000 हजार करोड़ रुपए से अधिक की परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं। उन्होंने कहा कि नमामि गंगे मिशन के तहत बिहार सहित पूरे देश में 180 से अधिक घाटों के निर्माण होना है, जिनमें से 130 घाटों का काम पूरा हो चुका है। गंगा में छठ पूजा का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि आशा है कि घाटों के निर्माण से व्रतियों को सहुलियत मिलेगी।
उन्होंने गंगा डॉलफिन योजना का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इससे गंगा में जैव विविधता बढ़ेगी और पर्यटन भी बढ़ेगा। समारोह को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी संबोधित किया। बिहार के राज्यपाल फागू चौहान और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और बिहार के मंत्री सुरेश शर्मा भी वीडियो कांफ्रेंस के जरिए जुडे कार्यक्रम से जुडे हुए थे।