back to top

योगिनी एकादशी 2 को, बन रहे हैं कई शुभ संयोग

एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा करने से भक्त के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं
लखनऊ। आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी तिथि को योगिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह पर्व भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस साल योगिनी एकादशी 2 जुलाई को मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यता के अनुसार, एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा करने से भक्त के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। साथ ही भक्त को मनोवांछित फल भी मिलता है। ज्योतिषियों के अनुसार, योगिनी एकादशी की तिथि पर दुर्लभ त्रिपुष्कर योग बन रहा है। इसके अलावा कई अन्य शुभ योग भी बन रहे हैं। इन योगों में भगवान विष्णु की पूजा करने से भक्त को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।

आषाढ़ मास के कारण बढ़ गया एकादशी व्रत का महत्व
आषाढ़ मास होने के कारण इस बार योगिनी एकादशी का महत्व बढ़ गया है।
इस लिए इस बार योगिनी एकादशी 2 शुभ योग में मनाई जायेगी। पाताल और स्वर्ग लोक में भी योगिनी एकादशी बहुत महत्व है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 1 जुलाई, सोमवार को सुबह 10:26 बजे शुरू होगी। यह मंगलवार 2 जुलाई को सुबह 8.44 बजे तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार, जुलाई माह की पहली एकादशी 2 जुलाई को मनाई जाएगी। इस साल की योगिनी एकादशी पर शुभ योग बनने जा रहे हैं। इस दिन त्रिपुष्कर योग और सर्वार्थ सिद्धि योग बनेगा। सर्वार्थ सिद्धि योग 2 जुलाई को सुबह 5.27 बजे से अगले दिन 3 जुलाई को सुबह 4.40 बजे तक रहेगा। त्रिपुष्कर योग 2 जुलाई को सुबह 8.42 बजे से 3 जुलाई को सुबह 4.40 बजे तक रहेगा। इन शुभ योगों में पूजा करने से दोगुना फल की प्राप्ति होती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, योगिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से व्यक्ति को मृत्यु के बाद स्वर्ग की प्राप्ति होती है। ऐसे व्यक्ति को बैकुंठ लोक में स्नान करने का सौभाग्य मिलता है। इस व्रत के प्रभाव से जीवन और मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिलती है।

योगिनी एकादशी व्रत पारण
ज्योतिषियों के अनुसार, आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 1 जुलाई को सुबह 10.26 बजे शुरू होगी और अगले दिन यानी 2 जुलाई को सुबह 8.42 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, 2 जुलाई को एकादशी व्रत रखा जाएगा। वहीं, 3 जुलाई को पारण का समय प्रात: 05:28 बजे से प्रात: 07:10 बजे तक है। इस दौरान पूजा करके व्रत खोला जा सकता है।

धृति योग
आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को सुबह 11 बजकर 47 मिनट तक धृति योग बन रहा है।

दुर्लभ त्रिपुष्कर योग
इस दिन दुर्लभ त्रिपुष्कर योग सुबह 08 बजकर 42 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानी 3 जुलाई की सुबह 04 बजकर 40 मिनट तक रहेगा।

सर्वार्थ सिद्धि योग
2 जुलाई की सुबह 5.27 बजे से 3 जुलाई को 04.00 बजे तक सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है।

शिववास
योगिनी एकादशी पर शिववास योग भी बनने जा रहा है। इस दिन भगवान शिव सुबह 8.42 बजे तक कैलाश पर रहेंगे। इसके बाद वे नंदी पर सवार होंगे। इस दौरान भगवान शिव का अभिषेक करने से शुभ फल मिलते हैं। इस दिन बालव, कौलव और तैतिल करण योग का भी निर्माण हो रहा है। इनमें सबसे पहले बालव करण बन रहा है। फिर कौलव करण का योग है। निशा काल में तैतिल करण योग बन रहा है।

योगिनी एकादशी की पूजा विधि
योगिनी एकादशी के दिन सुबह उठकर स्नान पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण करें। श्री हरि विष्णु को पीला रंग प्रिय होता है, इसीलिए इस दिन पीला रंग धारण करें। भगवान विष्णु की पूजा करने के लिए चौकी सजाएं और विष्णु भगवान की प्रतिमा रखें। इसके अतिरिक्त, भगवान विष्णु पर पीले फूलों की माला अर्पित की जाती है। भगवान विष्णु को तिलक लगाएं। पूजा सामग्री में तुलसी दल, फल, मिठाइयां और फूल आदि सम्मिलित किए जाते हैं। इस दिन योगिनी एकादशी की कथा सुनें और अगले दिन व्रत का पारण करें।

RELATED ARTICLES

रमा एकादशी आज, दो शुभ योग का हो रहा निर्माण

दो शुभ योग का निर्माण हो रहा हैलखनऊ। अक्तूबर माह की अंतिम एकादशी कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन है। कार्तिक...

संतान की दीर्घाय के लिए माताएं आज रखेंगी अहोई अष्टमी व्रत

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी व्रत रखा जाता हैलखनऊ। हिंदू धर्म में अहोई अष्टमी व्रत संतान की खुशहाली...

दीपोत्सव की छह दिन रहेगी धूम, रोशनी का पर्व दिवाली 31 को

लखनऊ। दीपोत्सव का पर्व इस बार छह दिनों तक चलेगा। त्योहारों की यह शृंखला कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष त्रयोदशी यानी धनतेरस से शुरू...

Latest Articles