नयी दिल्ली। सूफी संत मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में एक शिव मंदिर होने के दावे से जुड़े दीवानी मुकदमे में अजमेर की अदालत के नोटिस जारी करने के एक दिन बाद, राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने बृहस्पतिवार को इस घटनाक्रम को चिंताजनक बताया और सवाल किया कि राजनीतिक लाभ के लिए देश को कहां ले जाया जा रहा है।
वादी के वकील ने कहा कि अजमेर की एक स्थानीय अदालत ने बुधवार को निर्देश दिया था कि एक दीवानी मुकदमे में तीन पक्षों को नोटिस जारी किया जाए। वाद में दावा किया गया है कि दरगाह में एक शिव मंदिर है। सिब्बल ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर एक पोस्ट में कहा, चिंताजनक। नया दावा: अजमेर दरगाह में शिव मंदिर। हम इस देश को कहां ले जा रहे हैं? और क्यों? राजनीतिक लाभ के लिए ?
अधिवक्ता योगेश सिरोजा ने अजमेर में पत्रकारों को बताया कि मुकदमे की सुनवाई दीवानी न्यायाधीश मनमोहन चंदेल की अदालत में हुई। सिरोजा ने कहा कि दरगाह में एक शिव मंदिर होने का दावा करते हुए सितंबर में मुकदमा दायर किया गया था, जिसमें वहां फिर से पूजा शुरू करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
याचिकाकर्ता विष्णु गुप्ता ने कहा, हमारी मांग थी कि अजमेर दरगाह को संकट मोचन महादेव मंदिर घोषित किया जाये और दरगाह का किसी प्रकार का पंजीकरण है तो उसको रद्द किया जाए। उसका सर्वेक्षण एएसआई के माध्यम से किया जाए और वहां पर हिंदुओं को पूजा पाठ करने का अधिकार दिया जाए। मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर को होगी। इससे कुछ दिन पहले उत्तर प्रदेश के संभल में इसी तरह के मामले को लेकर हुई हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई थी और पुलिसकर्मियों समेत कई लोग घायल हुए थे।