लखनऊ। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को कहा कि रक्षा क्षेत्र में सरकार की नीतियां अब परिणाम देने लगी हैं और पूरा भरोसा है कि भारत वर्ष 2024 तक रक्षा निर्यात को पांच अरब डॉलर तक पहुंचाने के लक्ष्य को हासिल कर लेगा।
सिंह ने डिफेंस एक्सपो के तीसरे दिन विभिन्न निजी तथा सार्वजनिक संस्थाओं द्वारा रक्षा क्षेत्र से सम्बन्धित सहमति पत्रों (एमओयू) पर हस्ताक्षर के लिए आयोजित बंधन कार्यक्रम में कहा आज हमारे द्वारा किए जा रहे एमओयू हमारे रक्षा औद्योगिक आधार को और मजबूत करने में उपयोगी सिद्ध होंगे। आज हुई घोषणाओं और उत्पाद लांचिंग को देखकर आप सब आश्वस्त हो गए होंगे कि रक्षा क्षेत्र में हमारी नीतियां अब परिणाम देने लगी हैं।
उन्होंने कहा पहले लोग कहते थे कि भारत की रक्षा नीतियां ऐसी हैं कि उनके परिणाम सामने नहीं आ रहे हैं लेकिन अब आपने महसूस किया होगा कि अब हमारे रक्षा क्षेत्र की नीतियों ने परिणाम देना शुरू कर दिया है। हमारी सरकार ने इस दिशा में कई बार नीतियों में सुधार किए हैं। हमने इंडस्ट्री लाइसेंसिंग प्रक्रिया को काफी हद तक सरल किया है और एफडीआई कैप को भी बढ़ाया है। साथ ही रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कदम भी उठाए हैं। हमने डिफेंस ऑफसेट नीति को भी व्यवस्थित किया है। भविष्य में इसे यथासम्भव और भी बेहतर बनाया जाएगा।
सिंह ने कहा कि 2018-19 में रक्षा क्षेत्र की कंपनियों का उत्पादन 80 हजार करोड़ रुपए के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। इसमें निजी क्षेत्र का योगदान 60 हजार करोड़ रुपए का है। रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र और आयुध फैक्ट्री बोर्ड की उत्पादन गतिविधियों का लगभग 40 प्रतिशत आउटसोर्स हो रहा है। यह रक्षा उत्पादन में निजी क्षेत्र की अहमियत को दर्शाता है।
उन्होंने कहा, मुझे यह बात साझा करते हुए खुशी हो रही है कि भारत का रक्षा निर्यात वर्ष 2018-19 में 10745 करोड़ रुपए तक पहुंच गया, जो 2016-17 में हुए निर्यात के सात गुने से भी ज्यादा है। इस डिफेंस एक्स़पो की अप्रत्याशित कामयाबी को देखकर मैं पूरी तरह से आश्वस्त हूं कि वर्ष 2024 तक पांच अरब डॉलर के रक्षा निर्यात के लक्ष्य को हम जरूर हासिल कर लेंगे।
रक्षा मंत्री ने कहा कि आज इस समारोह में 71 एमओयू किए गए, 13 प्रोडक्ट लांच हुए, छह प्रमुख घोषणाएं हुई और 18 नए तकनीक अंतरण समझौतों पर दस्तखत हुए हैं। यानी 100 से ज्यादा करार हुए हैं। यह परस्पर विश्वास के बंधन हैं। जो भी पक्ष एमओयू में शामिल हैं, वे बंधन के विश्वास को किसी भी सूरत में टूटने नहीं देंगे। इस एक्सपो के दौरान अभी तक 200 से ज्यादा समझौते हुए हैं। यह ऐतिहासिक उपलब्धि है।
उन्होंने कहा कि यहां तकनीक हस्तांतरण के जो 18 समझौते हुए हैं वे निजी क्षेत्र को उत्पादन के लिए स्वदेशीकरण के साथ-साथ वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्द्धा में बने रहने में भी निश्चित रूप से मदद करेंगे। इन समझौतों के मूर्त रूप लेने से आयात पर निर्भरता कम होगी और इनसे नेट डिफेंस एक्सपोर्टर बनने के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता मिलेगी।