विशेष संवाददाता लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि आज से सात साल पहले स्कूलों की स्थिति ऐसी थी कि बच्चे यहां आने से डरते थे। स्कूलों में पेड़ और झाड़ियां उगी रहती थी। बच्चों के नामांकन में गिरावट थीए आज उन्हीं विद्यालयों का कायाकल्प हुआ है। आज वहां बच्चों की संख्या 60 लाख बढ़ी है। बेसिक शिक्षा में परिवर्तन दिखता हैए अब बारी माध्यमिक शिक्षा की है। माध्यमिक विद्यालयों के लिए आपरेशन कायाकल्प फेज 2 चलाया जाएगा।
मुख्यमंत्री बेसिक विद्यालय के 1.91 करोड़ बच्चों को यूनिफॉर्म, स्कूल बैग, जूते मोजे, स्टेशनरी के लिए 2300 करोड़ रुपए डीबीटी करने के बाद संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि माध्यमिक में नकल विहीन परीक्षा हुई है। पहले नकल का अड्डा कोई और चलाता था, बदनाम शिक्षक होता था। माध्यमिक के राजकीय व एडेड विद्यालयों की, संस्कृत विद्यालयों की स्थिति कार्ययोजना बनाकर सुधारें। इसके लिए सीएसआर फंड, पूर्व छात्रों, सांसद-विधायक निधि
का प्रयोग करें। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने बेसिक विद्यालयों के कायाकल्प के लिए सीएसआर फंड से 250 करोड़ देने वाली संस्थानों के प्रतिनिधियों को भी सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि यह दानदाता पहले भी थे लेकिन पहले कोई इसकी जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं था। अब सब जिम्मेदारी से काम कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि परिषदीय विद्यालयों में पहले की अपेक्षा बच्चों की संख्या 1.30 करोड़ से बढ़कर 1.91 करोड़ हो गई है। इस संख्या को बढ़ाने के साथ, बच्चों की पढ़ाई जारी रखना भी महत्वपूर्ण है। शिक्षक ड्राप आउट रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
खासकर बच्चियों के लिए, जिनके अभिभावक कक्षा पांच के बाद स्कूल नहीं भेजते। एक बच्चा स्कूल नहीं आता है तो उसके अभिभावक से बात करें, उसके घर जाकर जानकारी ले। इससे शिक्षक के प्रति सकारात्मक भाव पैदा होगा। शिक्षकों की जिम्मेदारी है, आॅपरेशन कायाकल्प की तरह डीबीटी की सफलता के लिए काम करने की। डीबीटी से जो पैसा भेजा गया, उसका सही प्रयोग हो और बच्चे ड्रेस में ही स्कूल आएं। इसके लिए शिक्षक, अभिभावकों के साथ बैठक करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षक अपडेट होगा तो पूरी पीढ़ी अपडेट होगी। शिक्षकों को अपडेट करने के लिए समय-समय पर शिक्षण, प्रशिक्षण, रिफ्रेशर कार्यक्रम आयोजित किए जाएं। उन्होंने कहा कि मैंने देखा कि शिक्षकों के व्यवहार में थोड़ा रूखापन है। आप खुद देखे की स्कूल में आपका व्यवहार कैसा है।
अगर शिक्षक सकारात्मक भाव से बच्चों को आगे बढ़ाएंगे तो इसके काफी बदलाव दिखेंगे। इस अवसर पर राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) माध्यमिक शिक्षा गुलाब देवी, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बेसिक शिक्षा संदीप सिंह, मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा, अपर मुख्य सचिव बेसिक व माध्यमिक शिक्षा दीपक कुमार, महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद आदि उपस्थित थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि डीबीटी के माध्यम से जो पैसा यूनिफॉर्म, जूते-मोजे और स्टेशनरी के लिए भेजा गया है, उसमें हमारे शिक्षकों की भी जिम्मेदारी है कि वो सुनिश्चित करें कि बच्चे नियमित रूप से यूनिफॉर्म में स्कूल आएं। उम्मीद की जाती है कि हर शिक्षक बच्चे के लिए यूनिफॉर्म बनवाने को अभिभावक के साथ बैठक कर चर्चा करेगा, ताकि समयसीमा में बच्चे यूनिफॉर्म, किताबें, जूते-मोजे पा सकें। दो-तीन वर्ष पहले तक यह शिकायत आती थी कि यूनिफॉर्म नहीं मिल पा रहा, किसातें नहीं मिल पा रही है।
आज पैसा अभिभावक के खाते में जा रहा है, जो पारदर्शिता का नमूना है। इसकी मॉनीटरिंग विद्यालय स्तर पर प्रधानाचार्य के माध्यम से, शिक्षकों के माध्यम से होनी चाहिए। अभिभावकों के साथ जब संवाद होगा तो समस्या के समाधान के साथ सही आंकड़े भी हमारे पास आ पाएंगे कि वास्तव में कितने बच्चे बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में अध्ययन कर रहे हैं। इसी तरह हमारी जिम्मेदारी बनती है कि जो बच्चे आधे में स्कूल छोड़ देते हैं इसके लिए अभिभावकों से बातचीत की जाए। ये बच्चे पढ़ लिख जाएंगे तो सकारात्मक योगदान दे पाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि नीति आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि छह साल में 5.50 करोड़ लोग गरीबी से मुक्त होकर सक्षम बने हैं। इसमें जो पैरामीटर तय किया है, वह था शिक्षा।
हमने शिक्षा के क्षेत्र में आमूल-चूल परिवर्तन किए गए हैं। आगे पांच-दस साल में और बेहतर बदलाव दिखेंगे। आकांक्षात्मक जिलों में भी काफी बदलाव देखने को मिला है। मुख्यमंत्री ने कहा कि 2017 के पहले की स्थिति क्या थी, शिक्षकों की भारी कमी थी। मुझे आश्चर्य होता है कि कुछ लोग इस बात की चर्चा करते हैं कि 5 वर्ष से शिक्षकों की भर्ती नहीं हुई। पिछले 6 वर्ष में एक लाख 64 हजार शिक्षकों की भर्ती बेसिक और माध्यमिक शिक्षा परिषद में हुई है। जो लोग रिटायर हो रहे हैं, जहां अतिरिक्त शिक्षकों की आवश्यकता होती है, वहां पर निरंतर इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा रहा है। इसी के लिए प्रदेश के अंदर एक शिक्षा आयोग बनाने की प्रक्रिया वर्तमान में प्रचलित है और बहुत जल्द हम इसका गठन करने जा रहे हैं। इसके साथ ही समय समय पर शिक्षकों के रिफ्रेशर कोर्स चलाने चाहिए।
शिक्षक यदि अपडेट होगा तो वो पूरी पीढ़ी को अपडेट कर देगा। हमारा प्रयास होना चाहिए कि डायट खाली न हो, योग्य शिक्षक जाएं। उन्हें अतिरिक्त सुविधाएं दीजिए। शिक्षकों को और पारंगत करने के लिए वहां जो भी गैप है उसे पूरा करना होगा। आज जो किताबें यहां विमोचित हुई हैं, वो हर विद्यालय में उपलब्ध कराई जाएं और शिक्षक भी उसे अवश्य पढ़ें।