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Wednesday, November 13, 2024

सरकारी और निजी अस्पतालों में होगा केवल दिल्लीवासियों का इलाज : केजरीवाल

नई दिल्ली। मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने रविवार को घोषणा की कि कोरोना वायरस महामारी के दौरान दिल्ली के सरकारी और निजी अस्पताल केवल दिल्ली के लोगों का इलाज करेंगे और शहर की उत्तर प्रदेश तथा हरियाणा से लगतीं सीमाएं सोमवार से खुलेंगी। केजरीवाल ने ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में कहा कि दिल्ली में केंद्र सरकार द्वारा संचालित अस्पतालों के लिए इस तरह का कोई प्रतिबंध नहीं होगा और यदि दूसरे राज्यों के लोग कुछ विशिष्ट ऑपरेशनों के लिए दिल्ली आते हैं तो उन्हें निजी अस्पतालों में उपचार कराना होगा।

मुख्यमंत्री की इस घोषणा से एक दिन पहले आप सरकार द्वारा गठित पांच सदस्ईय समिति ने सिफारिश की थी कि कोविड-19 संकट के मद्देनजर शहर की स्वास्थ्य अवसंरचना का इस्तेमाल केवल दिल्लीवासियों के उपचार के लिए होना चाहिए। केजरीवाल ने कहा, 90 प्रतिशत से अधिक लोग चाहते हैं कि कोरोना वायरस महामारी के दौरान दिल्ली के अस्पताल केवल राष्ट्रीय राजधानी से ताल्लुक रखने वाले मरीजों का उपचार करें।

उन्होंने कहा, इसलिए, यह निर्णय किया गया है कि दिल्ली स्थित सरकारी और निजी अस्पताल केवल राष्ट्रीय राजधानी से ताल्लुक रखने वाले लोगों का ही इलाज करेंगे। मुख्यमंत्री ने पिछले सप्ताह शहर की सीमाओं को बंद करने की घोषणा करते हुए मुद्दे पर लोगों से राय मांगी थी। केजरीवाल ने रविवार को कहा, दिल्ली की स्वास्थ्य अवसंरचना को इस समय कोरोना वायरस संकट से निपटने की आवश्यकता है। दिल्ली में एलएनजेपी अस्पताल, जीटीबी अस्पताल और राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल सहित लगभग 40 सरकारी अस्पताल हैं।

राष्ट्रीय राजधानी में केंद्र द्वारा संचालित बड़े अस्पतालों में आरएमएल, एम्स और सफदरजंग अस्पताल शामिल हैं। केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली सरकार के अस्पतालों में लगभग 10 हजार बिस्तर हैं और लगभग इतने ही बिस्तर दिल्ली स्थित केंद्र संचालित अस्पतालों में हैं। उन्होंने कहा कि इससे एक संतुलन बनेगा और इससे दिल्ली तथा दूसरे राज्यों के लोगों के भी हित की रक्षा होगी। केजरीवाल ने यह भी कहा, हम कल से दिल्ली की सीमाएं खोलने जा रहे हैं। मॉल, रेस्तरां और धार्मिक स्थल खुलेंगे, लेकिन होटल और बैंक्वेट हॉल बंद रहेंगे क्योंकि हमें आने वाले समय में इन्हें अस्पतालों में तब्दील करने की आवश्यकता पड़ सकती है।

समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि दिल्ली को जून के अंत तक 15 हजार बिस्तरों की आवश्यकता होगी और यदि अन्य राज्यों के लोगों को यहां उपचार कराने की अनुमति मिलती है तो सभी बिस्तर केवल तीन दिन के भीतर घिर जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा, मार्च तक दिल्ली देश के सभी लोगों का उपचार करती थी, लेकिन इस संकट के समय अस्पतालों को दिल्ली के लोगों के लिए आरक्षित रखने की आवश्यकता है। इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. महेश वर्मा के नेतृत्व वाली समिति ने शनिवार को सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी।

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