विधि संवाददाता
लखनऊ। एसीजेएम अम्बरीष कुमार श्रीवास्तव ने मरीज की मौत के बाद जबरिया लाखों की रकम जमा करने व न देने पर शव को कोरोना पॉजिटिव कराने की धमकी देने के एक आपराधिक मामले में एडवांस न्यूरो एण्ड जनरल हॉस्पिटल के मालिक डॉ. विनोद तिवारी, डॉ. सीमा तिवारी व मैनेजर शशिकांत के खिलाफ सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज कर विवेचना का आदेश थानाध्यक्ष सुशांत गोल्फ सिटी को दिया है। उन्होंने एफआईआर की प्रति सात दिन में अदालत में पेश करने का आदेश देते हुए विवेचना के परिणाम से अदालत को भी अवगत कराने का निर्देश दिया है। उन्होंने यह आदेश अंबेडकरनगर के सुनील मिश्र की ओर से वकील प्रांशु अग्रवाल की ओर से दाखिल सीआरपीसी की धारा 156 (3) की अर्जी को मंजूर करते हुए दिया है।
इस अर्जी पर बहस करते हुए कहा गया कि 22 मई, 2021 को सुनील की पत्नी शैला मिश्रा की तबियत खराब हो गयी। उन्होंने एडवांस न्यूरो हॉस्पिटल के मालिक डॉ. विनोद तिवारी से बात की। उन्होंने बताया कि वह स्वयं एवं उनकी पत्नी सीमा तिवारी भी डॉक्टर हैं। यह भी कहा कि उनके अस्पताल में आक्सीजन, वेंटीलेटर, कार्डियोलाजिस्ट, चेस्ट स्पेशलिस्ट, सर्जन व फिजीशयन सहित सभी प्रकार के डॉक्टर 24 घंटे उपलब्ध रहते हैं। सुनील अपनी पत्नी को सांय पांच बजे हॉस्प्टिल लेकर पहुुंच गये। पर, भर्ती करने में विलंब किया जाने लगा और डॉ. विनोद, डॉ. सीमा व शशिकांत ने कहा कि पहले 10 लाख जमा कराओ, तभी भर्ती करेंगे।
यह कहने पर कि इस समय इतने पैसे नहीं हैं, डॉ. विनोद व अन्य ने धमकी दी कि फिर तो भर्ती करने से पहले कोरोना जांच के लिए कोविड केयर सेंटर भेजेंगे, जहां से रिपोर्ट आने में तीन-चार दिन लग जायेंगे और कोरोना पॉजिटिव होने पर कोविड प्रोटोकॉल के मुताबिक इलाज होगा। तब तक मरीज की जान चली जायेगी। यह सुनकर सुनील ने किसी तरह सगे-संबधियों से इंतजाम कर पांच लाख जमा कराये। फिर उसकी पत्नी को भर्ती किया गया। पर, इलाज शुरू करने के कुछ घंटे पश्चात ही मैनेजर शशिकांत ने जल्द से जल्द शेष रकम की व्यवस्था करने को कहा। इसके बाद सुनील ने रात में 50 हजार रुपये और जमा कराये। इसके अगले दिन इनके द्वारा शेष साढ़े चार लाख जमा करने को कहा गया, वरना इलाज बंद करने की धमकी दी गयी। बताया गया कि सुनील जब पैसा जमा नहीं कर पाया, तो डॉ. विनोद ने न तो उसका फोन उठाया और न ही हॉस्पिटल आये। बहुत रोने गिड़गिड़ाने पर सायं सात बजे एक वार्ड ब्वाय द्वारा उनकी पत्नी को इंजेक्शन दिया गया। इसके बाद पत्नी की तबियत और खराब हो गयी।
फिर भी डॉक्टरों ने फोन नहीं उठाया और न आये। सुनील ने जब इलाज कहीं और कराने के लिए अपनी पत्नी को डिस्चार्ज करने को कहा तो इस पर पूरा स्टॉफ भड़क गया। कहा कि अब मरीज की लाश तभी मिलेगी, जब पूरे पैसे जमा करोगे। सुनील को शक हुआ कि कहीं उसकी पत्नी की मौत तो नहीं हो गयी है। उसने जाकर देखा, तो उसकी पत्नी की सांस नहीं चल रही थी। सुनील रोने-चिल्लाने लगा। स्टॉफ ने बताया कि यह तो पहले ही मर चुकी थी, इसलिए डॉक्टर नहीं आ रहे थे। उनका आदेश है कि जब तक पूरा पैसा जमा न हो, लाश को सिपुर्द नहीं करना है।
रात करीब 12 बजे डॉ. विनोद व उनकी पत्नी डॉ. सीमा आये। स्टॉफ से कहा कि यदि पैसा जमा हो गया हो, तो लाश दे दो। उधर, स्टॉफ ने भद्दी-भद्दी गालियां देनी शुरू कर दीं, जान से मारने की धमकी भी दी। पैसे के लिए मारपीट शुरू कर दी। 112 डायल कर पुलिस को भी बुला लिया। डॉ. विनोद ने कहा कि यह सब हमारे आदमी हैं। ज्यादा करोगे, तो तुम लोगों को झूठे मुकदमे में बंद करा देंगे। तुम्हारी पत्नी के शव को कोरोना पॉजिटिव करार दे देंगे और उसके बाद उसका पोस्टमार्टम करायेंगे। बात बढ़ने पर 112 की टीम ने डॉक्टरों से कहा कि अभी शव दे दीजिये, बाद में देखा जायेगा। 25 जुलाई को सुनील ने इस बात की लिखित शिकायत पुलिस आयुक्त से भी की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गयी।