लखनऊ। प्रदेश में पंचायत चुनाव की प्रशासनिक तैयारियां जैसे-जैसे तेज हो रही हैं, वैसे-वैसे संभावित उम्मीदवारों की धड़कनें इस बात को लेकर तेज हो गयी हैं कि कौन सी सीट आरक्षित होगी और कौन अनारक्षित। यूपी में 58,758 ग्राम पंचायतें, 821 क्षेत्र पंचायतें और 75 जिला पंचायतें हैं। चुनाव के लिए वोटर लिस्ट पुनरीक्षण की घोषणा होने के बाद अब गांवों में इस बात पर चर्चा हो रही है कि कौन क्षेत्र आरक्षित होगा और कौन नहीं। मौजूदा सदस्यों का कार्यकाल 25 दिसंबर को समाप्त हो रहा है। इसी के साथ पंचायत चुनाव की प्रशासनिक तैयारियां भीे जोर पकड़ रही हैं।
उत्तर प्रदेश में विधानसभा के उपचुनाव के बाद अब देश के सबसे बड़े और सियासी महत्व वाले प्रदेश में पंचायत चुनाव की सरगर्मियां तेज हो हैं। ये चुनाव वैसे तो दिसंबर में ही हो जाने चाहिए थे, लेकिन कोरोना महामारी के कारण अब तक मतदान की तारीख तय नहीं हो सकी है। माना जा रहा है कि अगले साल मई जून में ये चुनाव करवाये जा सकते हैं। चुनाव आयोग ने तैयारी भी शुरू कर दी है।
पंचायतों में सबसे पहला गुणाभाग इस बात का लगाया जा रहा है कि इस बार जो सीट जिस वर्ग के लिए आरक्षित या अनारक्षित है, अगले चुनाव में वह सीट किस वर्ग के लिए तय होगी। इसी से अभी दावेदार पूरा माहौल भी नहीं बना पा रहे हैं। वर्ष 2015 के पंचायत चुनाव में सीटों का आरक्षण नये सिरे से हुआ था। यह मानकर नये सिरे से आरक्षण हुआ कि 2010 के चुनाव में आरक्षण पूरा हो चुका है, इसलिए अब नये सिरे से आरक्षण किया जाना चाहिए। जानकारों का मानना है कि वर्ष 2015 के चुनाव के बाद इस बार अब चक्रानुक्रम आरक्षण का यह दूसरा चक्र होगा।
चक्रानुक्रम आरक्षण का अर्थ यह है कि आज जो सीट जिस वर्ग के लिए आरक्षित है, वो अगले चुनाव में वह सीट उस वर्ग के लिए आरक्षित नहीं होगी। चक्रानुक्रम के आरक्षण के वरीयता क्रम में पहला नंबर आयेगा एसटी महिला का। एसटी की कुल आरक्षित सीटों में से एक तिहाई पद इस वर्ग की महिलाओं के लिए आरक्षित होंगे। फिर बाकी बची एसटी की सीटों में एसटी महिला या पुरुष दोनों के लिए सीटें आरक्षित होंगी। इसी तरह एससी के 21 प्रतिशत आरक्षण में से एक तिहाई सीटें एससी महिला के लिए आरक्षित होंगी और फिर एससी महिला या पुरुष दोनों के लिए आरक्षण होगा।
इसके बाद ओबीसी के 27 फीसदी आरक्षण में एक तिहाई सीटें ओबीसी महिला के लिए तय होंगी, फिर ओबीसी के लिए आरक्षित बाकी सीटें ओबीसी महिला या पुरुष दोनों के लिए। अनारक्षित में भी पहली एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए होंगी। आरक्षण तय करने का आधार ग्राम पंचायत सदस्य के लिए गांव की आबादी होती है। ग्राम प्रधान का आरक्षण तय करने के लिए पूरे ब्लाक की आबादी आधार बनती है। ब्लाक में आरक्षण तय करने का आधार जिले की आबादी व जिला पंचायत में आरक्षण का आधार प्रदेश की आबादी बनती है।